बुराई (सूक्तियाँ): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{| width="100%" class="bharattable-pink" |- ! क्रमांक ! सूक्तियाँ ! सूक्ति कर्ता |-...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "दुनियाँ " to "दुनिया ") |
||
Line 38: | Line 38: | ||
|- | |- | ||
| (9) | | (9) | ||
|जिस भी भले बुरे रास्ते पर चला जाये उस पर साथी - सहयोगी तो मिलते ही रहते हैं। इस | |जिस भी भले बुरे रास्ते पर चला जाये उस पर साथी - सहयोगी तो मिलते ही रहते हैं। इस दुनिया में न भलाई की कमी है, न बुराई की। पसंदगी अपनी, हिम्मत अपनी, सहायता दुनिया की। | ||
| | | | ||
|- | |- |
Revision as of 10:12, 8 July 2012
क्रमांक | सूक्तियाँ | सूक्ति कर्ता |
---|---|---|
(1) | पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। | विवेकानन्द |
(2) | एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। | शेक्सपियर |
(3) | बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। | कालिदास |
(4) | अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है। | विलियम शेक्सपियर |
(5) | अपने आपको सुधार लेने पर संसार की हर बुराई सुधर सकती है। | |
(6) | अच्छाइयों का एक-एक तिनका चुन-चुनकर जीवन भवन का निर्माण होता है, पर बुराई का एक हलका झोंका ही उसे मिटा डालने के लिए पर्याप्त होता है। | |
(7) | अच्छाई का अभिमान बुराई की जड़ है। | |
(8) | आप अपनी अच्छाई का जितना अभिमान करोगे, उतनी ही बुराई पैदा होगी। इसलिए अच्छे बनो, पर अच्छाई का अभिमान मत करो। | |
(9) | जिस भी भले बुरे रास्ते पर चला जाये उस पर साथी - सहयोगी तो मिलते ही रहते हैं। इस दुनिया में न भलाई की कमी है, न बुराई की। पसंदगी अपनी, हिम्मत अपनी, सहायता दुनिया की। | |
(10) | मनुष्य अपने अंदर की बुराई पर ध्यान नहीं देता और दूसरों की उतनी ही बुराई की आलोचना करता है, अपने पाप का तो बड़ा नगर बसाता है और दूसरे का छोटा गाँव भी ज़रा-सा सहन नहीं कर सकता है। | |
(11) | बुराई मनुष्य के बुरे कर्मों की नहीं, वरन् बुरे विचारों की देन होती है। | |
(12) | बुराई के अवसर दिन में सौ बार आते हैं तो भलाई के साल में एकाध बार। | |
(13) | संसार में हर वस्तु में अच्छे और बुरे दो पहलू हैं, जो अच्छा पहलू देखते हैं वे अच्छाई और जिन्हें केवल बुरा पहलू देखना आता है वह बुराई संग्रह करते हैं। | |
(14) | मनुष्य अपने अंदर की बुराई पर ध्यान नहीं देता और दूसरों की उतनी ही बुराई की आलोचना करता है, अपने पाप का तो बड़ा नगर बसाता है और दूसरे का छोटा गाँव भी ज़रा-सा सहन नहीं कर सकता है। | |
(15) | भलाई से बढ़कर जीवन और, बुराई से बढ़कर मृत्यु नहीं है। | आदिभट्ल नारायण दासु |
(16) | जब आप दो बुराइयों में से छोटी बुराई को चुनते हैं, तो याद रखें कि वह अभी एक बुराई ही है। | मैक्स लर्नर |
(17) | छोटी बुराई को अपने पास न आने दें क्योंकि अन्य बड़ी बुराईयां सुनिश्चित रूप से इसके पीछे-पीछे आती हैं। | बाल्टासार ग्रेसिय |
(18) | नीच प्रवृति के लोग दूसरों के दिलों को चोट पहुंचाने वाली, उनके विश्वासों को छलनी करने वाली बातें करते हैं, दूसरों की बुराई कर खुश हो जाते हैं। मगर ऐसे लोग अपनी बड़ी-बड़ी और झूठी बातों के बुने जाल में खुद भी फंस जाते हैं। जिस तरह से रेत के टीले को अपनी बांबी समझकर सांप घुस जाता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है, उसी तरह से ऐसे लोग भी अपनी बुराइयों के बोझ तले मर जाते हैं। | |
(19) | कोई व्यक्ति सच्चाई, ईमानदारी तथा लोक-हितकारिता के राजपथ पर दृढ़तापूर्वक रहे तो उसे कोई भी बुराई क्षति नहीं पहुंचा सकती। | हरिभाऊ उपाध्याय |
(20) | तुम में सर्वप्रिय बनने की इच्छा होनी चाहिए। ऐसा करो, जिससे सामान्य लोग तुम्हें पसंद करें। यदि तुम यह सोचते हो कि पीठे पीछे किसी मोमिन, यहूदी या ईसाई की बुराई करने से लोग तुम्हें भला मान लेंगे, तो तुम लोगों का मिजाज नहीं समझते। | उमर खैयाम |
(21) | एक बुराई दूसरी बुराई से उत्पन्न होती है। | टेरेंस |
(22) | किसी आदमी की बुराई-भलाई उस समय तक मालूम नहीं होती जब तक कि वह बातचीत न करे। | बालकृष्ण भट्ट |
(23) | बुराई के बीज चाहे गुप्त से गुप्त स्थान में बोओ, वह स्थान किले की तरह चाहे सुरक्षित ही क्यों न हो, पर प्रकृति के अत्यंत कठोर, निर्दय, अमोघ, अपरिहार्य क़ानून के अनुसार तुम्हें ब्याज सहित कर्मों का मूल्य चुकाना होगा। | स्वामी रामतीर्थ |
(24) | तुम में सर्वप्रिय बनने की इच्छा होनी चाहिए। ऐसा करो, जिससे सामान्य लोग तुम्हें पसंद करें। यदि तुम यह सोचते हो कि पीठे पीछे किसी मोमिन, यहूदी या ईसाई की बुराई करने से लोग तुम्हें भला मान लेंगे, तो तुम लोगों का मिजाज नहीं समझते। | उमर खैयाम |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख