शरतचंद्र के अनमोल वचन

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शरतचंद्र के अनमोल वचन
  • अभाव पर विजय पाना ही जीवन की सफलता है। उसे स्वीकार करके उसकी ग़ुलामी करना कायरपन है।
  • क्रांतिकारी- उसकी नस नस में भगवान ने ऐसी आग जला दी है कि उन्हें चाहे जेल में ठूंस दो, चाहे सूली पर चढ़ा दो, कह न दिया कि पंचभूतों को सौंपने के सिवा और कोई सज़ा ही लागू नहीं होती। न तो इनमें दया है, न धर्म कर्म ही मानते हैं।
  • पार्थिव सुख ही एकमात्र सुख नहीं है- बल्कि धर्म के लिए, दूसरों के लिए उस सुख को उत्सर्ग कर देना ही श्रेय है।
  • मनुष्य जितना चाहता है, उतनी ही उसकी प्राप्त करने की शक्ति बढ़ती जाती है। अभाव पर विजय पाना ही जीवन की सफलता है। उसे स्वीकार कर के उसकी ग़ुलामी करना ही कायरपन है।
  • समाज में रहकर समाज को हानि पहुंचाना और आत्महत्या कर लेना दोनों ही समान हैं।
  • कर्तव्य कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसे नाप-जोख कर देखा जाए।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें



टीका टिप्पणी और संदर्भ


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