घाट नदी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:10, 1 November 2014 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "काफी " to "काफ़ी ")
Jump to navigation Jump to search

घाट नदी (अंग्रेज़ी: Ferry) बहुधा किसी किसी नदी पर यातायात इतना कम रहता है कि उस पर पुल के निर्माण में व्यय करना उचित नहीं प्रतीत होता। ऐसी अवस्था में नाव से नदी आर पार करने की व्यवस्था बड़ी सुविधाजनक होती है। समुद्री किनारों की सड़कों पर ज्वार द्वारा निर्मित छोटी नदियों को आर पार करने के लिये ऐसी ही व्यवस्था साधारणतया प्रचलित है।

इसमें नदी के दोनों किनारों पर उतरने और चढ़ने की समुचित व्यवस्था रहती है, ताकि गाड़ियाँ जल तल के बदलते रहने पर भी नाव पर चढ़ या उतर सकें। चढ़ने उतरने का मार्ग काफ़ी दूरी तक सीधा होना चाहिए, ताकि गाड़ियों को नाव में चढ़ने या उतरने के समय मुड़ना न पड़े। गाड़ियों को नाव पर चढ़ाने या उतारने के लिये पटरों का उपयोग किया जाता है। पटरों की ढाल छ: में एक से अधिक नहीं होनी चाहिए। घाट नदी में इतना बढ़ा नहीं होना चाहिए कि उससे नदी की धारा में कोई रुकावट पैदा हो। पहले पानी के तल के मौसमी उतार चढ़ाव की सीमा निश्चित कर ली जाती है। बाढ़ द्वारा कभी कभी पानी के तल में जो चढ़ाव होता है और जो साल में कुछ ही दिनों तक रहता है उसका विचार नहीं किया जाता। फिर अधिकतम और न्यूनतम चढ़ाव के अंतर को दो, या दो से अधिक भागों, में विभक्त कर लेते हैं। बहुधा यह अंतर 8 से लेकर 10 फुट तक का होता है और दो भाग पर्याप्त नहीं होते। ऐसी दशा में तीन घाट तैयार किए जाते हैं : एक पानी के डच्च तल के लिये, दूसरा पानी के मध्य तल के लिये और तीसरा पानी के निम्न तल के लिये। लदी होने पर नाव की पाटन पानी के तल से साधारणत: डेढ़ फुट ऊपर रखी जाती है।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. घाट नदी (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 21 अक्टूबर, 2014।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः