तैलप तृतीय

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  • सोमेश्वर तृतीय के बाद कल्याणी के चालुक्य वंश का क्षय शुरू हो गया।
  • 1138 ई. में सोमेश्वर की मृत्यु हो जाने पर उसका पुत्र जगदेकमल्ल द्वितीय राजा बना। इस राजा के शासन काल में चालुक्यों में निर्बलता आ गई।
  • अन्हिलवाड़ा कुमारपाल (1143-1171) के जगदेकमल्ल के साथ अनेक युद्ध हुए, जिनमें कुमारपाल विजयी हुआ।
  • 1151 ई. में जगदेकमल्ल की मृत्यु के बाद तैलप तृतीय ने कल्याणी का राजसिंहासन प्राप्त किया।
  • उसका मंत्री व सेनापति विज्जल था, जो कलचुरि वंश का था।
  • विज्जल इतना शक्तिशाली व्यक्ति था, कि उसने राजा तैल को अपने हाथों में कठपुतली के समान बना रखा था।
  • बहुत से सामन्त उसके हाथों में थे।
  • उनकी सहायता से 1156 ई. के लगभग विज्जल ने तैल को राज्यच्युत कर स्वयं कल्याणी की राजगद्दी पर अपना अधिकार कर लिया, और वासव का अपना मंत्री नियुक्त किया।


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