अनमोल वचन 6: Difference between revisions
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==योग्यता, कौशल (Ability)== | ==योग्यता, कौशल (Ability)== | ||
* केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | * केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | * कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | ||
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* मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान बनता है। ~ आविद | * मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान बनता है। ~ आविद | ||
* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | * ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | ||
==सलाह, परामर्श, मशवरा (Advice)== | ==सलाह, परामर्श, मशवरा (Advice)== | ||
* बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो। ~ जर्मन कहावत | * बिना मांगे किसी को हरगिज नसीहत मत दो। ~ जर्मन कहावत | ||
* जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी | * जब हम किसी नई परियोजना पर विचार करते हैं तो बड़े गौर से उसका अध्ययन करते हैं – महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि उसके हर एक पहलू का। – वाल्ट डिज्नी | ||
==क्रोध, ग़ुस्सा, ताव (Anger)== | ==क्रोध, ग़ुस्सा, ताव (Anger)== | ||
* क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी | * क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है। ~ महात्मा गांधी | ||
* मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल | * मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है। ~ बाइबिल | ||
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* सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है। ~ जेम्स एलन | * सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है। ~ जेम्स एलन | ||
* क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक। ~ जेफरसन | * क्रोध में हो तो बोलने से पहले दस तक गिनो, अगर ज़्यादा क्रोध में तो सौ तक। ~ जेफरसन | ||
==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)== | ==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)== | ||
* सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | * सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | ||
* वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी | * वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी | ||
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* कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौक़ा मत छोडो, सच तो यह है कि ख़ूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। ~ राल्फ वाल्डो इमर्सन| | * कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौक़ा मत छोडो, सच तो यह है कि ख़ूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। ~ राल्फ वाल्डो इमर्सन| | ||
* सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। ~ जोन मुइर | * सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। ~ जोन मुइर | ||
==पुस्तक, किताब, ग्रंथ (Book)== | ==पुस्तक, किताब, ग्रंथ (Book)== | ||
* सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। ~ रेने डकार्टेस | * सभी अच्छी पुस्तकों को पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन व्यक्तियों के साथ संवाद करने जैसा है। ~ रेने डकार्टेस | ||
* जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं। ~ जवाहरलाल नेहरू | * जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
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* आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | * आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | ||
* अच्छा ग्रंथ एक महान आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। ~ मिल्टन | * अच्छा ग्रंथ एक महान आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। ~ मिल्टन | ||
==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)== | ==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)== | ||
* बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब गलतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। ~ सी सी काल्टन | * बदलाव से पूरी मुक्ति मतलब गलतियों से पूरी मुक्ति है, लेकिन यह तो अकेली सर्वज्ञता का विशेषाधिकार है। ~ सी सी काल्टन | ||
* सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | * सिर्फ अतीत की जुगाली करने से कोई लाभ नहीं है। | ||
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==चरित्र, स्वभाव, ख़ासियत (Character)== | ==चरित्र, स्वभाव, ख़ासियत (Character)== | ||
* तुम बर्फ़ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे। | * तुम बर्फ़ के समान विशुद्ध रहो और हिम के समान स्थिर तो भी लोक निन्दा से नहीं बच पाओगे। | ||
* अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी। ~ जेम्स एलन | * अच्छी आदतों से शक्ति की बचत होती है, अवगुण से बर्बादी। ~ जेम्स एलन | ||
Line 125: | Line 113: | ||
* समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। - शरतचंद्र | * समाज के प्रचलित विधि विधानों के उल्लंघन केवल चरित्र-बल पर ही सहन किया जा सकता है। - शरतचंद्र | ||
* कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। - अज्ञात | * कठिनाइयों को जीतने, वासनाओ का दमन करने और दुखों को सहन करने से चरित्र उच्च सुदृढ़ और निर्मल होता है। - अज्ञात | ||
==दया, सहानुभूति, मेहरबानी (Compassion)== | ==दया, सहानुभूति, मेहरबानी (Compassion)== | ||
* दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। ~ बेली | * दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। ~ बेली | ||
* मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। ~ हजरत मोहम्मद | * मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। ~ हजरत मोहम्मद | ||
Line 152: | Line 138: | ||
==प्रतियोगिता, मुक़ाबला (Competition)== | ==प्रतियोगिता, मुक़ाबला (Competition)== | ||
* स्पर्धा और प्रतिस्पर्धा से वातावरण दीप्त और उद्दीप्त रहता है। ~ जैनेन्द्र कुमार | * स्पर्धा और प्रतिस्पर्धा से वातावरण दीप्त और उद्दीप्त रहता है। ~ जैनेन्द्र कुमार | ||
==आत्मविश्वास, निर्भीकता, निश्चय (Confidence)== | ==आत्मविश्वास, निर्भीकता, निश्चय (Confidence)== | ||
* आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है। क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता। ~ अज्ञात | * आत्मविश्वास किसी भी कार्य के लिए आवश्यक तत्व है। क्योंकि एक बड़ी खाई को दो छोटी छलांगों में पार नहीं किया जा सकता। ~ अज्ञात | ||
* आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | * आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | ||
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==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)== | ==साहस, हिम्मत, पराक्रम (Courage)== | ||
* निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है। ~ इंगरसोल | * निराश हुए बिना पराजय को सह लेना, पृथ्वी पर साहस की सबसे बड़ी मिसाल है। ~ इंगरसोल | ||
* हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति) | * हमारी सुरक्षा, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह के लिए बदलाव लाने का हममें साहस और प्रतिबद्धता होनी चाहिए। ~ बराक ओबामा (अमेरिकी राष्ट्रपति) | ||
