मथानी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Mathani.jpg|thumb|मथानी]] | |||
'''मथानी''' लकड़ी का एक घरेलू उपकरण है जो [[दही]] मथने और मिलाने के काम में प्रयोग किया जाता है। इसे रई भी कहा जाता है। यह हाथ से चलाने वाली होती है। एक समय था जब हर घर-घर में पशु थे और भोर होते ही मथी जाती थी दही से भरी [[हंडिया]]। [[मक्खन]] मथने के लिए उपयोग की जाती थी लकड़ी से बनी मथानी। | |||
==प्रयोग== | |||
*मथानी का प्रयोग मक्खन निकालने, लस्सी बनाने, और मठा ([[छाछ]]) आदि निकालने के लिए किया जाता है। | *मथानी का प्रयोग मक्खन निकालने, लस्सी बनाने, और मठा ([[छाछ]]) आदि निकालने के लिए किया जाता है। | ||
*आजकल ये उपकरण बिजली का प्रयोग किया जाता है। | *आजकल ये उपकरण बिजली का प्रयोग किया जाता है। | ||
==सीता जी की मथानी== | |||
बहुत पुरानी कहावत प्रचलित है जब भगवान [[श्रीराम|श्री राम]] को 14 वर्ष का वनवास हुआ था तब भगवान श्री राम ने अपना समय नीमसार में व्यतीत किया था वहाँ पर इस मथानी का प्रयोग माता [[सीता]] करती थीं। साथ ही कहावत है कि जो व्यक्ति अभिमान से वशीभूत होकर कहता है कि मै इस मथानी को उठा लूँगा वह व्यक्ति कदापि मथानी को हिला भी नही सकता है परन्तु जो व्यक्ति श्रद्वा भाव से मथानी को उठाने से पूर्व मथानी के चरण छूकर भक्ति भाव से उठाता है तो वह इसे बच्चे के खिलौनों की तरह उठा सकता है।<ref>{{cite web |url=http://naimishdarshan.blogspot.in/ |title=सीता जी की मथानी |accessmonthday=21 जून |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=Naimish Darshan |language=हिंदी }}</ref> | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[http://halchal.gyandutt.com/2008/09/blog-post_03.html ऐतिहासिक मन्थन से क्या निकलता है?] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भूले बिसरे शब्द}}{{घरेलू उपकरण}} | {{भूले बिसरे शब्द}}{{घरेलू उपकरण}} | ||
[[Category:भूला-बिसरा भारत]][[Category:घरेलू उपकरण]][[Category:संस्कृति कोश]] | [[Category:भूला-बिसरा भारत]][[Category:घरेलू उपकरण]][[Category:संस्कृति कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 13:36, 21 June 2013
thumb|मथानी मथानी लकड़ी का एक घरेलू उपकरण है जो दही मथने और मिलाने के काम में प्रयोग किया जाता है। इसे रई भी कहा जाता है। यह हाथ से चलाने वाली होती है। एक समय था जब हर घर-घर में पशु थे और भोर होते ही मथी जाती थी दही से भरी हंडिया। मक्खन मथने के लिए उपयोग की जाती थी लकड़ी से बनी मथानी।
प्रयोग
- मथानी का प्रयोग मक्खन निकालने, लस्सी बनाने, और मठा (छाछ) आदि निकालने के लिए किया जाता है।
- आजकल ये उपकरण बिजली का प्रयोग किया जाता है।
सीता जी की मथानी
बहुत पुरानी कहावत प्रचलित है जब भगवान श्री राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था तब भगवान श्री राम ने अपना समय नीमसार में व्यतीत किया था वहाँ पर इस मथानी का प्रयोग माता सीता करती थीं। साथ ही कहावत है कि जो व्यक्ति अभिमान से वशीभूत होकर कहता है कि मै इस मथानी को उठा लूँगा वह व्यक्ति कदापि मथानी को हिला भी नही सकता है परन्तु जो व्यक्ति श्रद्वा भाव से मथानी को उठाने से पूर्व मथानी के चरण छूकर भक्ति भाव से उठाता है तो वह इसे बच्चे के खिलौनों की तरह उठा सकता है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सीता जी की मथानी (हिंदी) Naimish Darshan। अभिगमन तिथि: 21 जून, 2013।