अंजू बॉबी जॉर्ज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 11: Line 11:
|पति/पत्नी=राबर्ट बॉबी जॉर्ज
|पति/पत्नी=राबर्ट बॉबी जॉर्ज
|संतान=
|संतान=
|कर्म भूमि=चीरनचीरा (केरल)
|कर्म भूमि=[[केरल]]
|खेल-क्षेत्र=एथलेटिक्स (ऊँची कूद-100 मी., लंबी कूद-6.74)
|खेल-क्षेत्र=एथलेटिक्स (ऊँची कूद-100 मी., लंबी कूद-6.74)
|शिक्षा=
|शिक्षा=
Line 17: Line 17:
|पुरस्कार-उपाधि=[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]
|पुरस्कार-उपाधि=[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]
|प्रसिद्धि=
|प्रसिद्धि=
|विशेष योगदान=पेरिस में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंजू बी. जॉर्ज ने लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर [[भारत]] को प्रथम बार विश्वस्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया।
|विशेष योगदान=पेरिस में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंजू बी. जॉर्ज ने लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर [[भारत]] को पहली बार विश्वस्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया था।
|नागरिकता=भारतीय
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|संबंधित लेख=
Line 28: Line 28:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''अंजू बॉबी जॉर्ज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anju Bobby George'') [[भारत]] की प्रसिद्ध एथलेटिक्स हैं। अंजू ने [[सितम्बर]] [[2003]], पेरिस में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनसिप लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर [[भारत]] को प्रथम बार विश्वस्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया। अंजू बी. जॉर्ज [[वर्ष]] [[2003]] में 25 वर्ष की उम्र में विश्व एथलेटिक्स में भारत की प्रथम पदक विजेता बनी। एक नज़रिये से देखा जाए तो अंजू का प्रदर्शन भारतीय एथलेटिक्स को नई दिशा देने की पहल है। इससे पहले भारत का नाम एथलेटिक्स में जरा-सी चूक के लिये जाना जाता था। [[2004]] में अंजू बॉबी जॉर्ज को '[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]' सम्मान प्रदान किया गया।<ref  name="a">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=100 प्रसिद्धा भारतीय खिलाड़ी|लेखक=चित्रा गर्ग|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजपाल एंड सन्ज़, कश्मीरी गेट दिल्ली|संकलन=भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=11-15|url=}}</ref>
'''अंजू बॉबी जॉर्ज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anju Bobby George'') [[भारत]] की प्रसिद्ध एथलीट हैं। अंजू ने [[सितम्बर]] [[2003]], पेरिस में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनसिप लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर [[भारत]] को पहली बार विश्वस्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया था। अंजू बी. जॉर्ज [[वर्ष]] [[2003]] में 25 वर्ष की उम्र में विश्व एथलेटिक्स में भारत की प्रथम पदक विजेता बनी। एक नज़रिये से देखा जाए तो अंजू का प्रदर्शन भारतीय एथलेटिक्स को नई दिशा देने की पहल है। इससे पहले भारत का नाम एथलेटिक्स में जरा-सी चूक के लिये जाना जाता था। [[2004]] में अंजू बॉबी जॉर्ज को '[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]' सम्मान प्रदान किया गया।<ref  name="a">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=100 प्रसिद्धा भारतीय खिलाड़ी|लेखक=चित्रा गर्ग|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजपाल एंड सन्ज़, कश्मीरी गेट दिल्ली|संकलन=भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=11-15|url=}}</ref>
==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
अंजू का जन्म [[19 अप्रैल]], [[1977]] दक्षिण मध्य केरल के छोटे से कस्बा कोट्टायम के ज़िले में चीरनचीरा में हुआ। वह बचपन में सेंट एनी गर्ल्स स्कूल चंगी ताचेरी में पढ़ती थी। उसने पाँच वर्ष की उम्र में एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। उसकी माँ ग्रेसी तथा पिता के. टी. मार्कोस ने अपनी बेटी के एथलेटिक्स की दिशा में बढ़ते कदमों में रुचि लेकर उसे आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया। उसके पिता का फर्नीचर का व्यवसाय है। अंजू के स्कूल ने उसके लिए कूद थ्रो और दौड़ने के लिए अलग से कार्यक्रम बनाकर उसे अभ्यास के लिए पर्याप्त मौका दिया। इसके बाद अंजू