केरल का इतिहास: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 21: Line 21:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत के राज्यों का इतिहास}}
{{भारत के राज्यों का इतिहास}}
{{केरल}}
[[Category:केरल]]
[[Category:केरल]]
[[Category:केरल का इतिहास]]
[[Category:केरल का इतिहास]]

Revision as of 10:03, 1 December 2012

केरल भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण-पश्चिमी सिरे पर स्थित है। स्‍वतंत्र भारत में जब छोटी छोटी रियासतों का विलय हुआ तब त्रावनकोरे तथा कोचीन रियासतों को मिलाकर 1 जुलाई, 1949 को 'त्रावनकोर कोचीन' राज्‍य बना दिया गया, लेकिन मालाबार मद्रास प्रांत के अधीन ही रहा। राज्‍य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अंतर्गत 'त्रावनकोर-कोचीन राज्‍य तथा मालाबार' को मिलाकर 1 नवंबर, 1956 को 'केरल राज्‍य' का निर्माण किया गया। हिन्दुओं और मुसलमानों के अतिरिक्त यहाँ ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं। केरल का इतिहास अपने वाणिज्य से निकट से जुड़ा है, जो हाल तक अपने मसाले के व्यापार के इर्द-गिर्द घूमता था। भारत के ‘स्पाइस कोस्ट’ के रूप में विख्यात, प्राचीन केरल ने विश्वभर के पर्यटकों और व्यापारियों की मेजबानी की है जिनमें शामिल हैं ग्रीक, रोमन, अरबी, चाइनीज़, पुर्तग़ाली, डच, फ्रांसीसी, और अंग्रेज़। इनमें से लगभग सभी ने इस भूमि पर अनेक रूपों में, जैसे- स्थापत्य, व्यंजन-विधि, साहित्य में अपनी छाप छोड़ी है।

'केरल' शब्द की व्युत्पत्ति

'केरल' शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं । सामान्यतः कहा जाता है कि चेर - स्थल और कीचड और अलम - प्रदेश शब्दों के योग से केरल शब्द बना है । केरलम शब्द से यह अर्थ भी निकलता है कि वह भूभाग जो समुद्र से निकला है अथवा समुद्र और पर्वत का संगम स्थान है । केरल को प्राचीन विदेशी यायावरों ने मलाबार नाम से भी पुकारा है।[1]

महाप्रस्तर युग

हज़ारों वर्ष पहले ही केरल आबाद था। प्रारंभ में लोग पहा़ड़ी इलाकों में रहते थे। प्राचीन प्रस्तर युग के कतिपय खण्डहर केरल के कुछ भागों से प्राप्त हुए हैं । प्राचीन खण्डहरों के बाद महाप्रस्तर स्मारिकाएँ आती हैं जो केरल में मनुष्य के अधिवास की प्रामाणिक जानकारी देती हैं जो अधिकतर श्मशान रूप में हैं। कुडक्कल्लु (छतरी नुमा चट्टान), तोप्पिक्कल्लु (टोपी नुमा चट्टान), कन्मेशा (पत्थर से बनी मेज़), मुनियरा (मुनियों की कोठी), नन्नन्ङाडि (एक तरह की कब्र अथवा पात्र जिसमें अस्थियाँ डाली जाती हैं) आदि विभिन्न प्रकार की महाप्रस्तर युगीन कब्रें खोज निकाली गई हैं। इनका काल ईसा पूर्व 500 से ईस्वी सन् 300 तक माना जाता है । अधिकतर महाप्रस्तर युगीन स्मारिकाएँ पहाडी क्षेत्र से प्राप्त हुई। यह इस बात का प्रमाण है कि आदिकालीन अधिवास स्थान वहीं था।[1]

संघमकाल

केरल में आवास केन्द्रों के विकास का दूसरा चरण संघमकाल माना जाता है। इसी काल में प्राचीन तमिल साहित्य निर्मित हुआ था। संघमकाल सन् 300 ई. से 800 ई. तक था। इस काल में भारत के अन्यान्य प्रदेशों से लोग केरल में आकर बसने लगे। इसी काल में वहाँ बौद्ध और जैन धर्मों का प्रचार हुआ था। ब्राह्मण लोग भी केरल पहुँच गए। केरल के विभिन्न क्षेत्रों में ब्राह्मणों की कुलमिलाकर 64 बस्तियाँ थीं। ईसा की पहली शताब्दी में ही ईसाई धर्म केरल में पहुँच गया था। कानायि के थॉमस के नेतृत्व में सन् 345 में पश्चिम एशिया के सात कबीलों के 400 ईसाई धर्मावलम्बी केरल आकर बसे जिनसे केरल में ईसाई धर्म प्रचार को बल मिला। जिस केरल के साथ अरबों का समुद्र मार्ग से व्यापार चल रहा था उस केरल का इस्लाम धर्म से ईसा की आठवीं शती में ही परिचित होना और केरल द्वारा उसका स्वागत किया जाना एकदम स्वाभाविक था।[1]

प्राचीन केरल को इतिहासकार तमिल भूभाग का अंग समझते थे। केरल की निजी विशेषताओं के विकास में जो तत्त्व सहायक हुए उनमें मुख्य हैं - लोगों का प्रकृति प्रेम, आवास केन्द्रों का विकास, उत्पादन केन्द्रों का उदय और भाषा का विकास। जब क्षेत्रीय शक्तियों के हाथ में कृषि और संसाधनों का नियंत्रण आ गया तब केरल को सामाजिक परिवर्तन का सामना करना पडा जो अनेक पीढियों तक चला। फलस्वरूप छोटी-छोटी रियासतों से लेकर बडे-बडे राज्यों तक का विकास हुआ। परिणामतः केरल का एक नया इतिहास बना जो साम्राज्यों और युद्धों का इतिहास है, भाषा और साहित्य के विकास का इतिहास है, विदेशी सेनाओं के आगमन तथा उनके दीर्घकालीन उपनिवेश बन जाने का इतिहास है, जाति पाँति और शोषण का इतिहास है, शिक्षा में हुई प्रगति और वैज्ञानिक क्षेत्रों में हुई तर्क्की का इतिहास है, व्यापारिक प्रगति और सामाजिक नबजागरण और जनतांत्रिक संस्थाओं के आविर्भावों का इतिहास है। [1] सुविधा की दृष्टि से केरल के इतिहास को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं।

  1. प्राचीन केरल
  2. मध्यकालीन केरल
  3. आधुनिक केरल


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 इतिहास (हिंदी) keralatourism.org। अभिगमन तिथि: 1 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख