विरुपाक्ष द्वितीय

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  • विरुपाक्ष द्वितीय (1465-1485 ई.) संगम वंश का अन्तिम शासक था।
  • मल्लिकार्जुन के उत्तराधिकारी विरुपाक्ष द्वितीय के शासन काल में विजयनगर से गोवा, कोंकण एवं उत्तरी कर्नाटक के कुछ भाग अलग हो गये।
  • ऐसी स्थिति में जबकि, विजयनगर राज्य टूटने की स्थिति में आ गया था, चन्द्रगिरी में गवर्नर पद पर नियुक्त सालुव नरसिंह ने विजयनगर राज्य की रक्षा की।
  • 1485 ई. में विरुपाक्ष की हत्या उसके पुत्र ने कर दी।
  • एक मत के अनुसार विरुपाक्ष की हत्या उसके दुराचारी होने के कारण उसके बड़े पुत्र ने की थी।
  • पुर्तग़ाली यात्री 'नूनिज' के अनुसार- 'इस समय विजयनगर में चारों ओर अराजकता एवं अशान्ति का माहौल था'।
  • इन्हीं परिस्थितियों का फायदा उठाकर सालुव नरसिंह के सेनानायक 'नरसा नायक' ने राजमहल पर क़ब्ज़ा कर लिया।
  • नरसा नायक ने सालुव नरसिंह को राजगद्दी पर बैठने के लिए निमंत्रण दिया।
  • इस घटना को विजयनगर साम्राज्य के इतिहास में प्रथम ‘बलापहार’ कहा गया है।


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