उमाशंकर जोशी: Difference between revisions
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उमाशंकर जोशी का जन्म [[गुजरात]] के [[साबरकांठा ज़िला|साबरकांठा ज़िले]] के एक गांव में [[21 जुलाई]] [[1911]] ई. में हुआ था। उनकी औपचारिक शिक्षा खंडों में पूरी हुई। [[1930]] में [[असहयोग आंदोलन]] में भाग लेने के लिए विद्यालय छोड़ दिया था। बाद में 1936 में [[मुंबई विश्वविद्यालय]] से एम.ए. किया। | उमाशंकर जोशी का जन्म [[गुजरात]] के [[साबरकांठा ज़िला|साबरकांठा ज़िले]] के एक गांव में [[21 जुलाई]] [[1911]] ई. में हुआ था। उनकी औपचारिक शिक्षा खंडों में पूरी हुई। [[1930]] में [[असहयोग आंदोलन]] में भाग लेने के लिए विद्यालय छोड़ दिया था। बाद में [[1936]] में [[मुंबई विश्वविद्यालय]] से एम.ए. किया। | ||
==कार्यक्षेत्र== | ==कार्यक्षेत्र== | ||
उमाशंकर जोशी प्रतिभावान [[कवि]] और साहित्यकार थे। 1931 में प्रकाशित काव्य संकलन 'विश्वशांती' से उनकी ख्याति एक समर्थ कवि के रूप में हो गई थी। काव्य के अतिरिक्त उन्होंने साहित्य के अन्य अंगों, यथा [[कहानी]], [[नाटक]], [[उपन्यास]], [[आलोचना (साहित्य)|आलोचना]], [[निबंध]] आदि को भी पोषित किया। आधुनिक और [[गांधी युग]] के साहित्यकारों में उनका शीर्ष स्थान है। जोशीजी अध्यापक और संपादक रहे। वे गुजरात विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे। फिर वहां के वाइस चांसलर भी बने। उन्हें [[राज्यसभा]] का सदस्य नामजद किया गया था। [[साहित्य अकादमी]] का अध्यक्ष बनाया गया। [[1979]] में वे [[शांति निकेतन|शांतिनिकेतन]] के विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए। उन्हें अनेक विश्वविद्यालयों ने डी.लिट्. की मानद उपाधियां दीं। | उमाशंकर जोशी प्रतिभावान [[कवि]] और साहित्यकार थे। 1931 में प्रकाशित काव्य संकलन 'विश्वशांती' से उनकी ख्याति एक समर्थ कवि के रूप में हो गई थी। काव्य के अतिरिक्त उन्होंने साहित्य के अन्य अंगों, यथा [[कहानी]], [[नाटक]], [[उपन्यास]], [[आलोचना (साहित्य)|आलोचना]], [[निबंध]] आदि को भी पोषित किया। आधुनिक और [[गांधी युग]] के साहित्यकारों में उनका शीर्ष स्थान है। जोशीजी अध्यापक और संपादक रहे। वे गुजरात विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे। फिर वहां के वाइस चांसलर भी बने। उन्हें [[राज्यसभा]] का सदस्य नामजद किया गया था। [[साहित्य अकादमी]] का अध्यक्ष बनाया गया। [[1979]] में वे [[शांति निकेतन|शांतिनिकेतन]] के विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए। उन्हें अनेक विश्वविद्यालयों ने डी.लिट्. की मानद उपाधियां दीं।<ref>पुस्तक- भारतीय चरित कोश | लेखक- लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' | पृष्ठ संख्या- 104</ref> | ||
==कृतियाँ== | ==कृतियाँ== | ||
उमाशंकर जोशी के प्रमुख काव्य ग्रंथ हैं- विश्वशांति (6 खंडों में) गंगोत्री, निशीथ, गुलेपोलांड, प्राचीना, आतिथ्य और वसंत वर्ष, महाप्रस्थान, अभिज्ञा (एकांकी); सापनाभरा, शहीद (कहानी); श्रावनी मेणो, विसामो (उपन्यास); पारंकाजण्या (निबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण (संपादन)। 'विश्वशांति' में अहिंसा और शांति के लिए किए गए गांधीजी के प्रयत्नों की महिमा का वर्णन है। इसे गुजराती काव्य में नए युग का प्रवर्तक माना जाता है। | उमाशंकर जोशी के प्रमुख काव्य ग्रंथ हैं- विश्वशांति (6 खंडों में) गंगोत्री, निशीथ, गुलेपोलांड, प्राचीना, आतिथ्य और वसंत वर्ष, महाप्रस्थान, अभिज्ञा (एकांकी); सापनाभरा, शहीद (कहानी); श्रावनी मेणो, विसामो (उपन्यास); पारंकाजण्या (निबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण (संपादन)। 'विश्वशांति' में अहिंसा और शांति के लिए किए गए गांधीजी के प्रयत्नों की महिमा का वर्णन है। इसे गुजराती काव्य में नए युग का प्रवर्तक माना जाता है। | ||
