गन्धर्व (देश)

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:49, 3 January 2016 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "रूचि" to "रुचि")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Disamb2.jpg गन्धर्व एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- गन्धर्व (बहुविकल्पी)

गन्धर्व नामक देश का वर्णन वाल्मीकि रामायण में हुआ है। यह देश सिन्धु नदी के दोनों किनारों पर स्थित था। दशरथ के पुत्र और श्री राम के अनुज भरत ने अपने दोनों पुत्रों 'तक्ष' तथा 'पुष्कल' सहित गंधर्व देश पर आक्रमण करके इस पर विजय प्राप्त की थी। भरत ने विजय के बाद अपने पुत्रों के नाम पर ही यहाँ 'तक्षशिला' और पुष्कलावती' नाम की दो नगरियों को बसाया था।

रामायण का उल्लेख

वाल्मीकि रामायण, उत्तरकांड में गंधर्वदेश को गांधार विषय के अंर्तगत और सिंधु देश का पर्याय माना गया है। गंधर्वदेश पर भरत ने अपने मामा केकयराज युधाजित के परामर्श से चढ़ाई करके गंधर्वों को हराया और उसके पूर्वी तथा पश्चिमी भाग में तक्षशिला और पुष्कलावत या पुष्कलावती नामक नगरियों को बसाकर यहाँ का राजा क्रमश: अपने पुत्र 'तक्ष' और 'पुष्कल' को बनाया। दोनों नगरियों के नाम भरत के पुत्रों के नाम पर ही रखे गये थे।

'तक्षंतक्षशिलायां तु पुष्कल पुष्कलावते, गंधर्वदेशे रुचिरे गांधारविषय य च स:।'[1]

  • 'रघुवंश'[2] में भी गंधर्वों के देश को सिंधु देश कहा है-

'युधाजितश्च संदेशात्सदेश सिंधुनामकम्, ददो दत्तप्रभावाय भरताय भृतप्रज:।' भरतस्तत्र गंधर्वान्युधि निजित्य केवलम् शातोद्यं ग्राहृयामास समत्याजयदायुधम्।'

  • वाल्मीकि रामायण[3] में वर्णित है कि पांच वर्षों तक यहाँ ठहरकर भरत ने गंधर्व देश की इन नगरियों को अच्छी तहर बसाया और फिर वे अयोध्या लौट आए। इन दोनों नगरियों की समृद्धि और शोभा का वर्णन उत्तरकांड[4] में किया गया है-

'धनरत्नौघ संकीर्णें काननैरुपशोभिते:, अन्योन्य संघर्ष कृते स्पर्धया गुणविस्तरै:, उभे सरुचिरप्रख्ये व्यवहारैरकिल्विषै:, उद्यानयान संपूर्णेसुविभक्तान्तरापणे, उभेपुरवरेरम्ये विस्तरैरुपशोभिते, गृहमुख्यै: सुरुचिरै विंमानैर्बहु शोभिते।'

  • तक्षशिला वर्तमान 'तकसिला' (ज़िला रावलपिंडी, प. पाकिस्तान) और पुष्कलावती वर्तमान 'चरसड्डा' (ज़िला पेशावर, प. पाकिस्तान) है। रामायण काल में गंधर्वों के यहाँ रहने के कारण ही यह गंधर्व देश कहलाता था। गंधर्वों के उत्पात के कारण पड़ोसी देश केकय के राजा ने श्रीरामचंद्र की सहायता से उनके देश को जीत लिया था। जान पड़ता है पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में बसे हुए लड़ाकू कबीले, रामायण के गंधर्वों के ही वंशज है।

अन्य प्रसंग

एक अन्य प्रसंगानुसार महाभारत काल में मानसरोवर व कैलास पर्वत का प्रदेश (तिब्बत) भी, जिसे 'हाटक' कहा गया है, गंधर्व देश के नाम से प्रसिद्ध था। सभापर्व[5] में अर्जुन की दिग्विजय यात्रा के संबंध में गंधर्वों का उनके द्वारा पराजित होना वर्णित है-

'सरोमानसमासाद्य हाटकानभित:, गंधर्वरक्षित देशमजयत् पांडवस्तत.।'

प्राचीन संस्कृत साहित्य में गंधर्वों का विमानों द्वारा यात्रा करते हुए वर्णन है। गंधर्वों के जल-क्रीडा के वर्णन भी अनेक स्थलों पर हैं। चित्ररथ गंधर्व को अर्जुन ने हराकर उसके द्वारा कैद किए हुए दुर्योधन को छुड़ाया था। गंधर्व देश के नीचे, किंपुरुष या किन्नर देश, संभवत: वर्तमान हिमाचल प्रदेश और तिब्बत की सीमा के निकटवर्ती इलाके की स्थिति थी।[6]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उत्तरकांड 101, 11.
  2. रघुवंश 15, 87-88
  3. रामायण 101, 16
  4. उत्तरकांड 101, 12-15
  5. सभापर्व 28, 5
  6. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 267 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः