हज: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Hajj.jpg|thumb|250px|हज का एक दृश्य<br />A View Of Hajj]] | [[चित्र:Hajj.jpg|thumb|250px|हज का एक दृश्य<br />A View Of Hajj]] | ||
'''हज''' [[मक्का शरीफ]] की तीर्थयात्रा को कहते हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=563, परिशिष्ट 'घ'|url=}}</ref> [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]] में हज [[अरब देश|सऊदी अरब]] के पवित्र शहर की तीर्थयात्रा है, जो प्रत्येक वयस्क [[मुस्लिम]] स्त्री या पुरुष को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार ज़रूर करनी चाहिए। इस्लाम के पाँच स्तंभ के रूप में ज्ञात मूलभूत मुस्लिम आंचार एवं संस्थानों में हज का स्थान पाँचवाँ है। धू-अल-हिज्जा (इस्लामी वर्ष का आख़िरी महीना) के सातवें दिन तीर्थयात्रा शुरू होती और 12वें दिन पूरी होती है, शारीरिक और वित्तीय रूप से समर्थ प्रत्येक मुसलमान के लिए हज ज़रूरी है, लेकिन उसकी अनुपस्थिति में उसके परिवार को परेशानी नहीं होनी चाहिए। कोई व्यक्ति अनुपस्थित रहकर भी हज पर जा रहे अपने रिश्तेदार या दोस्त को अपनी जगह वहाँ ‘खड़े होने’ को कहकर यात्रा कर सकता है। | '''हज''' [[मक्का (अरब)|मक्का शरीफ]] की तीर्थयात्रा को कहते हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=563, परिशिष्ट 'घ'|url=}}</ref> [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]] में हज [[अरब देश|सऊदी अरब]] के पवित्र शहर की तीर्थयात्रा है, जो प्रत्येक वयस्क [[मुस्लिम]] स्त्री या पुरुष को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार ज़रूर करनी चाहिए। इस्लाम के पाँच स्तंभ के रूप में ज्ञात मूलभूत मुस्लिम आंचार एवं संस्थानों में हज का स्थान पाँचवाँ है। धू-अल-हिज्जा (इस्लामी वर्ष का आख़िरी महीना) के सातवें दिन तीर्थयात्रा शुरू होती और 12वें दिन पूरी होती है, शारीरिक और वित्तीय रूप से समर्थ प्रत्येक मुसलमान के लिए हज ज़रूरी है, लेकिन उसकी अनुपस्थिति में उसके परिवार को परेशानी नहीं होनी चाहिए। कोई व्यक्ति अनुपस्थित रहकर भी हज पर जा रहे अपने रिश्तेदार या दोस्त को अपनी जगह वहाँ ‘खड़े होने’ को कहकर यात्रा कर सकता है। | ||
==अनुष्ठान== | ==अनुष्ठान== | ||
हज के अनुष्ठान को [[मुहम्मद|पैगंबर मुहम्मद]] ने स्थापित किया था, लेकिन इसमें कुछ भिन्नताएँ आ गई हैं और कठोर औपचारिक मार्ग निर्देशन का हाजियों के समूह द्वारा, जो अक्सर बिना उचित क्रम के [[मक्का (अरब)|मक्का]] जाते हैं, सख़्ती से पालन नहीं किया जाता। | हज के अनुष्ठान को [[मुहम्मद|पैगंबर मुहम्मद]] ने स्थापित किया था, लेकिन इसमें कुछ भिन्नताएँ आ गई हैं और कठोर औपचारिक मार्ग निर्देशन का हाजियों के समूह द्वारा, जो अक्सर बिना उचित क्रम के [[मक्का (अरब)|मक्का]] जाते हैं, सख़्ती से पालन नहीं किया जाता। |
Latest revision as of 07:57, 11 May 2018
thumb|250px|हज का एक दृश्य
A View Of Hajj
हज मक्का शरीफ की तीर्थयात्रा को कहते हैं।[1] इस्लाम में हज सऊदी अरब के पवित्र शहर की तीर्थयात्रा है, जो प्रत्येक वयस्क मुस्लिम स्त्री या पुरुष को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार ज़रूर करनी चाहिए। इस्लाम के पाँच स्तंभ के रूप में ज्ञात मूलभूत मुस्लिम आंचार एवं संस्थानों में हज का स्थान पाँचवाँ है। धू-अल-हिज्जा (इस्लामी वर्ष का आख़िरी महीना) के सातवें दिन तीर्थयात्रा शुरू होती और 12वें दिन पूरी होती है, शारीरिक और वित्तीय रूप से समर्थ प्रत्येक मुसलमान के लिए हज ज़रूरी है, लेकिन उसकी अनुपस्थिति में उसके परिवार को परेशानी नहीं होनी चाहिए। कोई व्यक्ति अनुपस्थित रहकर भी हज पर जा रहे अपने रिश्तेदार या दोस्त को अपनी जगह वहाँ ‘खड़े होने’ को कहकर यात्रा कर सकता है।
अनुष्ठान
हज के अनुष्ठान को पैगंबर मुहम्मद ने स्थापित किया था, लेकिन इसमें कुछ भिन्नताएँ आ गई हैं और कठोर औपचारिक मार्ग निर्देशन का हाजियों के समूह द्वारा, जो अक्सर बिना उचित क्रम के मक्का जाते हैं, सख़्ती से पालन नहीं किया जाता।
- जब तीर्थयात्री मक्का से लगभग 10 किलोमीटर दूर होता है, तब वह इहराम कहलाने वाली पाक (पवित्र) अवस्था में पहुँचता है और वह इहराम वस्त्र पहनता है, जो दो सफ़ेद बिना सिली चादरों से बना होता है। उसे शरीर के चारों तरफ लपेटा जाता है। हज पूरा होने तक हाजी न तो अपने बाल और न ही नाख़ून काटता है। वह मक्का पहुँचता है और बड़ी मस्जिद स्थित पाक काबा के चारों ओर सात बार परिक्रमा करता है। काले पत्थर (हजर-अल-आस्वद) को चूमता या छूता है और मक़ाम इब्राहीम व काबा की दीक्षा में दो बार नमाज़ पढ़ता है। फिर सफ़ा तथा मरवाह पहाड़ के बीच सात बार आता-जाता है।
- धू-अल-हिज्जा के सातवें दिन हाजी को उसके फ़र्ज़ याद दिलाए जाते हैं। इस अनुष्ठान के दूसरे चरण में, जो महीने के आठवें व बारहवें दिन के बीच होता है, हाजी मक्का के बाहर स्थित पाक जगहों, जबाल अर-रहमा, मुज्दलिफ़ा व मीना की यात्रा करता है और अब्राहम की कुर्बानी की याद में एक जानवर कुर्बान करता है। हाजी फिर आमतौर पर अपना सिर मुंडवाता है और लगभग तीन दिन तक मीना स्थित तीन खंभों पर हर रोज़ सात पत्थर फेंकता है (खंभे विभिन्न शैतानों के प्रतीक है), फिर वह मक्का लौटकर शहर छोड़ने से पहले काबा का आखिरी तवाफ़ या चक्कर लगाता है।
धार्मिक कृत्य
हर साल लगभग 20 लाख लोग हज करते हैं। इस धार्मिक कृत्य में विभिन्न पृष्ठभूमि के अनुयायियों के एक साथ आने के कारण यह इस्लाम में एकजुट करने की शक्ति का काम करता है। एक बार तीर्थयात्रा करने के बाद व्यक्ति अपने नाम के साथ हाजी जोड़ सकता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 563, परिशिष्ट 'घ' |
संबंधित लेख