सी. के. केश्वरन स्मारक हाई स्कूल कोरूथोडू चली गई। वहाँ सर थॉमस ने उसकी कला को चमकाया और तब अंजू ने स्कूल को लगातार 13वें साल ओवरऑल खिताब दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ उसने ऊँची कूद, लम्बी कूद, 100 मी. दौड़ और हैप्थलॉन आदि सभी खेलों की प्रैक्टिस की। उसका आदर्श [[पी. टी. उषा]] थीं। [[1960]] [[मिल्खा सिंह]] ने रोम ओलंपिक में दौड़ में विश्व रिकार्ड फिर भी पदक पाने में चूक गए। [[1976]] में श्रीराम सिंग मांट्रियल में राष्ट्रीय रिकार्ड बनाने के बावजूद सातवें स्थान पर रह कर पदक पाने से चूक गए, इसी प्रकार गुरबचन सिंग रंधावा भी चूके। [[1984]] में एंजिल्स में पी. टी. उषा एक मिनट के सौवें हिस्से से पदक पाने से चूक गई।
अंजू का जन्म [[19 अप्रैल]], [[1977]] दक्षिण मध्य [[केरल]] के कोट्टायम ज़िले के छोटे से कस्बा चीरनचीरा में हुआ। वह बचपन में सेंट एनी गर्ल्स स्कूल चंगी ताचेरी में पढ़ती थी। इन्होंने पाँच वर्ष की उम्र में एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। इनकी माँ ग्रेसी तथा पिता के. टी. मार्कोस ने अपनी बेटी के एथलेटिक्स की दिशा में बढ़ते कदमों में रुचि लेकर उसे आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया। इनके पिता का फर्नीचर का व्यवसाय है। अंजू के स्कूल ने उसके लिए कूद थ्रो और दौड़ने के लिए अलग से कार्यक्रम बनाकर उसे अभ्यास के लिए पर्याप्त मौका दिया। इसके बाद अंजू सी. के. केश्वरन स्मारक हाई स्कूल कोरूथोडू चली गईं। वहाँ सर थॉमस ने उसकी कला को चमकाया और तब अंजू ने स्कूल को लगातार 13वें साल ओवरऑल खिताब दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ अंजू ने ऊँची कूद, लम्बी कूद, 100 मी. दौड़ और हैप्थलॉन आदि सभी खेलों की प्रैक्टिस की। अंजू की आदर्श [[पी. टी. उषा]] थीं।
==वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियन==
==खेल जीवन==
परन्तु सितम्बर 2003 में पेरिस में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियन में अंजू बी. जॉर्ज ने लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर भारत को प्रथम बार विश्व-स्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया। अंजू ने इस स्तर तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की। उसके पति राबर्ट बॉबी जॉर्ज उनके कोच हैं, जिनके नाम लंबी कूद विश्व रिकार्ड है। अंजू के घर और ससुराल दोनों जगह खेल का माहौल है। पति बॉबी जॉर्ज ने अंजू के लिए अपना ट्रिपल जंप में कैरियर छोड़ दिया ताकि वह पूरा समय अंजू की कोचिंग में लगा सके। अंजू कहती कि वह आज जहाँ है अपने पति की वजह से है।
सितम्बर 2003 में पेरिस में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियन में अंजू बी. जॉर्ज ने लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर भारत को पहली बार विश्व-स्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया। अंजू ने इस स्तर तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की। उसके पति राबर्ट बॉबी जॉर्ज उनके कोच हैं, जिनके नाम लंबी कूद विश्व रिकार्ड है। अंजू के घर और ससुराल दोनों जगह खेल का माहौल है। पति बॉबी जॉर्ज ने अंजू के लिए अपना ट्रिपल जंप में कैरियर छोड़ दिया ताकि वह पूरा समय अंजू की कोचिंग में लगा सके। अंजू कहती कि वह आज जहाँ है अपने पति की वजह से है। विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने पर अंजू ने कहा- "देश के लिए पदक जीतकर तथा दुनिया में देश का नाम रोशन करने पर गर्व महसूस कर रही हूँ और अपने इस पदक को मैं राष्ट्र को समर्पित करती हूँ।"<ref  name="a"/>
विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने पर अंजू ने कहा- "देश के लिए पदक जीतकर तथा दुनिया में देश का नाम रोशन करने पर गर्व महसूस कर रही हूँ और अपने इस पदक को मैं राष्ट्र को समर्पित करती हूँ।"<ref  name="a"/>
अंजू का प्रदर्शन इस मायने में भी सराहनीय कहा जा सकता है कि इस वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 210 देशों नें भाग लिया और अंजू ने उन प्रतियोगियों के बीच पदक प्राप्त किया। यह किसी भारतीय एथलीट द्वारा किया गया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। अंजू ने अपनी सफलता का राज़ बताते हुए कहा- आप जो भी कर रहे हैं, उस पर भरोसा होना चाहिए। जब लगभग ग़रीब देश पदक जीत सकते हैं तो [[भारत]] क्यों नहीं? अगर मैं भारत में 6.74 मीटर की छलांग दो बार लगा सकती हूँ तो आप भी ऐसा कर सकते हैं। अंजू मार्कोस (विवाह पूर्व नाम) को [[1999]] में लगा था कि अब वह कभी नहीं खेल पाएगी। उसको खेल जीवन समाप्ति की ओर लगने लगा था। जब दक्षिण एशियाई चैंपियनशिप में उसने रजत जीतने के साथ ही टखने में गहरे ज़ख्म का सामना किया। इस चोट के कारण वह सिडनी [[ओलम्पिक खेल|ओलंपिक]] ([[2000]]) में भाग नहीं ले सकी और दो वर्ष तक उसे खेलों से दूर रहना पड़ा।
====सराहनीय प्रदर्शन====
====कैरियर को नई दिशा====
अंजू का प्रदर्शन इस मायने में भी सराहनीय कहा जा सकता है कि इस वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 210 देशों नें भाग लिया और अंजू ने उन प्रतियोगियों के बीच पदक प्राप्त किया। यह किसी भारतीय एथलीट द्वारा किया गया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। अंजू ने अपनी सफलता का राज़ बताते हुए कहा- आप जो भी कर रहे हैं, उस पर भरोसा होना चाहिए। जब लगभग गरीब देश पदक जीत सकते हैं तो भारत क्यों नहीं? अगर मैं भारत में 6.74 मीटर की छलांग दो बार लगा सकती हूँ तो आप भी ऐसा कर सकते हैं। अंजू मार्कोस (विवाहपूर्व नाम) को [[1999]] में लगा था कि अब वह कभी नहीं खेल पाएगी। उसको खेल जीवन समाप्ति की ओर लगने लगा था। जब दक्षिण एशियाई चैंपियनशिप में उसने रजत जीतने के साथ ही टखने में गहरे ज़ख्म का सामना किया। इस चोट के कारण वह सिडनी [[ओलम्पिक खेल|ओलंपिक]] ([[2000]]) में भाग नहीं ले सकी और दो वर्ष तक उसे खेलों से दूर रहना पड़ा।
[[2001]] में अंजू पुन: उभरी और 6.74 मीटर लम्बी कूद का रिकार्ड कायम किया। लेकिन विमला कालेज, त्रिचूर में आते ही उसके कैरियर को एक दिशा मिली और उसका नाम राष्ट्रीय स्तर पर उभरा। इसी दौरान उसका चयन राष्ट्रीय कोचिंग कैम्प में हुआ। इसके बाद [[1998]] में रेलवे छोड़ कर चैन्ने कस्टम्स से जुड़ी। इसके बाद अंजू ने भारत के ट्रिपल जंप के राष्ट्रीय चैंपियन राबर्ट बॉबी जॉर्ज से मदद ली। [[चित्र:Anju-Bobby-george-3.jpg|thumb|250px|अंजू बॉबी जॉर्ज|left]] बाद में उन्हीं के साथ [[विवाह]] कर लिया। अंजू ने मैनचेस्टर में [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में कांस्य पदक जीतकर अन्य दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों के बीच अपनी पहचान बनाई। यहाँ उसने 6.49 मीटर छलांग लगाई। इसके बाद बुसान एशियाई खेलों में उसने स्वर्ण पदक जीता और अपनी श्रेष्ठता की छाप छोड़ी। यहाँ उसने 6.53 मीटर की छलांग 1.8 मीटर की रफ्तार से लगाई। तत्पश्चात अंजू ने दुनिया के जाने-माने एथलीट माइक पावेल से ट्रेनिंग ली। उन्होंने अंजू को [[अमेरिका]] में कड़ी ट्रेनिंग दी। अंजू का अधिकतम रिकार्ड 6.74 मीटर की लंबी कूद का है। उसकी दुनिया में 13वीं रैंकिंग है और उसे विश्व चैंपियनशिप के लिए सातवीं रैंकिंग मिली थी।  
==कैरियर को नई दिशा==
====वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप====
[[2001]] में अंजू पुन: उभरी और 6.74 मीटर लम्बी कूद का रिकार्ड कायम किया। लेकिन विमला कालेज, त्रिचूर में आते ही उसके कैरियर को एक दिशा मिली और उसका नाम राष्ट्रीय स्तर पर उभरा। इसी दौरान उसका चयन राष्ट्रीय कोचिंग कैम्प में हुआ। इसके बाद [[1998]] में रेलवे छोड़ कर चैन्ने कस्टम्स से जुड़ी। इसके बाद अंजू ने भारत के ट्रिपल जंप के राष्ट्रीय चैंपियन राबर्ट बॉबी जॉर्ज से मदद ली। [[चित्र:Anju-Bobby-george-3.jpg|thumb|250px|अंजू बॉबी जॉर्ज|left]]
[[30 अगस्त]] [[2003]] को पेरिस वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंजू ने 6.70 मीटर की छ्लांग लगाकर कांस्य पदक हासिल किया। इसके पूर्व भारतीय खिलाड़ी सीमा ने भी विश्व जूनियर एथलेटिक्स ने पदक जीता था परंतु डोप टेस्ट में पॉजिटिव (फेल) पाए जाने पर उसका पदक वापस ले लिया गया था। अत: इस स्तर की सफलता केवल अंजू को ही मिल सकी है।  
बाद में उन्हीं के साथ विवाह कर लिया। अंजू ने मैनचेस्टर में राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतकर अन्य दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों के बीच अपनी पहचान बनाई। यहाँ उसने 6.49 मीटर छलांग लगाई। इसके बाद बुसान एशियाई खेलों में उसने स्वर्ण पदक जीता और अपनी श्रेष्ठता की छाप छोड़ी। यहाँ उसने 6.53 मीटर की छलांग 1.8 मीटर की रफ्तार से लगाई। तत्पश्चात अंजू ने दुनिया के जाने-माने एथलीट माइक पावेल से ट्रेनिंग ली। उन्होंने अंजू को [[अमेरिका]] में कड़ी ट्रेनिंग दी। अंजू का अधिकतम रिकार्ड 6.74 मीटर की लंबी कूद का है। उसकी दुनिया में 13वीं रैंकिंग है और उसे विश्व चैंपियनशिप के लिए सातवीं रैंकिंग मिली थी।
====माइक पावेल के निर्देशन में ट्रेनिंग====
 
