पुष्यभूति वंश: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(5 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
*[[गुप्त वंश]] के पतन के बाद [[हरियाणा]] के [[अम्बाला]] ज़िले के [[थानेश्वर]] नामक स्थान पर '''पुष्यभूति वंश''' की स्थापना हुई।
'''पुष्यभूति वंश''' की स्थापना छठी शताब्दी ई. में [[गुप्त वंश]] के पतन के बाद [[हरियाणा]] के [[अम्बाला]] ज़िले के [[थानेश्वर]] नामक स्थान पर हुई थी। इस वंश का संस्थापक 'पुष्यभूति' को माना जाता है, जो कि [[शिव]] का उपासक और उनका परम [[भक्त]] था। इस वंश में तीन राजा हुए- [[प्रभाकरवर्धन]] और उसके दो पुत्र [[राज्यवर्धन]] तथा [[हर्षवर्धन]]।
*यह वंश [[हूण|हूणों]] के साथ हुए अपने संघर्ष के कारण प्रसिद्ध हुआ।
 
*संभवतः [[प्रभाकरवर्धन]] इस वंश का चौथा शासक था। इसके विषय में जानकारी [[हर्षचरित]] से मिलती है।
*यह वंश [[हूण|हूणों]] के साथ हुए अपने संघर्ष के कारण बहुत प्रसिद्ध हुआ।
*प्रभाकर वर्धन दो पुत्रों [[राज्यवर्धन]] और [[हर्षवर्धन]] एवं एक पुत्री [[राज्यश्री]] का पिता था।
*संभवतः प्रभाकरवर्धन इस वंश का चौथा शासक था। इसके विषय में जानकारी [[हर्षचरित]] से मिलती है।
*पुत्री राज्यश्री का विवाह प्रभाकर वर्धन ने [[मौखरि वंश]] के [[गुहवर्मन]] से किया था।
*प्रभाकरवर्धन दो पुत्रों- राज्यवर्धन और हर्षवर्धन एवं एक पुत्री [[राज्यश्री]] का [[पिता]] था।
*[[पिता]] की मृत्यु के बाद राज्यवर्धन सिंहासनारूढ़ हुआ, पर शीघ्र ही उसे [[मालवा]] के खिलाफ अभियान के लिए जाना पड़ा।
*पुत्री राज्यश्री का [[विवाह]] प्रभाकरवर्धन ने [[मौखरि वंश]] के [[गृहवर्मन]] से किया था।
*प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के बाद राज्यवर्धन सिंहासनारूढ़ हुआ, पर शीघ्र ही उसे [[मालवा]] के ख़िलाफ़ अभियान के लिए जाना पड़ा।
*अभियान की सफलता के उपरान्त लौटते हुए मार्ग में [[गौड़ वंश]] के [[शशांक]] ने राज्यवर्धन की हत्या कर दी।
*अभियान की सफलता के उपरान्त लौटते हुए मार्ग में [[गौड़ वंश]] के [[शशांक]] ने राज्यवर्धन की हत्या कर दी।
*इसके बाद हर्षवर्धन राजा बना और वह शशांक की मृत्यु के बाद ही अपने राज्य का पर्याप्त विस्तार कर सका।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
{{भारत के राजवंश}}
{{भारत के राजवंश}}
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:भारत के राजवंश]]
[[Category:भारत के राजवंश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:38, 5 May 2016

पुष्यभूति वंश की स्थापना छठी शताब्दी ई. में गुप्त वंश के पतन के बाद हरियाणा के अम्बाला ज़िले के थानेश्वर नामक स्थान पर हुई थी। इस वंश का संस्थापक 'पुष्यभूति' को माना जाता है, जो कि शिव का उपासक और उनका परम भक्त था। इस वंश में तीन राजा हुए- प्रभाकरवर्धन और उसके दो पुत्र राज्यवर्धन तथा हर्षवर्धन

  • यह वंश हूणों के साथ हुए अपने संघर्ष के कारण बहुत प्रसिद्ध हुआ।
  • संभवतः प्रभाकरवर्धन इस वंश का चौथा शासक था। इसके विषय में जानकारी हर्षचरित से मिलती है।
  • प्रभाकरवर्धन दो पुत्रों- राज्यवर्धन और हर्षवर्धन एवं एक पुत्री राज्यश्री का पिता था।
  • पुत्री राज्यश्री का विवाह प्रभाकरवर्धन ने मौखरि वंश के गृहवर्मन से किया था।
  • प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के बाद राज्यवर्धन सिंहासनारूढ़ हुआ, पर शीघ्र ही उसे मालवा के ख़िलाफ़ अभियान के लिए जाना पड़ा।
  • अभियान की सफलता के उपरान्त लौटते हुए मार्ग में गौड़ वंश के शशांक ने राज्यवर्धन की हत्या कर दी।
  • इसके बाद हर्षवर्धन राजा बना और वह शशांक की मृत्यु के बाद ही अपने राज्य का पर्याप्त विस्तार कर सका।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख