जलसंभर: Difference between revisions
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सतही तौर पर कराए गए प्रभाव मूल्यांकन अध्ययनों और दूरसंवेदी प्रौद्योगिकियों ने इस बात का खुलासा किया है कि जलसंभर-आधारित कार्यक्रमों के कारण भूजल संभरण से कुओं और जल निकायों में जलस्तर बढ़ा है तथा फसल की सघनता में वृध्दि हुई है। इसके कारण फसल प्रणाली मे बदलाव होने के चलते अधिक पैदावार तथा मृदा क्षरण में कमी आई है।<ref>{{cite web |url=http://www.starnewsagency.in/2010/06/blog-post_5584.html|title=वर्षा सिंचित खेती की क्षमताओं का इस्तेमाल करना |accessmonthday=31 मार्च|accessyear=2011|last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल|publisher=स्टारन्यूज़|language=हिन्दी }}</ref> | |||
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*[http://www.starnewsagency.in/2010/06/blog-post_5584.htm वर्षा सिंचित खेती की क्षमताओं का इस्तेमाल करना] | *[http://www.starnewsagency.in/2010/06/blog-post_5584.htm वर्षा सिंचित खेती की क्षमताओं का इस्तेमाल करना] | ||
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Latest revision as of 12:00, 20 May 2012
बंजर भूमि का विकास कार्य 'जलसंभर' आधार पर किया जाता है। जलसंभर एक भौगोलिक इकाई है, जहाँ किसी क्षेत्र में वर्षा द्वारा प्राप्त जल एक समान बिन्दु से निकलता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्षा जल के स्थल पर ही इसका संरक्षण करना है।
वर्षा सिंचित कृषि की उच्च क्षमता के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने वर्षा सिंचित क्षेत्रों के साकल्यवादी और टिकाऊ विकास को उच्च प्राथमिकता दी है। वर्षा सिंचित शुष्क भूमि खेती को प्रोत्साहन देने के लिए, कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय एकीकृत जलसंभर प्रबंधन दृष्टिकोण के जरिए जलसंभर कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहे हैं।
सतही तौर पर कराए गए प्रभाव मूल्यांकन अध्ययनों और दूरसंवेदी प्रौद्योगिकियों ने इस बात का खुलासा किया है कि जलसंभर-आधारित कार्यक्रमों के कारण भूजल संभरण से कुओं और जल निकायों में जलस्तर बढ़ा है तथा फसल की सघनता में वृध्दि हुई है। इसके कारण फसल प्रणाली मे बदलाव होने के चलते अधिक पैदावार तथा मृदा क्षरण में कमी आई है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वर्षा सिंचित खेती की क्षमताओं का इस्तेमाल करना (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) स्टारन्यूज़। अभिगमन तिथि: 31 मार्च, 2011।
बाहरी कड़ियाँ
- शब्दार्थ
- वर्षा सिंचित खेती की क्षमताओं का इस्तेमाल करना
- वर्षा सिंचित खेती
- वेब वार्ता
- जल संभर प्रबंधन में डिप्लोमा (डीडब्ल्यूएम)