सौंदर्य (सूक्तियाँ)

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क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। सादी
(2) वास्तविक सोन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है। महात्मा गांधी
(3) सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। भगवतीचरण वर्मा
(4) सोंदर्य आकार और सममिति पर निर्भर होता है। चाहे कोई जीव छोटा हो या बेहद बड़ा वह ख़ूबसूरती को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि उसको एक दृष्टि मात्र में देखने पर उसकी स्पष्ट नहीं होती है, इसलिए वे परिपूर्ण की श्रेणी में नहीं आते। अरस्तु
(5) मेरी नजर में मेरा क़रीबी दोस्त कभी भी वृद्ध नहीं हो सकता। वह वैसा ही रहेगा जैसा मैंने उसे पहली बार देखा था, उसकी खुबसूरती वैसी ही दिखेगी जैसी मैंने पहली नजर में देखी थी। विलियम शेक्सपियर
(6) अतिशय सुंदरता कभी-कभी हमें भयानक रूप से ठेस भी पहुंचा सकती है। एदुआर्दो गैलियानो
(7) इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। डी. एच. लॉरेंस़
(8) ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड‍़ती है। खलील जिब्रान
(9) जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह जरूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही ख़ूबसूरती दिखाई दे। जॉर्ज सेंड
(10) दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत चीजें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। हेलेन कलर
(11) याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। गिल्सन
(12) एक शख्स हर दिन संगीत सुने, थोड़ी सी कविता पढ़े और अपने जीवन की सुंदर तस्वीर रोज देखे … उसे सुंदरता की परिभाषा तलाशने की ज़रूरत ही नहीं, क्योंकि भगवान ने सरे संसार का सौंदर्य उसकी झोली में डाल रखा है। गोयथे
(13) ख़ूबसूरती में मानव खुद को पूर्णता के स्तर पर देखता है, कुछ परिस्थितियों में वह खुद की पूजा करता है, मनुष्य यह मान लेता कि यह पूरा विश्व ख़ूबसूरती से भरा हुआ है यह भूल जाता है कि जो सुंदरता वह देख रहा है वह उसके ‌‍द्वारा बनाई हुई है। मानव ने अकेले ही इस जहान को ख़ूबसूरती अर्पित कि है। फ्रेडरिक नीत्शे
(14) सुंदरता जब आपको आकर्षित कर रही होती है, व्यक्तित्व तब तक आपके दिल पर कब्ज़ा कर चुका होता है। अज्ञात
(15) हम सारी दुनिया घूमते और ख़ूबसूरती तलाशते रहते हैं.. कभी मुड़ के भी नहीं देखते.. अपने पास ही छुपी हुई ख़ूबसूरती की और। इमर्सन
(16) कभी भी कुछ सुंदर देखने का मौका मत छोडो, सच तो यह है कि ख़ूबसूरती भगवान की लिखावट है.. हर चेहरे पर, धुले-धुले आसमान में, हर फूल में उसकी लिखावट नज़र आएगी.. और हे भगवान, इस सौंदर्य के लिये हम आपके आभारी हैं। राल्फ वाल्डो इमर्सन
(17) सुंदरता सबको चाहिए। इसके लिये आओ, बाहर आओ। पूजाघर में और खेल के मैदानों में सौंदर्य बिखरा पड़ा है .. उससे अपना तन और मन भर लो। जोन मुइर

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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