वासुदेव चौहान

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वासुदेव चौहान को 'शाकंभरी के चौहान'[1] वंश का संस्थापक माना जाता है। चौहानों के मूल स्थान के संबंध में मान्यता है कि वे सपादलक्ष एवं जांगल प्रदेश के आस-पास रहते थे। उनकी राजधानी 'अहिच्छत्रपुर' (नागौर) थी।

  • सपादलक्ष के चौहानों का आदिपुरुष वासुदेव था, जिसका समय 551 ई. के लगभग अनुमानित है।
  • बिजौलिया प्रशस्ति में वासुदेव को 'सांभर झील' का निर्माता माना गया है। इस प्रशस्ति में चौहानों को 'वत्सगौत्रीय' ब्राह्मण बताया गया है।
  • प्रारंभ में चौहान प्रतिहारों के सामन्त थे, परन्तु गुवक प्रथम, जिसने 'हर्षनाथ मन्दिर' (सीकर के पास) का निर्माण कराया, स्वतन्त्र शासक के रूप में उभरा। इसी वंश के चन्दराज की पत्नी रुद्राणी यौगिक क्रिया में निपुण थी। ऐसा माना जाता है कि वह पुष्कर झील में प्रतिदिन एक हज़ार दीपक जलाकर महादेव की उपासना करती थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सांभर-अजमेर के आस-पास का क्षेत्र

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