लंबी कूद के विश्व रिकार्डधारी खिलाड़ी अंजू के कोच पॉवेल का अंजू की सफलता में बड़ा हाथ है। पॉवेल स्वयं लम्बी कूद के विश्व रिकार्ड विजेता रहे हैं। उन्होंने [[1991]] में टोकियो में 8.95 मीटर की छलांग लगाकर विश्व रिकार्ड बनाया था। भारतीय ओलंपिक संघ और सैमसंग इंडिया लिमिटेड ने मिलकर एथेंस में होने वाले [[2004]] के ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को स्पांसर करने का निर्णय लिया। सैमसंग ने एक ओलंपिक फंड शुरू किया जिसने भारत जिसने टॉप एथलीट्स का स्पांसरशिप प्रदान किया। इन प्रमुख पांच खिलाड़ियों में अंजू बी. जॉर्ज का नाम भी शामिल था। इस फंड द्वारा खिलाड़ियों  के लिए सभी प्रकार की सुविधाएँ व ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई थी। [[मार्च]] 2003 में अंजू की ट्रेनिंग माइक पावेल के निर्देशन में शुरू हुई थी, जो एथेंस ओलंपिक तक जारी रही। अंजू के खेल के स्तर में काफी सुधार हुआ है। यहाँ तक कि अमेरिका की एक खेल प्रबंधन कम्पनी, हिज का ध्यान अंजू की ओर आकर्षित हुआ और वह अंजू को लेकर ओलंपिक 100 मी. दौड़ के स्वर्ण-पदक विजेता मौरिस ग्रीन, एलेन जॉनसन आदि खिलाड़ियों के पास गई। इनसे सम्पर्क होने का अर्थ ही सबसे अच्छे प्रदर्शन के अवसर प्राप्त होना है। बीच में कुछ समय आया था, जब खिलाड़ियों की कूद का रिकार्ड 7 मीटर से अधिक हो गया था परन्तु डोप टेस्ट के बाद ये आंकड़े सामान्य स्तर तक आ गए। अंजू विश्व के सर्वश्रेष्ठ आठ खिलाड़ियों में से एक रही है। अत: आशा थी कि एथेंस ओलंपिक में वह अवश्य कोई पदक जीत कर भारत का नाम रोशन करेगी। [[मई]] 2004 में अपने की छलांग लगाई। तब अंजु के प्रशिक्षक पति का कहना था कि [[अगस्त]] 2004 में होने वाले ओलंपिक तक अंजू 7.20 मीटर कूद सकेगी। इस वक्त विश्व की चौथे नम्बर की एथलीट बन गई।
[[30 अगस्त]] 2003 को पेरिस वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंजू ने 6.70 मीटर की छ्लांग लगाकर कांस्य पदक हासिल किया। इसके पूर्व भारतीय खिलाड़ी सीमा ने भी विश्व जूनियर एथलेटिक्स ने पदक जीता था परंतु डोप टेस्ट में पॉजिटिव (फेल) पाए जाने पर उसका पदक वापस ले लिया गया था। अत: इस स्तर की सफलता केवल अंजू को ही मिल सकी है। लंबी कूद के विश्व रिकार्डधारी खिलाड़ी अंजू के कोच पॉवेल का अंजू की सफलता में बड़ा हाथ है। पॉवेल स्वयं लम्बी कूद के विश्व रिकार्ड विजेता रहे हैं। उन्होंने [[1991]] में टोकियो में 8.95 मीटर की छलांग लगाकर विश्व रिकार्ड बनाया था।
====अंजू की ट्रेनिंग माइक पावेल के निर्देशन में====
भारतीय ओलंपिक संघ और सैमसंग इंडिया लिमिटेड ने मिलकर एथेंस में होने वाले [[2004]] के ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को स्पांसर करने का निर्णय लिया। सैमसंग ने एक ओलंपिक फंड शुरू किया जिसने भारत जिसने टॉप एथलीट्स का स्पांसरशिप प्रदान किया। इन प्रमुख पांच खिलाड़ियों में अंजू बी. जॉर्ज का नाम भी शामिल था। इस फंड द्वारा खिलाड़ियों  के लिए सभी प्रकार की सुविधाएँ व ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई थी। [[मार्च]] 2003 में अंजू की ट्रेनिंग माइक पावेल के निर्देशन में शुरू हुई थी, जो एथेंस ओलंपिक तक जारी रही। अंजू के खेल के स्तर में काफी सुधार हुआ है। यहाँ तक कि अमेरिका की एक खेल प्रबंधन कम्पनी, हिज का ध्यान अंजू की ओर आकर्षित हुआ और वह अंजू को लेकर ओलंपिक 100 मी. दौड़ के स्वर्ण-पदक विजेता मौरिस ग्रीन, एलेन जॉनसन आदि खिलाड़ियों के पास गई। इनसे सम्पर्क होने का अर्थ ही सबसे अच्छे प्रदर्शन के अवसर प्राप्त होना है।  
==भारतीय ध्वजवाहक सम्मान==
==भारतीय ध्वजवाहक सम्मान==
बीच में कुछ समय आया था, जब खिलाड़ियों की कूद का रिकार्ड 7 मीटर से अधिक हो गया था परन्तु डोप टेस्ट के बाद ये आंकड़े सामान्य स्तर तक आ गए। अंजू विश्व के सर्वश्रेष्ठ आठ खिलाड़ियों में से एक रही है। अत: आशा थी कि एथेंस ओलंपिक में वह अवश्य कोई पदक जीत कर भारत का नाम रोशन करेगी। [[मई]] 2004 में अपने की छलांग लगाई। तब अंजु के प्रशिक्षक पति का कहना था कि [[अगस्त]] 2004 में होने वाले ओलंपिक तक अंजू 7.20 मीटर कूद सकेगी। इस वक्त विश्व की चौथे नम्बर की एथलीट बन गई। [[13 अगस्त]], 2004 को शुरू होने वाले एथेंस ओलंपिक में भारतीय ध्वजवाहक का सम्मान अंजू जॉर्ज को दिया गया। पहले ध्वजवाहक के लिए कर्णम मल्लेश्वरी का नाम सबसे ऊपर था। इसके अतिरिक्त लिएंडर पेस, धनराज पिल्लै व अंजलि भागवत का नाम भी इस सूची में शामिल था। लेकिन अंतत: भारतीय टीम का नेतृत्व व ध्वजवाहक का सम्मान अंजू बॉबी जॉर्ज को दिया गया।<ref  name="a"/> अंजू ने कुल 30 खिलाड़ियों के साथ लम्बी कूद में हिस्सा लिया और 6.69 मीटर की लम्बी छलांग लगाकर फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल में पहुँचने के लिए कम से कम 6.65 मी. छलांग लगानी अनिवार्य थी। फाइनल में पहुँचने वाली कुल 12 प्रतियोगी थी। लेकिन अंत में अंजू कोई भी पदक पाने में असफल रही। यद्यपि अंजू ने पहले प्रयास में 6.83 मीटर की छलांग लगाकर नया राष्ट्रीय रिकार्ड कायम किया लेकिन रूसी तिकड़ी ने सात से ऊपर की छलांग लगाकर भारतीय उम्मीदें समाप्त कर दीं। अंजू अंत में छठा स्थान ही पास सकी।
[[13 अगस्त]], 2004 को शुरू होने वाले एथेंस ओलंपिक में भारतीय ध्वजवाहक का सम्मान अंजू जॉर्ज को दिया गया। पहले ध्वजवाहक के लिए [[कर्णम मल्लेश्वरी]] का नाम सबसे ऊपर था। इसके अतिरिक्त [[लिएंडर पेस]], [[धनराज पिल्लै]] [[अंजलि भागवत]] का नाम भी इस सूची में शामिल था। लेकिन अंतत: भारतीय टीम का नेतृत्व व ध्वजवाहक का सम्मान अंजू बॉबी जॉर्ज को दिया गया।<ref  name="a"/> अंजू ने कुल 30 खिलाड़ियों के साथ लम्बी कूद में हिस्सा लिया और 6.69 मीटर की लम्बी छलांग लगाकर फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल में पहुँचने के लिए कम से कम 6.65 मी. छलांग लगानी अनिवार्य थी। फाइनल में पहुँचने वाली कुल 12 प्रतियोगी थी। लेकिन अंत में अंजू कोई भी पदक पाने में असफल रही। यद्यपि अंजू ने पहले प्रयास में 6.83 मीटर की छलांग लगाकर नया राष्ट्रीय रिकार्ड कायम किया लेकिन रूसी तिकड़ी ने सात से ऊपर की छलांग लगाकर भारतीय उम्मीदें समाप्त कर दीं। अंजू अंत में छठा स्थान ही पास सकी।
==खेल रत्न पुरस्कार==
==खेल रत्न पुरस्कार==
वर्ष 2004 में 13 खिलाड़ियों का नाम देश के सर्वोच्च खेल सम्मान '[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]' पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया गया था। लेकिन इनमें से अंजू का नाम सबसे ऊपर उभर कर आया। इससे पिछले वर्ष पेरिस विश्व चैंपियनशिप में अंजू को मिले कांस्य पदक के कारण अंजू को पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके कोच पति राबर्ट बॉबी जॉर्ज को [[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार अंजू व राबर्ट जॉर्ज को [[21 सितम्बर]], 2004 को [[राष्ट्रपति]] के द्वारा प्रदान किए गए। अंजू को पुरस्कार ट्राफी के अतिरिक्त पाँच लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।
वर्ष 2004 में 13 खिलाड़ियों का नाम देश के सर्वोच्च खेल सम्मान '[[राजीव गाँधी खेल रत्न]]' पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया गया था लेकिन इनमें से अंजू का नाम सबसे ऊपर उभर कर आया। इससे पिछले वर्ष पेरिस विश्व चैंपियनशिप में अंजू को मिले कांस्य पदक के कारण अंजू को पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके कोच पति राबर्ट बॉबी जॉर्ज को [[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार अंजू व राबर्ट जॉर्ज को [[21 सितम्बर]], 2004 को [[राष्ट्रपति]] के द्वारा प्रदान किए गए। अंजू को पुरस्कार ट्राफी के अतिरिक्त पाँच लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।
==एशियाई खेलों में प्रदर्शन==
==एशियाई खेलों में प्रदर्शन==
वह वर्ष 2005 में कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा सकीं। वर्ष 2005 में हीरो होंडा अकादमी ने एथलेटिक्स में वर्ष 2004 के लिए अंजू को श्रेष्ठतम खिलाड़ी नामांकित किया। वर्ष 2006 में अंजू का प्रदर्शन बिगड़ने से आई.ए.ए.एफ. महिला लम्बी कूद रैकिंग में वह चौथे स्थान से लुढ़क कर छठे स्थान पर पहुँच गई। [[दिसम्बर]] [[2006]] में हुए दोहा एशियाई खेलों में अंजू अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं दोहरा सकीं। उन्होंने 6.52 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक जीतने में सफलता हासिल की। उनका सीज़न का बेस्ट 6.54 मीटर की छलांग लगा कर रजत पदक जीतने में सफलता हासिल की। उनका सीज़न का बेस्ट 6.54 मीटर था। वह खुश थी कि आखिर उन्होंने पदक तो जीता। यद्यपि उन्होंने छठवें अंतिम प्रयास में 6.52 मीटर की छलांग लगाई वरना कज़ाकिस्तान की खिलाड़ी 6.49 की कूद के साथ रजत पदक ले गई होती और अंजू को कांस्य से संतोष करना पड़ता। बुसान एशियाई खेलों में अंजू स्वर्ण जीती थीं।
वह वर्ष 2005 में कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा सकीं। वर्ष 2005 में हीरो होंडा अकादमी ने एथलेटिक्स में वर्ष 2004 के लिए अंजू को श्रेष्ठतम खिलाड़ी नामांकित किया। वर्ष 2006 में अंजू का प्रदर्शन बिगड़ने से आई.ए.ए.एफ. महिला लम्बी कूद रैकिंग में वह चौथे स्थान से लुढ़क कर छठे स्थान पर पहुँच गई। [[दिसम्बर]] [[2006]] में हुए दोहा एशियाई खेलों में अंजू अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं दोहरा सकीं। उन्होंने 6.52 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक जीतने में सफलता हासिल की। उनका सत्र का सर्वश्रेष्ठ 6.54 मीटर की छलांग लगा कर रजत पदक जीतने में सफलता हासिल की। यद्यपि उन्होंने छठवें एवं अंतिम प्रयास में 6.52 मीटर की छलांग लगाई वरना कज़ाकिस्तान की खिलाड़ी 6.49 की कूद के साथ रजत पदक ले गई होती और अंजू को कांस्य से संतोष करना पड़ता। बुसान एशियाई खेलों में अंजू स्वर्ण जीती थीं।
[[ चित्र:Anju-Bobby-george-2.jpg|thumb|250px|अंजू बॉबी जॉर्ज लंबी कूद लगाते हुए]]
[[ चित्र:Anju-Bobby-george-2.jpg|thumb|250px|अंजू बॉबी जॉर्ज लंबी कूद लगाते हुए]]
==उपलब्धियां==
==उपलब्धियाँ==
*अंजू विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने वाली प्रथम भरतीय महिला एथलीट हैं। उन्होंने वर्ष 2003 में पेरिस में 'विश्व एथलेटिक्स' चैंपियनशिप में कास्य पदक जीता।
*अंजू विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने वाली प्रथम भरतीय महिला एथलीट हैं। उन्होंने वर्ष 2003 में पेरिस में 'विश्व एथलेटिक्स' चैंपियनशिप में कास्य पदक जीता।
*1999 में अंजू ने दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
*1999 में अंजू ने दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
Line 56: Line 53:
*अंजू की दुनिया में 13वीं रैंकिंग रही है। विश्व चैंपियनशिप के लिए सातवीं रैंकिंग भी मिल चुकी है।
*अंजू की दुनिया में 13वीं रैंकिंग रही है। विश्व चैंपियनशिप के लिए सातवीं रैंकिंग भी मिल चुकी है।
*अंजू ने मानचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता।
*अंजू ने मानचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता।
*उन्होंने 2002 में बुसान एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
*2002 में बुसान एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
*एथेंस ओलंपिक में 2004 में, अंजू को ध्वजवाहक का सम्मान प्राप्त हुआ।
*एथेंस ओलंपिक में 2004 में, अंजू को ध्वजवाहक का सम्मान प्राप्त हुआ।
*2004 में अंजू बॉबी जार्ज को 'राजीव गाँधी खेल रत्न' सम्मान प्राप्त हुआ।
*2004 में अंजू बॉबी जार्ज को 'राजीव गाँधी खेल रत्न' सम्मान प्राप्त हुआ।
*2005 में एथलेटिक्स में अंजू को श्रेष्ठतम खिलाड़ी नामांकित किया।
*[[2008]] में तीसरी दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
*[[2008]] में तीसरी दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।



Revision as of 08:28, 19 April 2017

अंजू बॉबी जॉर्ज
पूरा नाम अंजू बॉबी जॉर्ज
अन्य नाम अंजू मार्कोस
जन्म 19 अप्रैल, 1977
जन्म भूमि चीरनचीरा (केरल)
अभिभावक के. टी. मार्कोस तथा ग्रेसी
पति/पत्नी राबर्ट बॉबी जॉर्ज
कर्म भूमि केरल
खेल-क्षेत्र एथलेटिक्स (ऊँची कूद-100 मी., लंबी कूद-6.74)
विद्यालय सेंट एनी गर्ल्स स्कूल चंगी ताचेरी, सी. के. केश्वरन स्मारक हाई स्कूल कोरूथोडू
पुरस्कार-उपाधि राजीव गाँधी खेल रत्न
विशेष योगदान पेरिस में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंजू बी. जॉर्ज ने लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर भारत को पहली बार विश्वस्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया था।
नागरिकता भारतीय

अंजू बॉबी जॉर्ज (अंग्रेज़ी: Anju Bobby George) भारत की प्रसिद्ध एथलीट हैं। अंजू ने सितम्बर 2003, पेरिस में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनसिप लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर भारत को पहली बार विश्वस्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया था। अंजू बी. जॉर्ज वर्ष 2003 में 25 वर्ष की उम्र में विश्व एथलेटिक्स में भारत की प्रथम पदक विजेता बनी। एक नज़रिये से देखा जाए तो अंजू का प्रदर्शन भारतीय एथलेटिक्स को नई दिशा देने की पहल है। इससे पहले भारत का नाम एथलेटिक्स में जरा-सी चूक के लिये जाना जाता था। 2004 में अंजू बॉबी जॉर्ज को 'राजीव गाँधी खेल रत्न' सम्मान प्रदान किया गया।[1]

जन्म तथा शिक्षा

अंजू का जन्म 19 अप्रैल, 1977 दक्षिण मध्य केरल के कोट्टायम ज़िले के छोटे से कस्बा चीरनचीरा में हुआ। वह बचपन में सेंट एनी गर्ल्स स्कूल चंगी ताचेरी में पढ़ती थी। इन्होंने पाँच वर्ष की उम्र में एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। इनकी माँ ग्रेसी तथा पिता के. टी. मार्कोस ने अपनी बेटी के एथलेटिक्स की दिशा में बढ़ते कदमों में रुचि लेकर उसे आगे बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित किया। इनके पिता का फर्नीचर का व्यवसाय है। अंजू के स्कूल ने उसके लिए कूद थ्रो और दौड़ने के लिए अलग से कार्यक्रम बनाकर उसे अभ्यास के लिए पर्याप्त मौका दिया। इसके बाद अंजू सी. के. केश्वरन स्मारक हाई स्कूल कोरूथोडू चली गईं। वहाँ सर थॉमस ने उसकी कला को चमकाया और तब अंजू ने स्कूल को लगातार 13वें साल ओवरऑल खिताब दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। यहाँ अंजू ने ऊँची कूद, लम्बी कूद, 100 मी. दौड़ और हैप्थलॉन आदि सभी खेलों की प्रैक्टिस की। अंजू की आदर्श पी. टी. उषा थीं।

खेल जीवन

सितम्बर 2003 में पेरिस में हुई वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियन में अंजू बी. जॉर्ज ने लंबी कूद में कांस्य पदक जीत कर भारत को पहली बार विश्व-स्तर की प्रतियोगिता में पुरस्कार दिलाया। अंजू ने इस स्तर तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की। उसके पति राबर्ट बॉबी जॉर्ज उनके कोच हैं, जिनके नाम लंबी कूद विश्व रिकार्ड है। अंजू के घर और ससुराल दोनों जगह खेल का माहौल है। पति बॉबी जॉर्ज ने अंजू के लिए अपना ट्रिपल जंप में कैरियर छोड़ दिया ताकि वह पूरा समय अंजू की कोचिंग में लगा सके। अंजू कहती कि वह आज जहाँ है अपने पति की वजह से है। विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने पर अंजू ने कहा- "देश के लिए पदक जीतकर तथा दुनिया में देश का नाम रोशन करने पर गर्व महसूस कर रही हूँ और अपने इस पदक को मैं राष्ट्र को समर्पित करती हूँ।"[1] अंजू का प्रदर्शन इस मायने में भी सराहनीय कहा जा सकता है कि इस वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 210 देशों नें भाग लिया और अंजू ने उन प्रतियोगियों के बीच पदक प्राप्त किया। यह किसी भारतीय एथलीट द्वारा किया गया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। अंजू ने अपनी सफलता का राज़ बताते हुए कहा- आप जो भी कर रहे हैं, उस पर भरोसा होना चाहिए। जब लगभग ग़रीब देश पदक जीत सकते हैं तो भारत क्यों नहीं? अगर मैं भारत में 6.74 मीटर की छलांग दो बार लगा सकती हूँ तो आप भी ऐसा कर सकते हैं। अंजू मार्कोस (विवाह पूर्व नाम) को 1999 में लगा था कि अब वह कभी नहीं खेल पाएगी। उसको खेल जीवन समाप्ति की ओर लगने लगा था। जब दक्षिण एशियाई चैंपियनशिप में उसने रजत जीतने के साथ ही टखने में गहरे ज़ख्म का सामना किया। इस चोट के कारण वह सिडनी ओलंपिक (2000) में भाग नहीं ले सकी और दो वर्ष तक उसे खेलों से दूर रहना पड़ा।

कैरियर को नई दिशा

2001 में अंजू पुन: उभरी और 6.74 मीटर लम्बी कूद का रिकार्ड कायम किया। लेकिन विमला कालेज, त्रिचूर में आते ही उसके कैरियर को एक दिशा मिली और उसका नाम राष्ट्रीय स्तर पर उभरा। इसी दौरान उसका चयन राष्ट्रीय कोचिंग कैम्प में हुआ। इसके बाद 1998 में रेलवे छोड़ कर चैन्ने कस्टम्स से जुड़ी। इसके बाद अंजू ने भारत के ट्रिपल जंप के राष्ट्रीय चैंपियन राबर्ट बॉबी जॉर्ज से मदद ली। thumb|250px|अंजू बॉबी जॉर्ज|left बाद में उन्हीं के साथ विवाह कर लिया। अंजू ने मैनचेस्टर में राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतकर अन्य दिग्गज भारतीय खिलाड़ियों के बीच अपनी पहचान बनाई। यहाँ उसने 6.49 मीटर छलांग लगाई। इसके बाद बुसान एशियाई खेलों में उसने स्वर्ण पदक जीता और अपनी श्रेष्ठता की छाप छोड़ी। यहाँ उसने 6.53 मीटर की छलांग 1.8 मीटर की रफ्तार से लगाई। तत्पश्चात अंजू ने दुनिया के जाने-माने एथलीट माइक पावेल से ट्रेनिंग ली। उन्होंने अंजू को अमेरिका में कड़ी ट्रेनिंग दी। अंजू का अधिकतम रिकार्ड 6.74 मीटर की लंबी कूद का है। उसकी दुनिया में 13वीं रैंकिंग है और उसे विश्व चैंपियनशिप के लिए सातवीं रैंकिंग मिली थी।

वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप

30 अगस्त 2003 को पेरिस वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंजू ने 6.70 मीटर की छ्लांग लगाकर कांस्य पदक हासिल किया। इसके पूर्व भारतीय खिलाड़ी सीमा ने भी विश्व जूनियर एथलेटिक्स ने पदक जीता था परंतु डोप टेस्ट में पॉजिटिव (फेल) पाए जाने पर उसका पदक वापस ले लिया गया था। अत: इस स्तर की सफलता केवल अंजू को ही मिल सकी है।

माइक पावेल के निर्देशन में ट्रेनिंग

लंबी कूद के विश्व रिकार्डधारी खिलाड़ी अंजू के कोच पॉवेल का अंजू की सफलता में बड़ा हाथ है। पॉवेल स्वयं लम्बी कूद के विश्व रिकार्ड विजेता रहे हैं। उन्होंने 1991 में टोकियो में 8.95 मीटर की छलांग लगाकर विश्व रिकार्ड बनाया था। भारतीय ओलंपिक संघ और सैमसंग इंडिया लिमिटेड ने मिलकर एथेंस में होने वाले 2004 के ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को स्पांसर करने का निर्णय लिया। सैमसंग ने एक ओलंपिक फंड शुरू किया जिसने भारत जिसने टॉप एथलीट्स का स्पांसरशिप प्रदान किया। इन प्रमुख पांच खिलाड़ियों में अंजू बी. जॉर्ज का नाम भी शामिल था। इस फंड द्वारा खिलाड़ियों के लिए सभी प्रकार की सुविधाएँ व ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई थी। मार्च 2003 में अंजू की ट्रेनिंग माइक पावेल के निर्देशन में शुरू हुई थी, जो एथेंस ओलंपिक तक जारी रही। अंजू के खेल के स्तर में काफी सुधार हुआ है। यहाँ तक कि अमेरिका की एक खेल प्रबंधन कम्पनी, हिज का ध्यान अंजू की ओर आकर्षित हुआ और वह अंजू को लेकर ओलंपिक 100 मी. दौड़ के स्वर्ण-पदक विजेता मौरिस ग्रीन, एलेन जॉनसन आदि खिलाड़ियों के पास गई। इनसे सम्पर्क होने का अर्थ ही सबसे अच्छे प्रदर्शन के अवसर प्राप्त होना है। बीच में कुछ समय आया था, जब खिलाड़ियों की कूद का रिकार्ड 7 मीटर से अधिक हो गया था परन्तु डोप टेस्ट के बाद ये आंकड़े सामान्य स्तर तक आ गए। अंजू विश्व के सर्वश्रेष्ठ आठ खिलाड़ियों में से एक रही है। अत: आशा थी कि एथेंस ओलंपिक में वह अवश्य कोई पदक जीत कर भारत का नाम रोशन करेगी। मई 2004 में अपने की छलांग लगाई। तब अंजु के प्रशिक्षक पति का कहना था कि अगस्त 2004 में होने वाले ओलंपिक तक अंजू 7.20 मीटर कूद सकेगी। इस वक्त विश्व की चौथे नम्बर की एथलीट बन गई।

