शंकर वर्मन: Difference between revisions
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*लगातार युद्ध के कारण धनाभाव की पूर्ति हेतु उसने अपनी प्रजा पर करों का बोझ बढ़ा दिया, इस कारण वह काफ़ी अलोकप्रिय हो गया था। | *लगातार युद्ध के कारण धनाभाव की पूर्ति हेतु उसने अपनी प्रजा पर करों का बोझ बढ़ा दिया, इस कारण वह काफ़ी अलोकप्रिय हो गया था। | ||
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Revision as of 11:44, 12 May 2012
शंकरवर्मन ने 885 से 902 ई. तक शासन किया।
- अवन्ति वर्मन के बाद सिंहासनारूढ़ शंकर वर्मन ने अपने साम्राज्य विस्तार के अन्तर्गत दार्वाभिसार, त्रिगर्त, एवं गुर्जर को जीता।
- लगातार युद्ध के कारण धनाभाव की पूर्ति हेतु उसने अपनी प्रजा पर करों का बोझ बढ़ा दिया, इस कारण वह काफ़ी अलोकप्रिय हो गया था।
- रानी दिद्दा का उस पर अत्यधिक प्रभाव था।
- उसके सिक्कों पर उसके नाम के साथ दिद्दा का नाम भी अंकित है।
- इस कारण लोगों ने उसका नाम दिद्दाक्षेपा रख दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित कडियाँ