संत तिरुवल्लुवर के अनमोल वचन: Difference between revisions
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* नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। ~ संत तिरुवल्लवुर | * नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं। ~ संत तिरुवल्लवुर | ||
* निरंतर और अथक परिश्रम करने वाले भाग्य को भी परास्त कर देंगे। ~ तिरुवल्लुवर | * निरंतर और अथक परिश्रम करने वाले भाग्य को भी परास्त कर देंगे। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* प्रिय शब्द स्वयं कह कर दूसरों के शब्दों के प्रयोजन को हृदयंगम करना निर्मल स्वभाव वाले | * प्रिय शब्द स्वयं कह कर दूसरों के शब्दों के प्रयोजन को हृदयंगम करना निर्मल स्वभाव वाले महान् व्यक्तियों का सिद्धांत है। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* वाक्पटु, निरालस्य व निर्भीक व्यक्ति से विरोध करके उससे कोई नहीं जीत सकता। ~ तिरुवल्लुवर | * वाक्पटु, निरालस्य व निर्भीक व्यक्ति से विरोध करके उससे कोई नहीं जीत सकता। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* फूल सूंघने से मुरझा जाता है, मगर अतिथि का दिल तोड़ने के लिए एक निगाह ही काफ़ी है। ~ तिरुवल्लुवर | * फूल सूंघने से मुरझा जाता है, मगर अतिथि का दिल तोड़ने के लिए एक निगाह ही काफ़ी है। ~ तिरुवल्लुवर |