कदम्ब वंश: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('*कदम्ब वंश के राज्य कि स्थापना चौथी सदी ई. में हुई थी, ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
*कदम्ब वंश के राज्य कि स्थापना चौथी सदी ई. में हुई थी, जब कि मयूर शर्मा नामक व्यक्ति ने पल्लव राज्य के विरुद्ध विद्रोह करके [[कर्नाटक प्रदेश]] में अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी। | *कदम्ब वंश के राज्य कि स्थापना चौथी सदी ई. में हुई थी, जब कि मयूर शर्मा नामक व्यक्ति ने पल्लव राज्य के विरुद्ध विद्रोह करके [[कर्नाटक|कर्नाटक प्रदेश]] में अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी। | ||
*इस राज्य की राजधानी बनवासी थी। | *इस राज्य की राजधानी बनवासी थी। | ||
*[[वातापी कर्नाटक|वातापी]] के [[चालुक्य वंश]] का उत्कर्ष होने पर कदम्बों की शक्ति क्षीण होनी शुरू हुई, और [[पुलकेशी द्वितीय]] ने उनकी स्वतंत्र सत्ता का अन्त किया। | *[[वातापी कर्नाटक|वातापी]] के [[चालुक्य वंश]] का उत्कर्ष होने पर कदम्बों की शक्ति क्षीण होनी शुरू हुई, और [[पुलकेशी द्वितीय]] ने उनकी स्वतंत्र सत्ता का अन्त किया। |
Revision as of 07:34, 2 October 2010
- कदम्ब वंश के राज्य कि स्थापना चौथी सदी ई. में हुई थी, जब कि मयूर शर्मा नामक व्यक्ति ने पल्लव राज्य के विरुद्ध विद्रोह करके कर्नाटक प्रदेश में अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी।
- इस राज्य की राजधानी बनवासी थी।
- वातापी के चालुक्य वंश का उत्कर्ष होने पर कदम्बों की शक्ति क्षीण होनी शुरू हुई, और पुलकेशी द्वितीय ने उनकी स्वतंत्र सत्ता का अन्त किया।
- पर सामन्त रूप में कदम्ब वंश के राजा चालुक्यों और राष्ट्रकूटों के शासन काल में भी क़ायम रहे।
- जब दसवीं सदी के अन्तिम भाग में राष्ट्रकूट साम्राज्य क्षीण हुआ, तो शिलाहारों के समान कदम्ब भी स्वतंत्र हो गए, और उनके अनेक छोटे-छोटे राज्य कर्नाटक में स्वतंत्र रूप से विद्यमान रहे।
|
|
|
|
|