पाताल लोक: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''पाताल लोक''' हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार [[पृथ्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 14: | Line 14: | ||
पुराणों में पाताल लोक के बारे में सबसे लोकप्रिय प्रसंग भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] [[वामन अवतार|वामन]] और [[बलि |राजा बलि]] का माना जाता है। बली ही पाताल लोक के राजा माने जाते हैं। [[रामायण]] में भी [[अहिरावण]] द्वारा [[राम]]-[[लक्ष्मण]] का हरण कर पाताल लोक ले जाने पर श्री [[हनुमान]] के वहाँ जाकर अहिरावण वध करने का प्रसंग आता है। इसके अलावा भी [[ब्रह्माण्ड]] के तीन लोकों में पाताल लोक का भी धार्मिक महत्व बताया गया है। | पुराणों में पाताल लोक के बारे में सबसे लोकप्रिय प्रसंग भगवान [[विष्णु]] के [[अवतार]] [[वामन अवतार|वामन]] और [[बलि |राजा बलि]] का माना जाता है। बली ही पाताल लोक के राजा माने जाते हैं। [[रामायण]] में भी [[अहिरावण]] द्वारा [[राम]]-[[लक्ष्मण]] का हरण कर पाताल लोक ले जाने पर श्री [[हनुमान]] के वहाँ जाकर अहिरावण वध करने का प्रसंग आता है। इसके अलावा भी [[ब्रह्माण्ड]] के तीन लोकों में पाताल लोक का भी धार्मिक महत्व बताया गया है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय मिथक कोश|लेखक= डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=180|url=}} | {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय मिथक कोश|लेखक= डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=180|url=}} |
Latest revision as of 12:17, 24 February 2012
पाताल लोक हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार पृथ्वी के नीचे स्थित बताये गये हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों में पाताल लोक से सम्बन्धित असंख्य कहानियाँ, घटनायें तथा पौराणिक विवरण मिलते हैं। पाताल लोक को नागलोक का मध्य भाग बताया गया है, क्योंकि जल-स्वरूप जितनी भी वस्तुएँ हैं, वे सब वहाँ पर्याप्त रूप से गिरती हैं। पाताल लोकों की संख्या सात बतायी गई है।
निवासी
पाताल लोक में दैत्य तथा दानव निवास करते हैं। जल का आहार करने वाली आसुर अग्नि सदा वहाँ उद्दीप्त रहती है। वह अपने को देवताओं से नियंत्रित मानती है, क्योंकि देवताओं ने दैत्यों का नाश करके अमृतपान किया तथा अमृत पीकर उसका अवशिष्ट भाग वहीं रख दिया था। अत: वह अग्नि अपने स्थान के आस-पास नहीं फैलती। अमृतमय सोम की हानि और वृद्धि निरंतर दिखाई पड़ती है। सूर्य की किरणों से मृतप्राय पाताल निवासी चन्द्रमा की अमृतमयी किरणों से पुन: जी उठते हैं।[1]
सात पाताल लोक
हिन्दू धर्म के शास्त्रों में पृथ्वी के नीचे स्थित पाताल लोक की गहराईयों को लेकर अद्भुत तथ्य हैं, जिनके अनुसार भू-लोक यानि पृथ्वी के नीचे सात प्रकार के लोक हैं, जिनमें पाताल लोक अंतिम है। विष्णु पुराण भी इस संख्या की पुष्टि करता है। विष्णु पुराण के अनुसार पूरे भू-मण्डल का क्षेत्रफल पचास करोड़ योजन है। इसकी ऊँचाई सत्तर सहस्र योजन है। इसके नीचे ही सात लोक हैं, जिनमें क्रम अनुसार पाताल नगर अंतिम है। सात पाताल लोकों के नाम इस प्रकार हैं-
- अतल
- वितल
- सुतल
- रसातल
- तलातल
- महातल
- पाताल
पौराणिक उल्लेख
पुराणों में पाताल लोक के बारे में सबसे लोकप्रिय प्रसंग भगवान विष्णु के अवतार वामन और राजा बलि का माना जाता है। बली ही पाताल लोक के राजा माने जाते हैं। रामायण में भी अहिरावण द्वारा राम-लक्ष्मण का हरण कर पाताल लोक ले जाने पर श्री हनुमान के वहाँ जाकर अहिरावण वध करने का प्रसंग आता है। इसके अलावा भी ब्रह्माण्ड के तीन लोकों में पाताल लोक का भी धार्मिक महत्व बताया गया है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय मिथक कोश |लेखक: डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति |प्रकाशक: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 180 |
संबंधित लेख