विश्व हिन्दी सम्मेलन 1996: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला") |
||
Line 11: | Line 11: | ||
#[[मॉरीशस]] में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना के लिए [[भारत]] में एक अंतर-सरकारी समिति बनाई जाए। | #[[मॉरीशस]] में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना के लिए [[भारत]] में एक अंतर-सरकारी समिति बनाई जाए। | ||
#सभी देशों, विशेषकर जिन देशों में अप्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में हैं, उनकी सरकारें अपने-अपने देशों में हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करें। उन देशों की सरकारों से आग्रह किया जाए कि वे हिन्दी को [[संयुक्त राष्ट्र]] की भाषा बनाने के लिए राजनीतिक योगदान और समर्थन दें। | #सभी देशों, विशेषकर जिन देशों में अप्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में हैं, उनकी सरकारें अपने-अपने देशों में हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करें। उन देशों की सरकारों से आग्रह किया जाए कि वे हिन्दी को [[संयुक्त राष्ट्र]] की भाषा बनाने के लिए राजनीतिक योगदान और समर्थन दें। | ||
{{विश्व हिन्दी सम्मेलन | {{विश्व हिन्दी सम्मेलन श्रृंखला}} | ||
Latest revision as of 10:10, 9 February 2021
पाँचवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन वर्ष 1996 में त्रिनिदाद एवं टोबेगो की राजधानी पोर्ट ऑफ़ स्पेन में 4 अप्रैल से 8 अप्रैल तक आयोजित हुआ था। आयोजक संस्था थी- त्रिनीदाद की हिन्दी निधि।
- इस सम्मेलन के प्रमुख संयोजक हिन्दी निधि के अध्यक्ष चंका सीताराम थे।
- भारत की ओर से इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमण्डल के नेता अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल माता प्रसाद थे।
- सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था- "प्रवासी भारतीय और हिन्दी"।
- जिन अन्य विषयों पर इस सम्मेलन में ध्यान केन्द्रित किया गया, वे थे- 'हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास', 'कैरेबियाई द्वीपों में हिन्दी की स्थिति' एवं 'कम्प्यूटर युग में हिन्दी की उपादेयता'।
- पाँचवे विश्व हिन्दी सम्मेलन' में भारत से 17 सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने हिस्सा लिया। अन्य देशों के 257 प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए थे।
पारित प्रस्ताव
'पाँचवें विश्व हिन्दी सम्मेलन' में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए गए थे-
- विश्वव्यापी भारतवंशी समाज हिन्दी को अपनी संपर्क भाषा के रूप में स्थापित करेगा।
- मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना के लिए भारत में एक अंतर-सरकारी समिति बनाई जाए।
- सभी देशों, विशेषकर जिन देशों में अप्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में हैं, उनकी सरकारें अपने-अपने देशों में हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करें। उन देशों की सरकारों से आग्रह किया जाए कि वे हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के लिए राजनीतिक योगदान और समर्थन दें।
Template:विश्व हिन्दी सम्मेलन श्रृंखला
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख