कर्तव्य (सूक्तियाँ)

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क्रमांक सूक्तियाँ सूक्ति कर्ता
(1) सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। प्रेमचंद
(2) कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। प्रेमचंद
(3) कृतज्ञता एक कर्तव्य है,जिसे पूरा करना चाहिए। रूसो
(4) विदेश में विद्या, घर में पत्नी, रोगी के लिए औषधि और मृतक का मित्र धर्म है। अज्ञात
(5) कर्तव्य एक चुम्बक है, जिसकी ओर आकर्षित हुआ अधिकार दौड़ा आता है। अज्ञात
(6) मेरे दायें हाथ में कर्म है और बायें हाथ में जय ! अथर्ववेद
(7) फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। गीता
(8) कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। कहावत
(9) कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरुप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। विनोबा भावे
(10) मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। डिकेंस
(11) मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। नेपोलियन
(12) हमारी आनंदपूर्ण बदकारियाँ ही हमारी उत्पीड़क चाबुक बन जाती हैं। शेक्सपियर
(13) अपनी करनी कभी कभी निष्फल नहीं जाती। कबीर
(14) सनास्त कर्म का लक्ष्य आनंद की ओर है। रविन्द्र नाथ टैगोर
(15) जीवन में आनन्द को कर्तव्य बनाने की अपेक्षा कर्तव्य को आनन्द बनाना अधिक महत्वपूर्ण हैं।
(16) आदर्शों के प्रति श्रद्धा और कर्तव्य के प्रति लगन का जहाँ भी उदय हो रहा है, समझना चाहिए कि वहाँ किसी देवमानव का आविर्भाव हो रहा है।
(17) समान भाव से आत्मीयता पूर्वक कर्तव्य -कर्मों का पालन किया जाना मनुष्य का धर्म है।
(18) समर्पण का अर्थ है - मन अपना विचार इष्ट के, हृदय अपना भावनाएँ इष्ट की और आपा अपना किन्तु कर्तव्य समग्र रूप से इष्ट का।
(19) मनुष्यता सबसे अधिक मूल्यवान है। उसकी रक्षा करना प्रत्येक जागरूक व्यक्ति का परम कर्तव्य है।
(20) साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है, परंतु एक नया वातावरण देना भी है। डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
(21) निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है। शक्तियाँ मंत्र, प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं। मंत्र (योजना, परामर्श) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है, प्रभाव (राजोचित शक्ति, तेज) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह (उद्यम) से कार्य सिद्ध होता है। दसकुमारचरित
(22) प्रकृति को बुरा-भला न कहो। उसने अपना कर्तव्य पूरा किया, तुम अपना करो। मिल्टन
(23) हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें, अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएंगे। बुद्ध
(24) यशस्वियों का कर्तव्य है कि जो अपने से होड़ करे उससे अपने यश की रक्षा भी करें। कालिदास
(25) डूबते को बचाना ही अच्छे इंसान का कर्तव्य होता है। डॉ. मनोज चतुर्वेदी
(26) लोग अपने कर्तव्य भूल जाते हैं लेकिन अपने अधिकार उन्हें याद रहते हैं। इंदिरा गांधी
(27) वैर लेना या करना मनुष्य का कर्तव्य नहीं है- उसका कर्तव्य क्षमा है। महात्मा गांधी
(28) मनुष्य का कर्तव्य है कि कष्ट देनेवाले से भी प्रेम करे। मारकस आंटोनियस

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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