रामचंद्र मांझी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('thumb|200px|रामचंद्र मांझी '''रामचंद्र मां...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 13: Line 13:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार}}
{{संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार}}{{पद्मश्री}}
[[Category:लोक कलाकार]][[Category:लोक नर्तक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:पद्म श्री]][[Category:चरित कोश]][[Category:कला कोश]]
[[Category:लोक कलाकार]][[Category:लोक नर्तक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:पद्म श्री]][[Category:चरित कोश]][[Category:कला कोश]]
[[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]
[[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 11:03, 25 March 2021

thumb|200px|रामचंद्र मांझी रामचंद्र मांझी (अंग्रेज़ी: Ramchandra Manjhi, जन्म- 1925, छपरा, बिहार) प्रसिद्ध लोक कलाकार हैं। वह 'लौंडा नृत्य' के प्रसिद्ध नर्तक हैं। उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, 2017 से नवाजा जा चुका है। रामचंद्र मांझी 90 वर्ष से ऊपर की आयु होने के बाद भी आज मंच पर जमकर थिरकते और अभिनय करते हैं।

  • रामचंद्र मांझी बताते हैं कि उन्होंने 10 साल की उम्र में ही गुरु भिखारी ठाकुर के साथ स्टेज पर पांव रख दिया था। इसके बाद वह 1971 तक भिखारी ठाकुर की छाया तले ही कला का प्रदर्शन करते रहे।
  • 'भोजपुरी के शेक्सपीयर' के निधन के बाद रामचंद्र मांझी ने गौरीशंकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर, दिनकर ठाकुर, रामदास राही और प्रभुनाथ ठाकुर के नेतृत्व में काम किया।

[[चित्र:Ramchandra-Manjhi-1.jpg|thumb|left|250px|राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' प्राप्त करते रामचंद्र मांझी]]

  • बिहार में सारण (छपरा) जिले के नगरा, तुजारपुर के रहने वाले रामचंद्र मांझी, भिखारी ठाकुर से प्रशिक्षण प्राप्त और उनके साथ काम कर चुके जीवित कलाकारों में से एक हैं। वे 'भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र' के सबसे वरिष्ठ कलाकार हैं।
  • 'लौंडा नृत्य' बिहार के प्राचीन लोक नृत्यों में से एक है। इसमें लड़का, लड़की की तरह मेकअप और कपड़े पहन कर नृत्य करता है। किसी भी शुभ मौके पर लोग अपने यहां ऐसे आयोजन कराते हैं हालांकि, आज समाज में लौंडा नृत्य हाशिए पर है। अब गिने-चुने ही लौंडा नृत्य मंडलियां बची हैं, जो इस विधा को जिंदा रखे हुए है, लेकिन उनका भी हाल खस्ता ही है।
  • वर्ष 2021 में रामचंद्र मांझी को उनकी कला तथा योगदान हेतु 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया है। जीवन के इस पड़ाव पर 'पद्मश्री' मिलने के बाद रामचंद्र को उम्मीद है कि अब लौंडा नृत्य की कला में फिर से नई जान आएगी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख