योग्यता (सूक्तियाँ)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:21, 24 March 2012 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "मौका " to "मौक़ा ")
Jump to navigation Jump to search
क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। प्रेमचंद
(2) कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। प्रेमचंद
(3) गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है। फील्डिंग
(4) कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। अज्ञात
(5) मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। लाला लाजपतराय
(6) यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। स्वामी रामतीर्थ
(7) महान व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है। होम
(8) नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। स्वामी रामदास
(9) मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान बनता है। आविद
(10) ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। विनोबा भावे
(11) शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। जॉन जी. हिबन
(12) इच्छा हमेशा योग्यता को हरा देती है।
(13) यदि अवसर का लाभ न उठाया जाए, तो योग्यता का कोई मूल्य नहीं होता है।
(14) सफलता के तीन रहस्य हैं - योग्यता, साहस और कोशिश।
(15) योग्यता से बिताए हुए जीवन को,हमें वर्षों से नहीं बल्कि कर्मों के पैमाने से तौलना चाहिए। शेरिडेन
(16) जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है। महात्मा गांधी
(17) लगन और योग्यता एक साथ मिलें तो निश्चय ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है। मुक्ता
(18) चाहे आप में कितनी भी योग्यता क्यों न हो, केवल एकाग्रचित्त होकर ही आप महान कार्य कर सकते हैं। बिल गेट्स
(19) कोई भी व्यक्ति जो सुंदरता को देखने की योग्यता को बनाए रखता है, वह कभी भी वृद्ध नहीं होता है। फ्रेंक काफ्का
(20) धन उत्तम कर्मों से उत्पन्न होता है, योग्यता, साहस तथा दृढ़ निश्चय से फलता - फूलता है और संयम से सुरक्षित होता है। विदुर
(21) अच्छी नसीहत मानना अपनी योग्यता बढ़ाना है। सोलन
(22) योग्यता एक चौथाई व्यक्तित्व का निर्माण करती है। शेष की पूर्ति प्रतिष्ठा के द्वारा होती है। मोहन राकेश
(23) उच्च और निम्न की योग्यता का विचार वस्त्र देख कर भी होता है। समुद्र ने विष्णु को पीताम्बरधारी देख कर अपनी कन्या दे दी तथा शिव को दिगम्बर देख कर विष दिया। अज्ञात
(24) लोग अक्सर कहते हैं कि मैं भाग्यशाली हूँ। लेकिन भाग्य केवल उचित समय पर अपनी प्रतिभा को दिखाने का मौक़ा मिलने तक ही महत्व रखता है। उसके बाद आप को प्रतिभा और प्रतिभा को काम में ला पाने की योग्यता की आवश्यकता होती है। फ्रैंक सिनात्रा

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः