अनमोल वचन 6: Difference between revisions
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==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)== | ==सौंदर्य, सुंदरता, शबाब (Beauty)== | ||
* सुन्दरता बिना | * सुन्दरता बिना श्रृंगार के मन मोहती है। ~ सादी | ||
* वास्तविक सोन्दर्य हृदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी | * वास्तविक सोन्दर्य हृदय की पवित्रता में है। ~ महात्मा गांधी | ||
* सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा | * सुन्दर वही हो सकता है जो कल्याणकारी हो। ~ भगवतीचरण वर्मा | ||
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* ख़ूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़ | * ख़ूबसूरती एक अनुभव है, इसके सिवा कुछ भी नही| इसे बयां करने के लिए स्थापित मानक नहीं हैं, न ही नाक – नक्श का वणर्न करना काफ़ी है। ~ डी. एच. लॉरेंस़ | ||
* ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। ~ खलील जिब्रान | * ख़ूबसूरती चेहरे पर नहीं होती| ये तो दिल की रोशनी है, बहुत ध्यान से देखनी पड़ती है। ~ खलील जिब्रान | ||
* जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह | * जो सुंदरता आंखों द्वारा देखी जाती है, वह कुछ ही पल कि होती है, यह ज़रूरी भी नहीं कि हमारे भीतर से भी वही ख़ूबसूरती दिखाई दे। ~ जॉर्ज सेंड | ||
* दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत चीज़ें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। ~ हेलेन कलर | * दुनिया की सबसे अच्छी और ख़ूबसूरत चीज़ें कभी देखी या छुई नहीं गई, वे बस दिल के साथ घुल – मिल गईं। ~ हेलेन कलर | ||
* सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन| | * सुंदर चीजों पर यकीन बनाये रखिये| याद रहे- सूरज डूब गया तो वसंत भी नहीं आएगा। ~ गिल्सन| | ||
Line 172: | Line 172: | ||
* वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता। | * वह सच्चा साहसी है, जो कभी निराश नहीं होता। | ||
* साहसे खलु श्री वसति। (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं) | * साहसे खलु श्री वसति। (साहस में ही लक्ष्मी रहती हैं) | ||
* | * ज़रूरी नहीं है कि कोई साहस लेकर जन्मा हो, लेकिन हरेक शक्ति लेकर जन्मता है। | ||
* बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल | * बिना निराश हुए ही हार को सह लेना पृथ्वी पर साहस की सबसे बडी परीक्षा है। ~ आर. जी. इंगरसोल | ||
* बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते। | * बिना साहस के हम कोई दूसरा गुण भी अनवरत धारण नहीं कर सकते। हम कृपालु, दयालु, सत्यवादी, उदार या इमानदार नहीं बन सकते। | ||
Line 212: | Line 212: | ||
* दान के लिए वर्तमान ही सबसे उचित समय है। | * दान के लिए वर्तमान ही सबसे उचित समय है। | ||
* युधिस्तर के पास एक भिखारी आया। उन्होंने उसे अगले दिन आने के लिए कह दिया। इस पर भीम हर्षित हो उठे। उन्होंने सोचा कि उनके भाई ने कल तक के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है। ~ महाभारत | * युधिस्तर के पास एक भिखारी आया। उन्होंने उसे अगले दिन आने के लिए कह दिया। इस पर भीम हर्षित हो उठे। उन्होंने सोचा कि उनके भाई ने कल तक के लिए मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है। ~ महाभारत | ||
* विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए। ~ | * विनम्र भाव से ऐसे दान करना चाहिए जैसे उसके लेने से आप कृतज्ञ हुए। ~ डॉ. के. के. अग्रवाल | ||
==सपना, ख़याल (Dream)== | ==सपना, ख़याल (Dream)== | ||
* हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | * हमारे कई सपने शुरू में असंभव लगते हैं, फिर असंभाव्य और फिर जब हमें संकल्पशक्ति आती है तो ये सपने अवश्यंभावी हो जाते हैं। ~ क्रिस्टोफर रीव | ||
* सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ | * सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता, सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डॉ. अब्दुल कलाम | ||
* स्वप्न | * स्वप्न द्रष्टाऔर यथार्थ के स्रष्टा बनिए। ~ अज्ञात | ||
* अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | * अभिलाषा तभी फलदायक होती है, जब वह दृढ निश्चय में परिणित कर दे जाती है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
* सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ | * सपने देखना बेहद ज़रूरी है, लेकिन केवल सपने देखकर ही मंज़िल को हासिल नहीं किया जा सकता। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी में खुद के लिए कोई लक्ष्य तय करना। ~ डॉ. अब्दुल कलाम | ||
==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)== | ==कर्तव्य, धर्म, फर्ज़ (Duty)== | ||
Line 230: | Line 230: | ||
* फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता | * फल की इच्छा छोड़कर निरंतर कर्त्तव्य करो, जो फल की अभिलाषा छोड़कर कर्त्तव्य करतें उन्हें अवश्य मोक्ष प्राप्त होता है। - गीता | ||
* कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत | * कर्मो की आवाज़ शब्दों से ऊंची होती है। - कहावत | ||
* कर्म वह आईना है जो हमारा | * कर्म वह आईना है जो हमारा स्वरूप हमें दिखा देता है इसलिए हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए। - विनोबा | ||
* मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस | * मनुष्य का कर्त्तव्य है की वह उदार बनाने से पहले त्यागी बने। - डिकेंस | ||
* मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन | * मैंने कर्म से ही अपने को बहुगुणित किया है। - नेपोलियन | ||
Line 239: | Line 239: | ||
==शिक्षा (Education)== | ==शिक्षा (Education)== | ||
* शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | * शिक्षा जीवन की परिस्थितियों का सामना करने की योग्यता का नाम है। ~ जॉन जी. हिबन | ||
* बच्चों को शिक्षित करना तो | * बच्चों को शिक्षित करना तो ज़रूरी है ही, उन्हें अपने आप को शिक्षित करने के लिए छोड़ देना भी उतना ही ज़रूरी है। ~ अर्नेस्ट डिमनेट | ||
* संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी | * संसार में जितने प्रकार की प्राप्तियां हैं, शिक्षा सब से बढ़कर है। ~ सूर्यकांत त्रिपाठी | ||
* शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट | * शिक्षा जीवन की तैयारी का शिक्षण काल है। ~ विल्मट | ||
Line 305: | Line 305: | ||
* ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद | * ईश्वर एक है और वह एकता को पसंद करता है। - हज़रत मोहम्मद | ||
* ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी | * ईश्वर के अस्तित्व के लिए बुद्धि से प्रमाण नहीं मिल सकता क्योंकि ईश्वर भ्द्धि से परे है। - महात्मा गाँधी | ||
* यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना | * यदि ईश्वर नहीं है तो उसका अविष्कार कर लेना ज़रूरी है। - वाल्टेयर | ||
* ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द | * ईश्वर एक शाश्वत बालक है जो शाश्वत बाग़ में शाश्वत खेल खेल रहा है। - अरविन्द | ||
* ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर | * ईश्वर बड़े साम्राज्यों से विमुख हो सकता है पर छोटे छोटे फूलों से कभी खिन्न नहीं होता। - टैगोर | ||
Line 484: | Line 484: | ||
* अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | * अल्प ज्ञान खतरनाक होता है। | ||
* उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | * उपदेश देना सरल है, उपाय बताना कठिन। | ||
* जो दूसरों को जानता है, वह | * जो दूसरों को जानता है, वह विद्वान् है। जो स्वयं को जानता है वह ज्ञानी। - लाओत्से | ||
* सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति | * सब दानों में ज्ञान का दान ही श्रेष्ठ दान है। ~ मनुस्मृति | ||
* प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे | * प्रतिभावान का गुण यह है कि वह मान्यताओं को हिला देता है। ~ गेटे | ||
Line 642: | Line 642: | ||
* अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं। | * अपने आपको दोष देना सबसे बड़ा पाप हैं। | ||
* ग़लती करने में कोई ग़लती नहीं है। ग़लती करने से डरना सबसे बडी ग़लती है। ~ एल्बर्ट हब्बार्ड | * ग़लती करने में कोई ग़लती नहीं है। ग़लती करने से डरना सबसे बडी ग़लती है। ~ एल्बर्ट हब्बार्ड | ||
* ग़लती करने का सीधा सा मतलब है कि आप | * ग़लती करने का सीधा सा मतलब है कि आप तेज़ीसे सीख रहे हैं। | ||
* बहुत सी तथा बदी ग़लतियाँ किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता। ~ ग्लेडस्टन | * बहुत सी तथा बदी ग़लतियाँ किये बिना कोई बड़ा आदमी नहीं बन सकता। ~ ग्लेडस्टन | ||
* मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज़्यादा ग़लतियाँ की जिनका मानना था कि ग़लती करना बुरा था, या ग़लती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे। ~ राबर्ट कियोसाकी | * मैं इसलिये आगे निकल पाया कि मैने उन लोगों से ज़्यादा ग़लतियाँ की जिनका मानना था कि ग़लती करना बुरा था, या ग़लती करने का मतलब था कि वे मूर्ख थे। ~ राबर्ट कियोसाकी | ||
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* बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा | * बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा | ||
* नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान | * नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान | ||
* संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की | * संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की ज़रूरत नहीं है, ईसा दुनिया के ख़िलाफ़ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के ख़िलाफ़ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* मेरा विश्वास है की वास्तविक महान् पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। ~ रस्किन | * मेरा विश्वास है की वास्तविक महान् पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। ~ रस्किन | ||
* नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा | * नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा | ||
Line 678: | Line 678: | ||
* कुबेर भी अगर आय से ज़्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य | * कुबेर भी अगर आय से ज़्यादा व्यय करे, तो कंगाल हो जाता है। ~ चाणक्य | ||
* पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है। | * पैसे की कमी समस्त बुराईयों की जड़ है। | ||
* उस मनुष्य से | * उस मनुष्य से ग़रीब कोई नहीं जिसके पास केवल धन है। ~ कहावत | ||
* दान, भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। ~ भर्तृहरि | * दान, भोग और नाश ये धन की तीन गतियाँ हैं। जो न देता है और न ही भोगता है, उसके धन की तृतीय गति (नाश) होती है। ~ भर्तृहरि | ||
* हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है) ~ महाकवि माघ | * हिरण्यं एव अर्जय , निष्फलाः कलाः । (सोना (धन) ही कमाओ, कलाएँ निष्फल है) ~ महाकवि माघ | ||
Line 749: | Line 749: | ||
* रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥ | * रहिमन चुप ह्वै बैठिये, देखि दिनन को फेर । जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥ | ||
* न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || | * न इतराइये, देर लगती है क्या | जमाने को करवट बदलते हुए || | ||
* वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, | * वसंत ऋतु निश्चय ही रमणीय है। ग्रीष्म ऋतु भी रमणीय है। वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर भी रमणीय है, अर्थात् सब समय उत्तम है। ~ सामवेद | ||
==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ||
Line 784: | Line 784: | ||
* सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स | * सिद्धांत न त्यागें, चाहे ऐसा करने वाले आप अकेले क्यों न हों। ~ जॉन एडम्स | ||
* मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | * मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे। | ||
* कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – | * कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि – विवेक की प्राप्ति होती है। – डॉ. राधाकृष्ण | ||
==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)== | ==राजनीति, राजनीतिक, सियासी (Political)== | ||
Line 794: | Line 794: | ||
* सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी। ~ एरिक फ्रॉम | * सफल क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ होता है; असफल अपराधी। ~ एरिक फ्रॉम | ||
==गरीब, | ==गरीब, ग़रीबी, निर्धन, निर्धनता, तंगी (Poverty)== | ||
* कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | * कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। ~ चाणक्य | ||
* | * ग़रीबों के बहुत से बच्चे होते हैं, अमीरों के सम्बन्धी। ~ एनॉन | ||
* | * ग़रीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* | * ग़रीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं। ~ डेनियल | ||
* निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में | * निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है। लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है। निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है। तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है। जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है। ~ वासवदत्ता, मृच्छकटिकम में | ||
* | * ग़रीबी लज्जा नहीं है, लेकिन ग़रीबी से लज्जित होना लज्जा की बात है। ~ कहावत | ||
* | * ग़रीबी मेरा अभिमान है। ~ हज़रत मोहम्मद | ||
* जो | * जो ग़रीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। ~ बाइबल | ||
==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)== | ==प्रशंसा, प्रोत्साहन, बड़ाई (Praise)== | ||
Line 841: | Line 841: | ||
* नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है। | * नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है। | ||
* भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। ~ जवाहरलाल नेहरू | * भारत को अपने अतीत की जंज़ीरों को तोड़ना होगा। हमारे जीवन पर मरी हुई, घुन लगी लकड़ियों का ढेर पहाड़ की तरह खड़ा है। वह सब कुछ बेजान है जो मर चुका है और अपना काम खत्म कर चुका है, उसको खत्म हो जाना, उसको हमारे जीवन से निकल जाना है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आपको हर उस दौलत से काट लें, हर उस चीज़ को भूल जायें जिसने अतीत में हमें रोशनी और शक्ति दी और हमारी ज़िंदगी को जगमगाया। ~ जवाहरलाल नेहरू | ||
* सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? ~ | * सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? ~ डॉ. राधाकृष्णन | ||
* हृदय की विशालता ही उन्नति की नीव है। ~ जवाहरलाल नेहरु | * हृदय की विशालता ही उन्नति की नीव है। ~ जवाहरलाल नेहरु | ||
* यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। ~ महात्मा गाँधी | * यदि एक मनुष्य की उन्नति होती है तो सारे संसार की उन्नति होती है और अगर एक व्यक्ति का पतन होता है तो सारे संसार का पतन होता है। ~ महात्मा गाँधी | ||
Line 966: | Line 966: | ||
* आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। ~ उमर खैयाम | * आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है। ~ उमर खैयाम | ||
* आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे | * आत्मा एक चेतन का तत्त्व है, जो अपने रहने के लिए उपयुक्त शक्ति का आश्रय लेता है और एक शरीर से दुसरे शरीर में जाता है। भौतिक शरीर इस आत्मा को धारण करने के लिए विवश होता है। ~ गेटे | ||
* अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित | * अहम् की मृत्यु द्वारा आत्मा का वर्जन करते करते अपने रुपातित स्वरूप को आत्मा प्रकाशित करता है। ~ टैगोर | ||
==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ==अध्ययन, पढ़ना (Study)== | ||
* दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही | * दिमाग के लिए अध्ययन कि उतनी ही ज़रूरत है,जितनी शरीर को व्यायाम कि। ~ जोसफ एडिसन | ||
* इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | * इतिहास के अध्ययन से मनुष्य बुद्धिमान बनता है। ~ बेकन | ||
* चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा | * चरित्रहीन शिक्षा, मानवताविहीन विज्ञान ओर नैतिकताविहीन व्यापार खतरनाक होते हैं। ~ सत्य साईंबाबा | ||
Line 1,087: | Line 1,087: | ||
* महान् विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान् कृतियां बन जाते हैं। ~ हेजलिट | * महान् विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान् कृतियां बन जाते हैं। ~ हेजलिट | ||
* अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | * अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | ||
* कंजूस : वह व्यक्ति जो ज़िंदगी भर | * कंजूस : वह व्यक्ति जो ज़िंदगी भर ग़रीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | ||
* अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो ग़लती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे। | * अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो ग़लती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे। | ||
* अनुभव : भूतकाल में की गई ग़लतियों का दूसरा नाम। | * अनुभव : भूतकाल में की गई ग़लतियों का दूसरा नाम। | ||
Line 1,095: | Line 1,095: | ||
* नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | * नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है। | ||
* आशावादी : वह शख़्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | * आशावादी : वह शख़्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले। | ||
* राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और | * राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और ग़रीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा। | ||
* आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | * आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके। | ||
* सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना। | * सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना। | ||
Line 1,282: | Line 1,282: | ||
* स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | * स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है। ~ गुरु गोविन्द सिंह | ||
* स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | * स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | ||
* | * ग़रीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ~ सरदार वल्लभभाई पटेल | ||
* महान् वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। ~ सेनेका | * महान् वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। ~ सेनेका | ||
* महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | * महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन |
Latest revision as of 08:25, 10 February 2021
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अनमोल वचन |
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