मध्य प्रदेश की वन संपदा: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{{पुनरीक्षण}} मध्य प्रदेश के कुछ ही प्रतिशत हिस्से म...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला") |
(One intermediate revision by one other user not shown) | |
(No difference)
|
Latest revision as of 10:48, 9 February 2021
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
मध्य प्रदेश के कुछ ही प्रतिशत हिस्से में स्थायी चारागाह या घास के मैदान हैं। प्रमुख वन क्षेत्रों में विंध्य पर्वत श्रृंखला, कैमूर की पहाड़ियाँ, सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला, बघेलखंड का पठार और दंडकारण्य क्षेत्र शामिल है। महत्त्वपूर्ण वृक्ष सागौन, साल, बाँस, सलाई एवं तेंदूपत्ता हैं। सलाई से निकलने वाला लीसा अगरबत्ती और औषधि बनाने के काम आता है। तेंदू के पत्ते बीड़ी बनाने के काम आते हैं, जिसके प्रसिद्ध केन्द्र जबलपुर और सागर हैं। जंगलों में जंगली पशु भरे पड़े हैं। जैसे बाघ, तेंदुआ, जंगली साँड़, चीतल, भालू, जंगली भैंसा, सांभर और काला हिरन। पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियाँ यहाँ पर हैं।
|
|
|
|
|