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==कायरता, कायर (Coward)== | ==कायरता, कायर (Coward)== | ||
* कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है। ~ गेटे | * कायर तभी धमकी देता है, जब सुरक्षित होता है। ~ गेटे | ||
* जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं। ~ अब्राहम लिंकन | * जो दूसरों की स्वाधीनता छीनते हैं, वास्तव में कायर हैं। ~ अब्राहम लिंकन | ||
Line 209: | Line 190: | ||
==सृजन, रचना, निर्माण (Creation)== | ==सृजन, रचना, निर्माण (Creation)== | ||
* एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज़ नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ, विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है। | * एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज़ नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ, विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है। | ||
==मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश (Death)== | ==मृत्यु, अंत, ख़तम, नाश (Death)== | ||
* मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। ~ भगवतीचरण वर्मा | * मृत्यु और विनाश बिना बुलाए ही आया करते हैं। क्योंकि ये हमारे मित्र के रूप में नहीं शत्रु के रूप में आते हैं। ~ भगवतीचरण वर्मा | ||
* जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। ~ तिरुवल्लुवर | * जो आदमी नशे में मदहोश हो उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
Line 221: | Line 199: | ||
==अनुशासन, आत्मसंयम (Discipline)== | ==अनुशासन, आत्मसंयम (Discipline)== | ||
* हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते। ~ महात्मा गांधी | * हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते। ~ महात्मा गांधी | ||
==दान, चंदा (Donation)== | ==दान, चंदा (Donation)== | ||
* दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है। | * दान से वस्तु घटती नहीं बल्कि बढ़ती है। | ||
* जब घर में धन और नाव में पानी आने लगे, तो उसे दोनों हाथों से निकालें, ऐसा करने में बुद्धिमानी है, हमें धन की अधिकता सुखी नहीं बनाती। ~ संत कबीर | * जब घर में धन और नाव में पानी आने लगे, तो उसे दोनों हाथों से निकालें, ऐसा करने में बुद्धिमानी है, हमें धन की अधिकता सुखी नहीं बनाती। ~ संत कबीर | ||
Line 240: | Line 215: | ||
==सपना, ख़याल (Dream)== | ==सपना, ख़याल (Dream)== | ||
* हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | * हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | ||
* सपने देखना बेहद जरुरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंजिल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज़्यादा जरुरी है जिंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डा. अब्दुल कलाम | * सपने देखना बेहद जरुरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंजिल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज़्यादा जरुरी है जिंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डा. अब्दुल कलाम | ||
Line 248: | Line 222: | ||
==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)== | ==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)== | ||
* सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। ~ प्रेमचंद | * सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। ~ प्रेमचंद | ||
* कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। ~ प्रेमचंद | * कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। ~ प्रेमचंद | ||
Line 263: | Line 236: | ||
* अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर | * अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। - कबीर | ||
* सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर | * सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। - टैगोर | ||
==शिक्षा (Education)== | ==शिक्षा (Education)== | ||
* शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | * शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | ||
* बच्चों को शिक्षित करना तो जरूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही जरूरी है। ~ अर्नेस्ट डिमनेट | * बच्चों को शिक्षित करना तो जरूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही जरूरी है। ~ अर्नेस्ट डिमनेट | ||
Line 273: | Line 244: | ||
* युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है। ~ अरस्तू | * युवकों की शिक्षा पर ही राज्य आधारित है। ~ अरस्तू | ||
* विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। ~ ग्लैडस्टन | * विद्या अमूल्य और अनश्वर धन है। ~ ग्लैडस्टन | ||
==दुश्मन, शत्रु, विरोधी (Enemy)== | ==दुश्मन, शत्रु, विरोधी (Enemy)== | ||
* अहिंसा अच्छी चीज है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। ~ विमल मित्र | * अहिंसा अच्छी चीज है, लेकिन शत्रुहीन होना अच्छी बात है। ~ विमल मित्र | ||
* दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल | * दुश्मन का लोहा गर्म भले ही हो ,पर हथौड़ा तो ठंडा ही काम दे सकता है। ~ सरदार पटेल | ||
==बुराई, दुष्ट (Evil)== | ==बुराई, दुष्ट (Evil)== | ||
* पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। ~ विवेकानन्द | * पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है। ~ विवेकानन्द | ||
* एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। ~ शेक्सपियर | * एक बुराई, दूसरी बुराई को जनम देती है। ~ शेक्सपियर | ||
* बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। ~ कालिदास | * बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। ~ कालिदास | ||
* अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है। ~ विलियम शेक्सपियर | * अति अगर अच्छाई की हो तो वह भी अतंत: बुराई में तब्दील हो जाती है। ~ विलियम शेक्सपियर | ||
==डर, भय, ख़ौफ़ (Fear)== | ==डर, भय, ख़ौफ़ (Fear)== | ||
* जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है। ~ अज्ञात | * जिसे भविष्य का भय नहीं रहता, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है। ~ अज्ञात | ||
* भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। ~ स्वामी विवेकानंद | * भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
Line 304: | Line 269: | ||
==दोस्ती, मित्रता, मैत्री (Friendship)== | ==दोस्ती, मित्रता, मैत्री (Friendship)== | ||
* मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। ~ अरस्तू | * मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करो और आवश्यकता पड़ने पर उसकी सहायता करो। ~ अरस्तू | ||
* दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आज़ादी दे। ~ जिम मॅारिसन | * दोस्त वह है, जो आपको अपनी तरह जीने की पूरी आज़ादी दे। ~ जिम मॅारिसन | ||
Line 314: | Line 278: | ||
* सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना। | * सच्चे मित्र के तीन लक्षण हैं- अहित को रोकना, हित की रक्षा करना और विपत्ति में साथ नहीं छोड़ना। | ||
* सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। ~ जानसन | * सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। ~ जानसन | ||
==मज़ाकिया, अजीब (Funny)== | ==मज़ाकिया, अजीब (Funny)== | ||
* कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी। | * कामयाब व्यक्ति की आधुनिक परिभाषा: जो पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल करता है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी। | ||
* एक सरकारी दफ्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें। किसी ने उसके नीचे लिख दिया। वरना हम जाग जायेंगे। | * एक सरकारी दफ्तर के बोर्ड पर लिखा था कृप्या शोर न करें। किसी ने उसके नीचे लिख दिया। वरना हम जाग जायेंगे। | ||
Line 337: | Line 299: | ||
* एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा ख़ाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा। | * एक आशावादी सोचता है कि गिलास आधा भरा है, निराशावादी का विचार होता है कि गिलास आधा ख़ाली है, पर एक यथार्थवादी जानता है कि वह आसपास बना रहा तो अंतत: गिलास उसे ही धोना पड़ेगा। | ||
==ईश्वर, भगवान, परमात्मा, खुदा, प्रभु, अल्लाह (God)== | ==ईश्वर, भगवान, परमात्मा, खुदा, प्रभु, अल्लाह (God)== | ||
* ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है। - यासुनारी कावाबाता | * ईश्वर को देखा नहीं जा सकता, इसीलिए तो वह हर जगह मौजूद है। - यासुनारी कावाबाता | ||
* यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती। ~ वाल्टेयर | * यदि ईश्वर का अस्तित्व न होता, तो उसके आविष्कार की आवश्यकता पड़ती। ~ वाल्टेयर | ||
Line 355: | Line 315: | ||
==भलाई, साधुता, भद्रता, नेकी(Goodness)== | ==भलाई, साधुता, भद्रता, नेकी(Goodness)== | ||
* भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है। ~ जरथुष्ट्र | * भलाई में आनंद है, क्योंकि वह तुम्हारे स्वास्थ्य और सुख में वृद्धि करता है। ~ जरथुष्ट्र | ||
* भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है। ~ ला मार्टिन | * भलाई करना मानवता है, भला होना दिव्यता है। ~ ला मार्टिन | ||
Line 365: | Line 324: | ||
==सुख, आनंद, ख़ुशी (Happiness)== | ==सुख, आनंद, ख़ुशी (Happiness)== | ||
* आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है। तभी तुम सही फैसला कर पाओगे। | * आप अपनी आंख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछे कि कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है, जो आपको बुलाती है। तभी तुम सही फैसला कर पाओगे। | ||
* प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है। ~ सैम्युअल स्माइल्स | * प्रसन्नता आत्मा को शांति देती है। ~ सैम्युअल स्माइल्स | ||
Line 391: | Line 349: | ||
==घृणा, नफ़रत, ईर्ष्या, द्वेष (Hate)== | ==घृणा, नफ़रत, ईर्ष्या, द्वेष (Hate)== | ||
* घृणा पाप से करो, पापी से नहीं। ~ महात्मा गाँधी | * घृणा पाप से करो, पापी से नहीं। ~ महात्मा गाँधी | ||
* जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। ~ नेपोलियन | * जो सच्चाई पर निर्भर है वह किसी से घृणा नहीं करता। ~ नेपोलियन | ||
Line 401: | Line 358: | ||
==स्वास्थ्य, सेहत (Health)== | ==स्वास्थ्य, सेहत (Health)== | ||
* शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान, भाग्यवान और ज्ञानवान होता है। ~ जयशंकर प्रसाद | * शीघ्र सोने और प्रात:काल जल्दी उठने वाला मानव अरोग्यवान, भाग्यवान और ज्ञानवान होता है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है। ~ अज्ञात | * जहां तक हो सके, निरन्तर हंसते रहो, यह सस्ती दवा है। ~ अज्ञात | ||
Line 408: | Line 364: | ||
* स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अलावा वहां तक पहुंचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं। ~ वेन्डेल फिलप्स | * स्वास्थ्य परिश्रम में है और श्रम के अलावा वहां तक पहुंचने का कोई दूसरा राजमार्ग नहीं। ~ वेन्डेल फिलप्स | ||
* अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली | * अच्छा मजाक आत्मा का स्वास्थ्य है, चिंता उसका विष। ~ स्टैनली | ||
==दिल, ह्रदय (Heart)== | ==दिल, ह्रदय (Heart)== | ||
* एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज़्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज़्यादा दुख पहुंचता है। | * एक टूटा हुआ दिल, टूटे हुए शीशे के समान होता है। इसको टूटा हुआ छोड़ देना ज़्यादा बेहतर होता, क्योंकि दोनों को जोड़ने में खुद को ज़्यादा दुख पहुंचता है। | ||
* चेहरा ह्रदय का प्रतिबिम्ब है। ~ कहावत | * चेहरा ह्रदय का प्रतिबिम्ब है। ~ कहावत | ||
* सुन्दर ह्रदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है। ~ शेक्सपियर | * सुन्दर ह्रदय का मूल्य सोने से भी बढ़कर है। ~ शेक्सपियर | ||
* भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर ख़ाली दिल में किसी के लिए नहीं। | * भरे दिल में सबके लिए जगह होती है पर ख़ाली दिल में किसी के लिए नहीं। | ||
==इतिहास, प्राचीन (History)== | ==इतिहास, प्राचीन (History)== | ||
* उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नहीं है, सब कुछ मात्र आत्मकथा है। ~ इमर्सन | * उचित रूप से देंखे तो कुछ भी इतिहास नहीं है, सब कुछ मात्र आत्मकथा है। ~ इमर्सन | ||
* इतिहास, असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। ~ नेपोलियन बोनापार्ट | * इतिहास, असत्यों पर एकत्र की गयी सहमति है। ~ नेपोलियन बोनापार्ट | ||
Line 435: | Line 387: | ||
==घर, कुटुंब, निवास (Home)== | ==घर, कुटुंब, निवास (Home)== | ||
* घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है। | * घर के समान कोई स्कूल नहीं, न ईमानदारी व सदाचारी माता-पिता के समान कोई अध्यापक है। | ||
* जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। ~ तिरुवल्लुवर | * जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। ~ तिरुवल्लुवर | ||
==ईमानदारी, सच्चाई (Honesty)== | ==ईमानदारी, सच्चाई (Honesty)== | ||
* मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है। ~ अज्ञात | * मनुष्य की प्रतिष्ठा ईमानदारी पर ही निर्भर है। ~ अज्ञात | ||
* ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है। ~ अज्ञात | * ईमानदार मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है। ~ अज्ञात | ||
==मनुष्य, मानव (Human)== | ==मनुष्य, मानव (Human)== | ||
* किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है। ~ महात्मा गांधी | * किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी | * अकृतज्ञता मनुष्यत्व का विष है। ~ सर पी. सिडनी | ||
Line 461: | Line 408: | ||
==अन्याय, बेइंसाफी (Injustice)== | ==अन्याय, बेइंसाफी (Injustice)== | ||
* अन्याय का राज्य बालू की भीत है। ~ जयशंकर प्रसाद | * अन्याय का राज्य बालू की भीत है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता। ~ सेनेका | * अधर्म पर स्थापित राज्य कभी नहीं टिकता। ~ सेनेका | ||
Line 469: | Line 415: | ||
==प्रेरणादायक (Inspirational)== | ==प्रेरणादायक (Inspirational)== | ||
* प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं। ~ पीट मेराविच | * प्यार कभी निष्फल नहीं होता, चरित्र कभी नहीं हारता, धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं। ~ पीट मेराविच | ||
* मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है। ~ स्वेट मार्डेन | * मानव जीवन की दिशा बदलने में, एक छोटी सी बात भी अद्भुत प्रभाव रखती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
Line 499: | Line 444: | ||
* जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं। | * जो यह सोचते हैं कि वे किसी प्रकार की सेवा करने योग्य नहीं है, वे शायद पशुओं और वृक्षों को भूल जाते हैं। | ||
* लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती। ~ प्रेमचंद | * लगन को कांटों कि परवाह नहीं होती। ~ प्रेमचंद | ||
==अपमान, तिरस्कार (Insult)== | ==अपमान, तिरस्कार (Insult)== | ||
* तलवार का घाव भर जाता है, पर अपमान का नहीं। ~ एक कहावत | * तलवार का घाव भर जाता है, पर अपमान का नहीं। ~ एक कहावत | ||
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है। ~ टैगोर | * धुल स्वयं अपमान सह लेती है और बदले में फूलों कर उपहार देती है। ~ टैगोर | ||
Line 511: | Line 454: | ||
==बुद्धिमान, मनीषी, जीनियस(Intelligent)== | ==बुद्धिमान, मनीषी, जीनियस(Intelligent)== | ||
* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे। ~ अज्ञात | * ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार से समझे और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करे। ~ अज्ञात | ||
* अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है। ~ चैनिंग | * अगर तुम पढ़ना जानते हो, तो हर व्यक्ति स्वयं में एक पुस्तक है। ~ चैनिंग | ||
Line 518: | Line 460: | ||
==यात्रा, सैर (Journey)== | ==यात्रा, सैर (Journey)== | ||
* न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए। ~ वाल्टर हेगन | * न जल्दी करो, न परेशान हो| क्योंकि आप यहां एक छोटी-सी यात्रा पर हैं इसलिए आराम से रुकिए और फूलों की खुशबु का आनंद उठाइए। ~ वाल्टर हेगन | ||
* सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है। | * सही मार्ग पर चलना ‘यात्रा’ है और बिना लक्ष्य के ग़लत राह पर चलना ‘भटकना’ है। | ||
==न्याय, इंसाफ (Justice)== | ==न्याय, इंसाफ (Justice)== | ||
* बहुमत की आवाज़ न्याय का द्योतक नहीं है। | * बहुमत की आवाज़ न्याय का द्योतक नहीं है। | ||
* अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है। | * अन्याय मे सहयोग देना, अन्याय के ही समान है। | ||
Line 538: | Line 477: | ||
==ज्ञान, विद्या, बोध (Knowledge)== | ==ज्ञान, विद्या, बोध (Knowledge)== | ||
* अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा क़दम है। | * अपनी अज्ञानता का अहसास होना ज्ञान की दिशा में एक बहुत बड़ा क़दम है। | ||
* विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है। | * विद्या नम्रता से, प्रश्न पर प्रश्न, खोज पर खोज करने ओर दूसरों की सेवा करते रहने से आती है। | ||
Line 554: | Line 492: | ||
* इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | * इस विश्व में ज्ञान के समान पवित्र और कुछ नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | ||
* ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है- पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है। तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है। | * ज्ञान तीन तरह से प्राप्त किया जा सकता है- पहला मनन से जो सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा अनुसरण से जो सबसे आसान है। तीसरा अनुभव से जो कि कड़वा है। | ||
==भाषा, स्वभाषा, बोली (Language)== | ==भाषा, स्वभाषा, बोली (Language)== | ||
* हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। ~ सुमित्रानंदन पंत | * हिन्दी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्त्रोत है। ~ सुमित्रानंदन पंत | ||
* राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। ~ महात्मा गांधी | * राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। ~ महात्मा गांधी | ||
Line 570: | Line 506: | ||
==आलस्य, आलस (Laziness)== | ==आलस्य, आलस (Laziness)== | ||
* आलस्य जीवित मनुष्य की क़ब्र है। ~ कूपर | * आलस्य जीवित मनुष्य की क़ब्र है। ~ कूपर | ||
* आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है। ~ कार्लाइल | * आलस्य दरिद्रता की कुंजी ओर सारे अवगुणों की जड़ है। ~ कार्लाइल | ||
* जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है। | * जो बार बार की ठोकरों से नहीं चेतता, वह अनिष्ट को आमंत्रण देता है। | ||
* आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है। ~ सुकरात | * आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है। ~ सुकरात | ||
==नेतृत्व, अगुआई, संचालन (Leadership)== | ==नेतृत्व, अगुआई, संचालन (Leadership)== | ||
* अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे। | * अगर अंधा अंधे का नेतृत्व करे तो दोनों खाई में गिरेंगे। | ||
* नेतृत्व का महत्त्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें। | * नेतृत्व का महत्त्वपूर्ण नियम है – सीखने के आनंद की फिर से खोज करना ताकि हम अपनी क्षमताओं और उत्पादकता को बढ़ा सकें। | ||
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* तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं। ~ टेसीटस | * तर्क और निर्णय नेता के गुण हैं। ~ टेसीटस | ||
* निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता। | * निर्णय करने के लिए तीन तत्वों की आवश्यकता होती है- अनुभव, ज्ञान और व्यक्त करने की क्षमता। | ||
==सीखना, जानना, प्राप्त करना (Learn)== | ==सीखना, जानना, प्राप्त करना (Learn)== | ||
* व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते। | * व्यथा और वेदना कि पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं, वे पुस्तकों तथा विश्वविधालयों में नहीं मिलते। | ||
* विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु | * विष से भी अमृत तथा बालक से भी सुभाषित ग्रहण करें। ~ मनु | ||
Line 593: | Line 524: | ||
* नई चीज सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है। ~ विनोबा भावे | * नई चीज सिखने कि जिसने आशा छोड़ दे, वह बुढा है। ~ विनोबा भावे | ||
* मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति | * मनुष्य सफलता से कुछ नहीं सीखता, विफलता से बहुत कुछ सीखता है। ~ अरबी लोकोक्ति | ||
==झूठ, असत्य, चालबाज़ी (Lie)== | ==झूठ, असत्य, चालबाज़ी (Lie)== | ||
* जो बात सिद्धांतः गलत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है। ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद | * जो बात सिद्धांतः गलत है, वह व्यवहार में भी उचित नहीं है। ~ डॉ. राजेंद्र प्रसाद | ||
* थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। ~ महात्मा गाँधी | * थोडा सा झूठ भी मनुष्य का नाश कर सकता है। ~ महात्मा गाँधी | ||
Line 605: | Line 534: | ||
==जीवन, प्राण (Life)== | ==जीवन, प्राण (Life)== | ||
* आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद | * आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | * हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | ||
Line 664: | Line 592: | ||
==सुनना, श्रवण, ध्यान देना (Listen)== | ==सुनना, श्रवण, ध्यान देना (Listen)== | ||
* सुनना एक कला है। इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए। | * सुनना एक कला है। इस कला के लिए कान और ध्यान दोनों चाहिए। | ||
* व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है। | * व्यर्थ की बातों से खुद को बचाना भी एक कला है। | ||
Line 671: | Line 598: | ||
* मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना। | * मौन से मतलब वाणीविहीन बनना नहीं हैं। सही समय पर सही बात कहना। | ||
* बडबोलेपन से बचना भी मौन है। ~ कानन झिंगन | * बडबोलेपन से बचना भी मौन है। ~ कानन झिंगन | ||
==प्यार, प्रेम, मुहब्बत (Love)== | ==प्यार, प्रेम, मुहब्बत (Love)== | ||
* प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल। ~ खलील जिब्रान | * प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है, जिस पर न कोई फूल हो, न फल। ~ खलील जिब्रान | ||
* एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं। | * एक व्यक्ति दूसरे के मन की बात जान सकता है, तो केवल सहानुभूति और प्यार से, उम्र और बुद्धि से नहीं। | ||
Line 686: | Line 611: | ||
* प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी | * प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हज़ार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक्की कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया। | * वही समाज सदैव सुखी रहकर तरक्की कर सकता है, जिसमें लोगों ने आपसी प्रेम को आत्मसात कर लिया। | ||
==भाग्य, तक़दीर, मुकद्द (Luck)== | ==भाग्य, तक़दीर, मुकद्द (Luck)== | ||
* सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो। याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है। | * सारा उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर लो। याद रखो कि तुम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हो। तुम जो कुछ बल या सहायता चाहो, सब तुम्हारे ही भीतर विद्यमान है। | ||
* उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर | * उत्साह आदमी की भाग्यशिलता का पैमाना है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
Line 698: | Line 621: | ||
* भाग्य भी निडर का ही साथ देता है। ~ वर्जल | * भाग्य भी निडर का ही साथ देता है। ~ वर्जल | ||
* हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं। | * हम स्वयं अपने भविष्य का निर्माण करते हैं, फिर इसे भाग्य का नाम दे देते हैं। | ||
==स्मृति, याद, स्मरणशक्ति (Memory)== | ==स्मृति, याद, स्मरणशक्ति (Memory)== | ||
* स्मृति एक अद्भुत उपकरण हैं। वह अमिट नहीं हैं। लेकिन वह क्षणभगुंर भी नहीं हैं। ~ प्राइमो लेवी | * स्मृति एक अद्भुत उपकरण हैं। वह अमिट नहीं हैं। लेकिन वह क्षणभगुंर भी नहीं हैं। ~ प्राइमो लेवी | ||
==ग़लती, भूल, त्रुटि, दोष (Mistake)== | ==ग़लती, भूल, त्रुटि, दोष (Mistake)== | ||
* उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा। वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे। | * उत्साह तथा रुचिपूर्वक दूसरों के दोष देखने से तुम्हारा मन भी बुरे विचारों से भर जायेगा। वह एक ऐसा कूड़ादान बन जाएगा, जिसमें दूसरों के कचरे भरे रहेंगे। | ||
* यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो। | * यदि शान्ति चाहते हो तो दूसरों के दोष मत देखो, बल्कि अपने ही दोष देखो। | ||
Line 743: | Line 662: | ||
==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)== | ==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)== | ||
* नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | * नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | ||
* महान मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है। | * महान मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है। | ||
Line 755: | Line 673: | ||
==धन, मुद्रा, स्र्पये, माल (Money)== | ==धन, मुद्रा, स्र्पये, माल (Money)== | ||
* एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं। | * एक बार सिकंदर से पूछा गया कि तुम धन क्यों एकत्र नहीं करते ? तब उसका जवाब था कि इस डर से कि उसका रक्षक बनकर कहीं भ्रष्ट न हो जाऊं। | ||
* धन अपना पराया नहीं देखता। | * धन अपना पराया नहीं देखता। | ||
Line 776: | Line 693: | ||
==मां, जननी, माता (Mother)== | ==मां, जननी, माता (Mother)== | ||
* जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण | * जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। ~ वाल्मीकि रामायण | ||
* माता का ह्रदय, शिशु कि पाठशाला है। ~ बीचर | * माता का ह्रदय, शिशु कि पाठशाला है। ~ बीचर | ||
==प्रेरक, उत्तेजित करना (Motivational)== | ==प्रेरक, उत्तेजित करना (Motivational)== | ||
* इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है। | * इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है। | ||
* सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन एडवर्ड | * सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता। ~ विल्सन एडवर्ड | ||
Line 788: | Line 702: | ||
* रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया। ~ जयशंकर प्रसाद | * रत्न मिट्टी से ही निकलते हैं, स्वर्ण मंजुषाओं ने तो कभी एक भी रत्न उत्पन्न नहीं किया। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है। ~ नेपोलियन | * असम्भव शब्द, मूर्खों के शब्दकोश में पाया जाता है। ~ नेपोलियन | ||
==प्रकृति, क़ुदरत (Nature)== | ==प्रकृति, क़ुदरत (Nature)== | ||
* खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स | * खिले हुए फूल और कुछ नहीं, बल्कि धरती की मुस्कराहट हैं। ~ ईई कमिंग्स | ||
* प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज को बेहतर समझा पाएंगे। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * प्रकृति की गहराई में देखें, और आप हर चीज को बेहतर समझा पाएंगे। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | * धुल स्वयं अपमान सह लेती है ओर बदले में फूलों का उपहार देती है। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | ||
==नव वर्ष, नया साल (New Year)== | ==नव वर्ष, नया साल (New Year)== | ||
* नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो। | * नव वर्ष मे आपकी सभी मनोकामनाये पूरी हो। | ||
* नव वर्ष मे हर क़दम पर आपको सफलता मिले। | * नव वर्ष मे हर क़दम पर आपको सफलता मिले। | ||
Line 813: | Line 723: | ||
* नव वर्ष शुभ हो। | * नव वर्ष शुभ हो। | ||
* नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे। | * नया साल आपको नया उत्साह प्रदान करे। | ||
==अवसर, मौक़ा, सुता, सुयोग (Opportunity)== | ==अवसर, मौक़ा, सुता, सुयोग (Opportunity)== | ||
* जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है। | * जो हानि हो चुकी है, उसके लिए शोक करना अधिक हानि को आमंत्रित करना है। | ||
* अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। ~ कहावत | * अवसर तुम्हारा दरवाज़ा एक ही बार खटखटाता है। ~ कहावत | ||
Line 844: | Line 752: | ||
==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ||
* धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | * धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | ||
* वह व्यक्ति महान है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है। ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | * वह व्यक्ति महान है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है। ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | ||
Line 859: | Line 766: | ||
==शांति, अमन, चैन (Peace)== | ==शांति, अमन, चैन (Peace)== | ||
* शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना इजाफ़ा करती है। ~ अज्ञात | * शांति, बौद्धिक क्षमता में कई गुना इजाफ़ा करती है। ~ अज्ञात | ||
* यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो। ~ अब्राहम लिंकन | * यदि शांति पाना चाहते हो, तो लोकप्रियता से बचो। ~ अब्राहम लिंकन | ||
Line 867: | Line 773: | ||
==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ==व्यक्तिगत, निजी, आत्म (Personal)== | ||
* मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन केलर | * मनुष्य अपनी क्षमताओं की कभी क़दर नहीं करता, वह हमेश उस चीज की आस लगाये रहता है जो उसके पास नहीं है। ~ हेलेन केलर | ||
* कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक | * कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। ~ बालगंगाधर तिलक | ||
Line 880: | Line 785: | ||
* मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | * मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | ||
* कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डा. राधाकृष्ण | * कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डा. राधाकृष्ण | ||
==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)== | ==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)== | ||
* चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है। ~ जवाहरलाल नेहरू | * चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविधालय है। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है। ~ हेनरी एडम | * यथार्थ को स्वीकार न करनें में ही व्यावहारिक राजनीति निहित है। ~ हेनरी एडम | ||
Line 892: | Line 795: | ||
==गरीब, गरीबी, निर्धन, निर्धनता, तंगी (Poverty)== | ==गरीब, गरीबी, निर्धन, निर्धनता, तंगी (Poverty)== | ||
* कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | * कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | ||
* गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन | * गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन | ||
Line 903: | Line 805: | ||
==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)== | ==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)== | ||
* आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिह्न है। ~ वैस्कल | * आत्म-प्रशंसा ओछेपन का चिह्न है। ~ वैस्कल | ||
* जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं। ~ अज्ञात | * जिन्हें कहीं से प्रशंसा नहीं मिलती, वे आत्म-प्रशंसा करते हैं। ~ अज्ञात | ||
Line 919: | Line 820: | ||
==समस्या, मसला (Problem)== | ==समस्या, मसला (Problem)== | ||
* विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है। | * विपत्ति मनुष्य को विचित्र साथियों से मिलाती है। | ||
* मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * मैं अति प्रतिभाशाली व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन में निचित तौर पर अधिक जिज्ञासु हूं और किसी भी समस्या को सुलझाने में अधिक देर तक लगा रहता हूं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
Line 934: | Line 834: | ||
* जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। | * जब सपने और इच्छाएं पर्याप्त बड़े होते हैं, परिस्थितियों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। | ||
* बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है। | * बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने कि आदत न पाले तो बेहतर है। | ||
==विकास, प्रगति, उन्नति (Progress)== | ==विकास, प्रगति, उन्नति (Progress)== | ||
Line 947: | Line 846: | ||
* वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। ~ रामतीर्थ | * वही उन्नति कर सकता है जो अपने आप को उपदेश देता है। ~ रामतीर्थ | ||
* त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है। ~ लाला लाजपत रॉय | * त्रुटियों के संशोधन का नाम ही उन्नति है। ~ लाला लाजपत रॉय | ||
==वादा, वचन, प्रतिज्ञा (Promise)== | ==वादा, वचन, प्रतिज्ञा (Promise)== | ||
* शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं। ~ मैकियावेली | * शाशक के पास वचन तोड़ने के हमेशा वैधानिक कारण होते हैं। ~ मैकियावेली | ||
==अभिमान, घमंडी, अहंकार, दंभी, गर्व (Proud)== | ==अभिमान, घमंडी, अहंकार, दंभी, गर्व (Proud)== | ||
* वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है। ~ अज्ञात | * वीर का असली दुश्मन उसका अहंकार है। ~ अज्ञात | ||
* आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। ~ प्रेमचन्द | * आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। ~ प्रेमचन्द | ||
Line 965: | Line 860: | ||
==सज़ा, दंड (Punishment)== | ==सज़ा, दंड (Punishment)== | ||
* दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए। ~ रामायण | * दंड द्वारा प्रजा की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए। ~ रामायण | ||
* दंड अन्यायी के लिए न्याय है। ~ अगस्तियन | * दंड अन्यायी के लिए न्याय है। ~ अगस्तियन | ||
Line 972: | Line 866: | ||
==धर्म, मज़हब (Religion)== | ==धर्म, मज़हब (Religion)== | ||
* जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है। ~ वाल्मीकि | * जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है। ~ वाल्मीकि | ||
* प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। ~ आचार्य तुलसी | * प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है| लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती। ~ आचार्य तुलसी | ||
Line 980: | Line 873: | ||
* अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है। ~ महात्मा गांधी | * अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है। ~ महात्मा गांधी | ||
* अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद | * अभागा वह है, जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता को भूल जाती है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
==संकल्प, प्रण (Resolution)== | ==संकल्प, प्रण (Resolution)== | ||
* इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है। ~ डिजरायली | * इस संसार में प्रत्येक वस्तु संकल्प शक्ति पर निर्भर है। ~ डिजरायली | ||
==सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर (Respect)== | ==सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर (Respect)== | ||
* आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। ~ प्रेमचन्द | * आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। ~ प्रेमचन्द | ||
* यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है। ~ शेख सादी | * यदि सम्मान खोकर आय बढती हो, तो उससे निर्धनता श्रेयस्कर है। ~ शेख सादी | ||
Line 996: | Line 885: | ||
==क्रांति (Revolution)== | ==क्रांति (Revolution)== | ||
* क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है। ~ अज्ञात | * क्रांति का उदय सदा पीड़ितों के हृदय एवं त्रस्त व्यक्तियों के अन्तःकरण में हुआ करता है। ~ अज्ञात | ||
* क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष। ~ फिदेल कास्त्रो | * क्रांति का अर्थ होता है अतीत और भविष्य के बीच एक जबर्दस्त संघर्ष। ~ फिदेल कास्त्रो | ||
Line 1,002: | Line 890: | ||
* जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है। ~ अज्ञात | * जहां कहीं अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहां अंततः विद्रोह का ज्वालामुखी फूटता है। ~ अज्ञात | ||
* 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी'। ~ राजीव चतुर्वेदी | * 'घूस का च्यवनप्राश खा कर न दीर्घायु बनो, ईमान की मिसाल अब मशाल बनके जल उठी'। ~ राजीव चतुर्वेदी | ||
==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ||