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Revision as of 12:51, 19 July 2014
उमाशंकर जोशी
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पूरा नाम | उमाशंकर जोशी |
अन्य नाम | वासुकी (उपनाम) |
जन्म | 21 जुलाई, 1911 |
जन्म भूमि | साबरकांठा ज़िला, गुजरात |
मृत्यु | 19 दिसम्बर, 1988 |
मृत्यु स्थान | मुम्बई, महाराष्ट्र |
कर्म-क्षेत्र | कवि, उपन्यासकार |
मुख्य रचनाएँ | विश्वशांति, गंगोत्री, निशीथ, गुलेपोलांड, प्राचीना, आतिथ्य और वसंत वर्ष, महाप्रस्थान, अभिज्ञा, सापनाभरा आदि |
भाषा | गुजराती |
विद्यालय | मुंबई विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम. ए. |
पुरस्कार-उपाधि | डी.लिट्. , ज्ञानपीठ पुरस्कार (1987), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1973) |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | उमाशंकर जोशी को राज्यसभा का सदस्य नामजद किया गया था। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
उमाशंकर जोशी (अंग्रेज़ी: Umashankar Joshi, जन्म: 21 जुलाई, 1911 - मृत्यु: 19 दिसम्बर, 1988) ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित और गुजराती भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार है। इनका उपनाम 'वासुकी' है।
जीवन परिचय
उमाशंकर जोशी का जन्म गुजरात के साबरकांठा ज़िले के एक गांव में 21 जुलाई 1911 ई. में हुआ था। उनकी औपचारिक शिक्षा खंडों में पूरी हुई। 1930 में असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए विद्यालय छोड़ दिया था। बाद में 1936 में मुंबई विश्वविद्यालय से एम.ए. किया।
कार्यक्षेत्र
उमाशंकर जोशी प्रतिभावान कवि और साहित्यकार थे। 1931 में प्रकाशित काव्य संकलन 'विश्वशांती' से उनकी ख्याति एक समर्थ कवि के रूप में हो गई थी। काव्य के अतिरिक्त उन्होंने साहित्य के अन्य अंगों, यथा कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना, निबंध आदि को भी पोषित किया। आधुनिक और गांधी युग के साहित्यकारों में उनका शीर्ष स्थान है। जोशीजी अध्यापक और संपादक रहे। वे गुजरात विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे। फिर वहां के वाइस चांसलर भी बने। उन्हें राज्यसभा का सदस्य नामजद किया गया था। साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया। 1979 में वे शांतिनिकेतन के विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए। उन्हें अनेक विश्वविद्यालयों ने डी.लिट्. की मानद उपाधियां दीं।[1]
कृतियाँ
उमाशंकर जोशी के प्रमुख काव्य ग्रंथ हैं- विश्वशांति (6 खंडों में) गंगोत्री, निशीथ, गुलेपोलांड, प्राचीना, आतिथ्य और वसंत वर्ष, महाप्रस्थान, अभिज्ञा (एकांकी); सापनाभरा, शहीद (कहानी); श्रावनी मेणो, विसामो (उपन्यास); पारंकाजण्या (निबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण (संपादन)। 'विश्वशांति' में अहिंसा और शांति के लिए किए गए गांधीजी के प्रयत्नों की महिमा का वर्णन है। इसे गुजराती काव्य में नए युग का प्रवर्तक माना जाता है।
पुरस्कार
- ज्ञानपीठ पुरस्कार (1987)
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1973)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- भारतीय चरित कोश | लेखक- लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' | पृष्ठ संख्या- 104
बाहरी कड़ियाँ
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