कृष्ण प्रथम: Difference between revisions
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Revision as of 09:10, 14 October 2010
- दन्तिदुर्ग के कोई पुत्र नहीं था। अतः उसकी मृत्यु के बाद उसका चाचा कृष्णराज मान्यखेट के राजसिंहासन पर आरूढ़ हुआ।
- राष्ट्रकूटों के द्वारा परास्त होने के बाद भी चालुक्यों की शक्ति का पूर्णरूप से अन्त नहीं हुआ था। उन्होंने एक बार फिर अपने उत्कर्ष का प्रयत्न किया, पर उन्हें सफलता नहीं मिली।
- चालुक्यों की शक्ति को अविकल रूप से नष्ट करके राष्ट्रकूट राजा कृष्णराज ने कोंकण और वेंगि की भी विजय की।
- पर कृष्णराज की ख्याति उसकी विजय यात्राओं के कारण उतनी नहीं है, जितनी कि उस कैलाश मन्दिर के कारण है, जिसका निर्माण उसने एलोरा में पहाड़ काटकर कराया था।
- एलोरा के गुहा मन्दिरों में कृष्णराज द्वारा निर्मित कैलाश मन्दिर बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और उसकी कीर्ति को चिरस्थायी रखने के लिए पर्याप्त है।
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