* प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | * प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद | * महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | * यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | ||
* अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | * अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | ||
* प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। ~ भगवान कृष्ण | * प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है। ~ भगवान कृष्ण | ||
* त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। ~ विनोबा | * त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से ब्याज। ~ विनोबा | ||
* पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। ~ संस्कृत सूक्ति | * पर-स्त्री, पर-धन, पर-निंदा, परिहास और बड़ों के सामने चंचलता का त्याग करना चाहिए। ~ संस्कृत सूक्ति | ||
* त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। ~ सुफियान सौरी | * त्याग यह नहीं कि मोटे और खुरदरे वस्त्र पहन लिए जायें और सूखी रोटी खायी जाये, त्याग तो यह है कि अपनी इच्छा अभिलाषा और तृष्णा को जीता जाये। ~ सुफियान सौरी | ||
==दुःख, कष्ट, उदास, म्लान, व्याधि (Sad)== | ==दुःख, कष्ट, उदास, म्लान, व्याधि (Sad)== | ||
* दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा। ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य | * दुःख की उपेक्षा करो, वह कम हो जाएगा। ~ सद्गुरु श्रीब्रह्मचेतन्य | ||
* अन्याय सहने वाले से ज़्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है। ~ प्लेटो | * अन्याय सहने वाले से ज़्यादा दुःखी, अन्याय करने वाला होता है। ~ प्लेटो | ||
Line 1,040: | Line 923: | ||
==विज्ञान (Science)== | ==विज्ञान (Science)== | ||
* धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | * धर्म, कला और विज्ञान वास्तव में एक ही वृक्ष की शाखा – प्रशाखाएं हैं। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन | ||
* विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है। ~ विल्ल डुरान्ट | * विज्ञान हमे ज्ञानवान बनाता है लेकिन दर्शन (फिलासफी) हमे बुद्धिमान बनाता है। ~ विल्ल डुरान्ट | ||
Line 1,048: | Line 930: | ||
==शांत, चुप, ख़ामोश (Silent)== | ==शांत, चुप, ख़ामोश (Silent)== | ||
* प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं। | * प्रत्येक स्थान और समय बोलने के योग्य नहीं होते, कभी-कभी मौन रह जाना बुरी बात नहीं। | ||
* वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है। | * वाणी का वर्चस्व रजत है किंतु मौन का मूल्य स्वर्ण के समान है। | ||
Line 1,061: | Line 942: | ||
* तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो। | * तुम्हे प्रत्येक का उपदेश सुनना चाहिए जबकि अपना उपदेश कुछ ही व्यक्तियों को दो। | ||
* जितना दिखाते हो उससे ज़्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए। | * जितना दिखाते हो उससे ज़्यादा तुम्हारे पास होना चाहिए, जितना जानते हो उससे कम तुम्हें बोलना चाहिए। | ||
==मुसकान, मुसकुराहट (Smile)== | ==मुसकान, मुसकुराहट (Smile)== | ||
* मुस्कान प्रेम की भाषा है। ~ हेवर | * मुस्कान प्रेम की भाषा है। ~ हेवर | ||
* मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं। | * मुस्कान एक शक्तिशाली हथियार हैं आप इस से फोलाद भी तोड़ सकते हैं। | ||
* हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है। ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय | * हंसी प्रकृति की सबसे बड़ी नियामत है। ~ डॉ. लक्ष्मणपति वार्ष्णेय | ||
* हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है। ~ महात्मा गांधी | * हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है। ~ महात्मा गांधी | ||
==आत्मा, रूह (Soul)== | ==आत्मा, रूह (Soul)== | ||
* सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए। ~ अवतार सिंह पाश | * सबसे खतरनाक वह दिशा होती है, जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए। ~ अवतार सिंह पाश | ||
* अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है। ~ अज्ञात | * अन्तरात्मा हमें न्यायाधीश के समान दण्ड देने से पूर्व मित्र की भांति चेतावनी देती है। ~ अज्ञात | ||
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* आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे | * आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे | ||
* अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरुप को आत्मा प्रकाशित करता है। ~ टैगोर | * अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरुप को आत्मा प्रकाशित करता है। ~ टैगोर | ||
==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ||
* दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही जरूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि। ~ जोसफ एडिसन | * दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही जरूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि। ~ जोसफ एडिसन | ||
* इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | * इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | ||
Line 1,105: | Line 980: | ||
* सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। | * सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। | ||
* हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है। | * हम जितना अध्ययन करते हैं उतना हमे अज्ञान का आभास होता है। | ||
==सफलता, विजय, जीत (Success)== | ==सफलता, विजय, जीत (Success)== | ||
* जीतता वह है जिसमें शौर्य, धैर्य, साहस, सत्व और धर्म होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | * जीतता वह है जिसमें शौर्य, धैर्य, साहस, सत्व और धर्म होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
* समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं। ~ एंथनी रॉबिन्स | * समस्त सफलताएं कर्म की नींव पर आधारित होती हैं। ~ एंथनी रॉबिन्स | ||
Line 1,177: | Line 1,050: | ||
==प्रतिभा, योग्यता, कौशल (Talent)== | ==प्रतिभा, योग्यता, कौशल (Talent)== | ||
* जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं। ~ बेन ओकरी | * जब जादू के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह कला बन जाता हैं। ~ बेन ओकरी | ||
* एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं। ~ अरस्तू | * एश्वर्य उपाधि में नहीं वरन् इस चेतना में है कि हम उसके योग्य हैं। ~ अरस्तू | ||
* वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है। | * वास्तव में बड़ा वह है जो, उदार है। | ||
==लक्ष्य, ध्येय, योजना, गंतव्य (Target)== | ==लक्ष्य, ध्येय, योजना, गंतव्य (Target)== | ||
* लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव्त्तियों को होम कर देना होता है। ~ सम्पूर्णानन्द | * लक्ष्य प्राप्ति के लिये सहज प्रव्त्तियों को होम कर देना होता है। ~ सम्पूर्णानन्द | ||
* सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है। ~ सत्य साईं बाबा | * सब मनुष्यों के कर्मों का लक्ष्य उन्नति कि चरम सीमा को प्राप्त करना है। ~ सत्य साईं बाबा | ||
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==शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु (Teacher)== | ==शिक्षक, अध्यापक, उस्ताद, गुरु (Teacher)== | ||
* माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं। ~ अरस्तु | * माता-पिता जीवन देते हैं, लेकिन जीने की कला तो शिक्षक ही सिखाते हैं। ~ अरस्तु | ||
* गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है। ~ शेख सादी | * गुरु की डांट-डपट पिता के प्यार से अच्छी है। ~ शेख सादी | ||
Line 1,211: | Line 1,080: | ||
==सोच, ख़याल, विचार, मत (Thinking)== | ==सोच, ख़याल, विचार, मत (Thinking)== | ||
* उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो। ~ विक्टर ह्यूगो | * उस विचार को रोक पाना नामुमकिन है, जिसका वक्त आ गया हो। ~ विक्टर ह्यूगो | ||
* संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु। तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है। ~ चाणक्य | * संसार में न कोई तुम्हारा मित्र है न शत्रु। तुम्हारा अपना विचार ही, इसके लिए उत्तरदायी है। ~ चाणक्य | ||
Line 1,236: | Line 1,104: | ||
* जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। ~ स्वामी विवेकानंद | * जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं। ~ स्वामी रामदास | * हम दुनिया को नहीं बदल सकते, मगर दुनिया के प्रति अपना दृष्टिकोण तो बदल सकते हैं। ~ स्वामी रामदास | ||
==समय, काल, वक़्त (Time)== | ==समय, काल, वक़्त (Time)== | ||
* समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है। ~ बाबा फरीद | * समय पर कार्य नहीं करने से व्यक्ति लाभ और उन्नति से कोसों दूर हो जाता है। ~ बाबा फरीद | ||
* भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है। ~ जॉनसन | * भविष्य वर्तमान के द्वारा क्रय किया जाता है। ~ जॉनसन | ||
Line 1,286: | Line 1,152: | ||
==विश्वास, यक़ीन, भरोसा (Trust)== | ==विश्वास, यक़ीन, भरोसा (Trust)== | ||
* विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है। | * विश्वास से आश्चर्य-जनक प्रोत्साहन मिलता है। | ||
* विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है। ~ महात्मा गांधी | * विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है। ~ महात्मा गांधी | ||
Line 1,294: | Line 1,159: | ||
* विश्वास का अभाव अज्ञान है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * विश्वास का अभाव अज्ञान है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* विश्वास जीवन कि शक्ति है। ~ टालस्टाय | * विश्वास जीवन कि शक्ति है। ~ टालस्टाय | ||
==सच, सत्य, साँच (Truth)== | ==सच, सत्य, साँच (Truth)== | ||
* अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज़्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है। ~ मार्क ट्वेन | * अगर आप सच बोलते हैं, तो आपको ज़्यादा कुछ याद रखने की जरुरत नहीं है। ~ मार्क ट्वेन | ||
* सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है। | * सत्य स्वयं सिद्ध नहीं है, उसे सिद्ध करना पड़ता है। | ||
Line 1,303: | Line 1,166: | ||
* डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। ~ प्रेमचंद | * डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। ~ प्रेमचंद | ||
* असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | * असत् का अस्तित्व नहीं है और सत् का नाश नहीं है। ~ योगीराज श्रीकृष्ण | ||
==समझना, सुबोध (Understanding)== | ==समझना, सुबोध (Understanding)== | ||
* ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन | * ईश्वर ने समझ की कोई सीमा नहीं रखी है। - बेकन | ||
* संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे | * संघर्ष और उथल-पुथल के बिना जीवन बिल्कुल नीरस हो जाता है। इसलिए जीवन में आने वाली विषमताओं को सह लेना ही समझदारी है। – विनोबा भावे | ||
* समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स | * समझ मस्तिष्क का प्रकाश है। – विल्स | ||
==एकता, योग, मेल (Unity)== | ==एकता, योग, मेल (Unity)== | ||
* एकता से हमारा अस्तित्व कायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है। ~ जॉन डिकिन्सन | * एकता से हमारा अस्तित्व कायम रहता है, विभाजन से हमारा पतन होता है। ~ जॉन डिकिन्सन | ||
* एकता चापलूसी से कायम नहीं की जा सकती। ~ महात्मा गाँधी | * एकता चापलूसी से कायम नहीं की जा सकती। ~ महात्मा गाँधी | ||
Line 1,322: | Line 1,180: | ||
==अक़्लमंद, चतुर, होशियार (Wise)== | ==अक़्लमंद, चतुर, होशियार (Wise)== | ||
* सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए। | * सतर्कता तभी सार्थक होती है, जब सदैव बरती जाए। | ||
* उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | * उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन। ~ रवीन्द्रनाथ टैगोर | ||
Line 1,338: | Line 1,195: | ||
* ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये। ~ टॉल्स्टॉय | * ना तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे और ना ही इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये। ~ टॉल्स्टॉय | ||
* प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो। | * प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, बुरा किसी का मत करो। | ||
==महिला, नारी, औरत, स्त्री (Woman)== | ==महिला, नारी, औरत, स्त्री (Woman)== | ||
* जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है। | * जीवन की कला को अपने हाथों से साकार कर नारी ने सभ्यता और संस्कृति का रूप निखारा है, नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार है। | ||
* स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है। ~ अरस्तू | * स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है। ~ अरस्तू | ||
Line 1,362: | Line 1,217: | ||
==काम, कार्य, कर्म, कृत्य (Work)== | ==काम, कार्य, कर्म, कृत्य (Work)== | ||
* परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। ~ चाणक्य | * परिश्रम वह चाबी है,जो किस्मत का दरवाजा खोल देती है। ~ चाणक्य | ||
* किसी कार्य को ख़ूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन | * किसी कार्य को ख़ूबसूरती से करने के लिए मनुष्य को उसे स्वयं करना चाहिए। ~ नेपोलियन | ||
Line 1,409: | Line 1,263: | ||
==चिंता, आकुलता (Worry)== | ==चिंता, आकुलता (Worry)== | ||
* कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। ~ स्वेट मार्डेन | * कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
* अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। ~ शेख सादी | * अगर इन्सान सुख-दुःख की चिंता से ऊपर उठ जाए, तो आसमान की ऊंचाई भी उसके पैरों तले आ जाय। ~ शेख सादी | ||
Line 1,424: | Line 1,277: | ||
==युवा, जवानी (Youth)== | ==युवा, जवानी (Youth)== | ||
* युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर | * युवा होने का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि भावनाओं का पुंज और उत्साह का स्त्रोत हो | ~ गणेश शंकर | ||
==Other Quotes== | ==Other Quotes== | ||
* स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | * स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | ||
* स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | * स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद |
Revision as of 14:07, 11 September 2012
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- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
अनमोल वचन |
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