भारतीय ध्वजवाहक सम्मान

13 अगस्त, 2004 को शुरू होने वाले एथेंस ओलंपिक में भारतीय ध्वजवाहक का सम्मान अंजू जॉर्ज को दिया गया। पहले ध्वजवाहक के लिए कर्णम मल्लेश्वरी का नाम सबसे ऊपर था। इसके अतिरिक्त लिएंडर पेस, धनराज पिल्लैअंजलि भागवत का नाम भी इस सूची में शामिल था। लेकिन अंतत: भारतीय टीम का नेतृत्व व ध्वजवाहक का सम्मान अंजू बॉबी जॉर्ज को दिया गया।[1] अंजू ने कुल 30 खिलाड़ियों के साथ लम्बी कूद में हिस्सा लिया और 6.69 मीटर की लम्बी छलांग लगाकर फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल में पहुँचने के लिए कम से कम 6.65 मी. छलांग लगानी अनिवार्य थी। फाइनल में पहुँचने वाली कुल 12 प्रतियोगी थी। लेकिन अंत में अंजू कोई भी पदक पाने में असफल रही। यद्यपि अंजू ने पहले प्रयास में 6.83 मीटर की छलांग लगाकर नया राष्ट्रीय रिकार्ड कायम किया लेकिन रूसी तिकड़ी ने सात से ऊपर की छलांग लगाकर भारतीय उम्मीदें समाप्त कर दीं। अंजू अंत में छठा स्थान ही पास सकी।

खेल रत्न पुरस्कार

वर्ष 2004 में 13 खिलाड़ियों का नाम देश के सर्वोच्च खेल सम्मान 'राजीव गाँधी खेल रत्न' पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया गया था लेकिन इनमें से अंजू का नाम सबसे ऊपर उभर कर आया। इससे पिछले वर्ष पेरिस विश्व चैंपियनशिप में अंजू को मिले कांस्य पदक के कारण अंजू को पुरस्कार के लिए चुना गया। उनके कोच पति राबर्ट बॉबी जॉर्ज को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार अंजू व राबर्ट जॉर्ज को 21 सितम्बर, 2004 को राष्ट्रपति के द्वारा प्रदान किए गए। अंजू को पुरस्कार ट्राफी के अतिरिक्त पाँच लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।

एशियाई खेलों में प्रदर्शन

वह वर्ष 2005 में कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा सकीं। वर्ष 2005 में हीरो होंडा अकादमी ने एथलेटिक्स में वर्ष 2004 के लिए अंजू को श्रेष्ठतम खिलाड़ी नामांकित किया। वर्ष 2006 में अंजू का प्रदर्शन बिगड़ने से आई.ए.ए.एफ. महिला लम्बी कूद रैकिंग में वह चौथे स्थान से लुढ़क कर छठे स्थान पर पहुँच गई। दिसम्बर 2006 में हुए दोहा एशियाई खेलों में अंजू अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं दोहरा सकीं। उन्होंने 6.52 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक जीतने में सफलता हासिल की। उनका सत्र का सर्वश्रेष्ठ 6.54 मीटर की छलांग लगा कर रजत पदक जीतने में सफलता हासिल की। यद्यपि उन्होंने छठवें एवं अंतिम प्रयास में 6.52 मीटर की छलांग लगाई वरना कज़ाकिस्तान की खिलाड़ी 6.49 की कूद के साथ रजत पदक ले गई होती और अंजू को कांस्य से संतोष करना पड़ता। बुसान एशियाई खेलों में अंजू स्वर्ण जीती थीं। thumb|250px|अंजू बॉबी जॉर्ज लंबी कूद लगाते हुए

उपलब्धियाँ

  • अंजू विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने वाली प्रथम भरतीय महिला एथलीट हैं। उन्होंने वर्ष 2003 में पेरिस में 'विश्व एथलेटिक्स' चैंपियनशिप में कास्य पदक जीता।
  • 1999 में अंजू ने दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
  • 2001 में अंजू ने लम्बी कूद रिकार्ड कायम किया, उन्होंने 6.74 मीटर लम्बी छलांग लगाई।
  • अंजू की दुनिया में 13वीं रैंकिंग रही है। विश्व चैंपियनशिप के लिए सातवीं रैंकिंग भी मिल चुकी है।
  • अंजू ने मानचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता।
  • 2002 में बुसान एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
  • एथेंस ओलंपिक में 2004 में, अंजू को ध्वजवाहक का सम्मान प्राप्त हुआ।
  • 2004 में अंजू बॉबी जार्ज को 'राजीव गाँधी खेल रत्न' सम्मान प्राप्त हुआ।
  • 2008 में तीसरी दक्षिण एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 100 प्रसिद्धा भारतीय खिलाड़ी |लेखक: चित्रा गर्ग |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज़, कश्मीरी गेट दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 11-15 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख