भारत कला भवन वाराणसी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "पृथक " to "पृथक् ") |
No edit summary |
||
Line 57: | Line 57: | ||
चित्र:Bharat-Kala-Bhawan-68.jpg|प्रसाधिका | चित्र:Bharat-Kala-Bhawan-68.jpg|प्रसाधिका | ||
चित्र:Bharat-Kala-Bhawan-69.jpg|यक्षी | चित्र:Bharat-Kala-Bhawan-69.jpg|यक्षी | ||
चित्र:Bharat-Kala-Bhavan-Varanasi.jpg|भारत कला भवन, [[वाराणसी]] | |||
</gallery> | </gallery> | ||
Line 71: | Line 72: | ||
[[Category:संग्रहालय कोश]] | [[Category:संग्रहालय कोश]] | ||
[[Category:पर्यटन कोश]] | [[Category:पर्यटन कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 12:41, 1 December 2017
भारत कला भवन वाराणसी
| |
विवरण | भारत में प्रचलित लगभग समस्त शैलियों के चित्रों का विशाल संग्रह इस संग्रहालय में है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
नगर | वाराणसी |
निर्माण | विख्यात कला मर्मज्ञ तथा कलाविद पद्मविभूषण स्व. राय कृष्णदास 'भारत कला भवन' संग्रहालय के संस्थापक थे। |
स्थापना | सन् 1920 |
प्रसिद्धि | इस संग्रहालय में लगभग 12,000 विभिन्न शैलियों के चित्र संकलित हैं। इन सभी चित्रों की अपनी पृथक् तथा रोमांचक कहानियाँ हैं। |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
अन्य जानकारी | भारतीय चित्रों के अतिरिक्त 'भारत कला भवन' में नेपाल और तिब्बत में चित्रित पटरा, पोथी चित्र और चित्रित थंकां का भी संग्रह है। |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
भारत कला भवन, उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्थित एक संग्रहालय है। भारत में प्रचलित लगभग समस्त शैलियों के चित्रों का विशाल संग्रह इस संग्रहालय में है। यहाँ का चित्र संग्रह विश्व में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। भारतीय चित्रकला के विषय में यदि कोई भी विद्वान, शोधकर्ता या कलाविद गहन अध्ययन करना चाहे तो यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि उसे वाराणसी में स्थित 'भारत कला भवन' के चित्र संग्रह का अवलोकन करना ही होगा।
स्थापना
भारत कला भवन की स्थापना सन् 1920 में हुई थी। विख्यात कला मर्मज्ञ तथा कलाविद पद्मविभूषण स्व. राय कृष्णदास 'भारत कला भवन' संग्रहालय के संस्थापक थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन 'भारत कला भवन' के लिए संग्रह हेतु समर्पित कर दिया। उनके जीवन का यही समर्पण और आत्मविश्वास आज 'भारत कला भवन' के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय को गौरवान्वित कर रहा है। विभिन्न कला कृतियों के संयोजन में तो उनकी अभिरुचि थी ही, किंतु भारतीय चित्रों के संकलन के प्रति उनकी आत्मीय आस्था थी। यही कारण है कि 'भारत कला भवन' न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी लघु चित्रों के संग्रह में अपना एक निजस्व रखता है।[1]
संकलन
वाराणसी के इस संग्रहालय में लगभग 12,000 विभिन्न शैलियों के चित्र संकलित हैं। इन सभी चित्रों की अपनी पृथक् तथा रोमांचक कहानियाँ हैं। भारतीय चित्रों के अतिरिक्त 'भारत कला भवन' में नेपाल और तिब्बत में चित्रित पटरा, पोथी चित्र और चित्रित थंकां का भी संग्रह है, जिसमें जय प्रकाश मल्ल कालीन सन 1765 ई. तिथि युक्त चित्रित तांत्रिक पोथी एवं प्रायः 13-14वीं ई. शती का रत्नसंभव थंकां उल्लेखनीय है। विविध माध्यमों- काग़ज़, कपडा, काष्ठ, शीशा, हाथी दाँत, ताड पत्र, अभ्रक तथा चमड़े पर चित्रित उक्त सभी शैलियों के चित्र इस संग्रहालय की धरोहर हैं जो आरक्षित संग्रह के अतिरिक्त छवि, निकोलस, रोरिख, एलिस बोनर तथा बनारस वीथिकाओं में प्रदर्शित हैं।[1]
|
|
|
|
|
वीथिका
-
गोवर्धनधारी कृष्ण विवरण
-
चामुण्डा देवी
-
शिवलिंग मस्तक पर लिए भक्त
-
सूर्य देव
-
सूर्य देव का धड़
-
शिवगण
-
श्रीकृष्ण माखन चुराते हुए
-
प्रसाधिका
-
चतुर्मुखी शिवलिंग
-
चतुर्मुखी शिवलिंग
-
पार्श्वनाथ
-
स्त्री धड़
-
बुद्ध तथा युगल
-
देवी
-
शार्दूल पर आरूढ़ स्त्री
-
अग्निदेव
-
नाग यक्ष
-
वादक गण
-
स्तम्भ शीर्ष
-
प्रसाधिका
-
प्रसाधिका
-
प्रसाधिका
-
यक्षी
-
भारत कला भवन, वाराणसी
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 इतिहास– भारत कला भवन (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 30 जुलाई, 2012।