सत्याग्रह: Difference between revisions
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[[चित्र:Mahatma-Gandhi-Satyagrahi.jpg|सत्याग्रह आन्दोलन, महात्मा गांधी|thumb|200px]] सत्याग्रह एक हिन्दी शब्द है, जिसका अर्थ है सत्य के लिए आग्रह। इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था। व्यवहार में यह बुराई विशेष के प्रति दृढ़, लेकिन अहिंसक प्रतिरोध के रूप में प्रकट हुआ। ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध भारतीय जनता के संघर्ष में सत्याग्रह मार्गदर्शक था।
सत्याग्रह से अभिप्राय
सत्याग्रह का अर्थ 'सत्य के प्रति समर्पण या 'सत्य की शक्ति' हो सकता है। सत्याग्रह का अनुयायी सत्याग्रही अहिंसा का पालन करते हुए शान्ति व प्रेम का लक्ष्य सामने रखकर सत्य की खोज द्वारा किसी बुराई की वास्वविक प्रकृति को देखने की सही अंतदृष्टि प्राप्त कर लेता है। इसका अभिप्राय सामाजिक एवं राजनीतिक अन्यायों को दूर करने के लिए सत्य और अंहिसा पर आधारित आत्मिक बल का प्रयोग था। यह एक प्रकार का निष्क्रिय प्रतिरोध था, जो व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से कष्ट सहन द्वारा विरोधी का हृदय परिवर्तन करने में सक्षम हो। दक्षिण अफ़्रीका में इस आन्दोलन को अत्यधिक सफलता मिली। जनरल स्मट्स को प्रवासी भारतीयों के आन्दोलन का औचित्य स्वीकार करना पड़ा और भारत के वाइसराय लॉर्ड हार्डिंग ने भी उनके प्रति सहानुभूति प्रकट की। अन्तत: इस आन्दोलन से दक्षिण अफ़्रीका के भारतीयों की अनेक शिक़ायतें दूर हुईं।
भारत में सत्याग्रह
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भारत में पहला सत्याग्रह आन्दोलन 1917 ई. में नील की खेती वाले चम्पारण ज़िले में हुआ। इसके बाद के वर्षों में सत्याग्रह के तरीक़ों के रूप में उपवास और आर्थिक बहिष्कार का उपयोग किया गया। व्यावहारिक दृष्टि से एक सार्वभौमिक दर्शन के रूप में सत्याग्रह की प्रभावोत्पादकता पर प्रश्नचिह्न लगाए गए हैं। सत्याग्रह अप्रत्यक्ष रूप से यह स्वीकार करता जान पड़ता है कि विरोधी पक्ष किसी न किसी स्तर की नैतिकता का पालन करेगा, जिसे सत्याग्रही का सत्य अन्तत: शायद प्रभावित कर जाए। लेकिन स्वयं गांधी का मानना था कि सत्याग्रह कहीं भी सम्भव है, क्योंकि यह किसी को भी परिवर्तित कर सकता है।