वाक्पति मुंज

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वाक्पति मुंज (973 से 995 ई.)मंज सीयक का दत्तक पुत्र एवं उत्तराधिकारी था।

  • उसने कलचुरी शासक युवराज द्वितीय तथा चालुक्य राजा तैलप द्वितीय को युद्व में परास्त किया।
  • तैलप को मंजु ने करीब 6 बार युद्ध में परास्त किया था।
  • सातवी बार युद्ध में बन्दी बनाकर उसकी हत्या कर दी गयी।
  • इस घटना का उल्लेख अभिलेखों एवं आइना-ए-अकबरी में मिलता है।
  • उसका काल परमारों के लिए गौरव का काल था। मंजु ने श्री वल्लभ, पृथ्वी वल्लभ, अमोघवर्ष आदि उपाधियां धारण की। कौथेम दानपात्र से विदित होता है कि उसने हूणों को भी पराजित किया था।
  • मंजु एक सफल विजेता होने के साथ कवियों एवं विद्धानों का आश्रयदाता भी था।
  • उसके राजदरबार में यशोरूपावलोक के रचयिता धनिक, नवसाहसांकचरित के लेखक पद्मगुप्त, दशरूपक के लेखक धनंजय आदि रहते थे।
  • उसके बाद उसका छोटा भाई सिंधु राज शासक हुआ।
  • उसने कुमार नारायण एवं साहसांक की उपाधि धारण की।
  • मूंज ने धारा में अपने नाम से 'मुज सागर' नामक तालाब का निर्माण कराया था।


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