शान्त ज्वालामुखी: Difference between revisions
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'''शान्त ज्वालामुखी''' ऐसे [[ज्वालामुखी]] होते हैं, जिसमें ऐतिहासिक काल से कोई उद्गार (विस्फोट) नहीं हुआ है और जिसमें पुनः उद्गार होने की सम्भावना भी नहीं होती है। | '''शान्त ज्वालामुखी''' ऐसे [[ज्वालामुखी]] होते हैं, जिसमें ऐतिहासिक काल से कोई उद्गार (विस्फोट) नहीं हुआ है और जिसमें पुनः उद्गार होने की सम्भावना भी नहीं होती है। क्योंकि इन ज्वालामुखियों में उद्गार नहीं होता, इसीलिए इन्हें 'मृत ज्वालामुखी' भी कहा जाता है। | ||
*इस प्रकार के ज्वालामुखी पूर्ण रूप से शान्त अवस्था में पड़े रहते हैं। | *इस प्रकार के ज्वालामुखी पूर्ण रूप से शान्त अवस्था में पड़े रहते हैं। |
Revision as of 13:49, 27 November 2011
शान्त ज्वालामुखी ऐसे ज्वालामुखी होते हैं, जिसमें ऐतिहासिक काल से कोई उद्गार (विस्फोट) नहीं हुआ है और जिसमें पुनः उद्गार होने की सम्भावना भी नहीं होती है। क्योंकि इन ज्वालामुखियों में उद्गार नहीं होता, इसीलिए इन्हें 'मृत ज्वालामुखी' भी कहा जाता है।
- इस प्रकार के ज्वालामुखी पूर्ण रूप से शान्त अवस्था में पड़े रहते हैं।
- इनमें निकट भविष्य में विस्फोट की कोई सम्भावना नहीं होती है।
- ये ज्वालामुखी मानव जीवन के लिए ख़तरनाक नहीं हैं।
- इनके उदाहरण हैं-'कोह सुल्तान' एवं 'देमवन्द' (ईरान), 'पोपा' (म्यांमार), 'किलीमंजारो' (अफ़्रीका), 'चिम्बाराजो' (दक्षिण अमेरिका)।
- विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित शान्त ज्वालामुखी 'एकांकागुआ' एण्डीज पर्वतमाला पर ही स्थित है, जिसकी ऊँचाई 6960 मीटर है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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