इलाहाबाद संग्रहालय: Difference between revisions
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*इलाहाबाद संग्रहालय में हल्दार, साज़िद काश्तगीर, जामिनी रॉय, निकोलस रोहरिच एवं तिब्बती लामा थेंकास निर्मित वस्तुएँ भी प्रदर्शित | *इस संग्रहालय की स्थापना [[1931]] में इलाहाबाद नगरपालिका परिषद के तत्वावधान में की गई थी। बृज मोहन व्यास नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी ने [[कौशाम्बी]], भरहट और भुमार से मूर्तियाँ, [[टेराकोटा]] और [[मोती]] आदि का विशाल संग्रह बनाया था। | ||
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*संग्रहालय निकोलस रोरिच की पेंटिग्स, राजस्थानी लघु आकृतियाँ, सिक्कों और दूसरी शताब्दी से आधुनिक युग की पत्थरों की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। | |||
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Latest revision as of 06:31, 19 June 2015
इलाहाबाद संग्रहालय
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विवरण | इलाहाबाद संग्रहालय शहर में चन्द्र शेखर आज़ाद पार्क के निकट स्थित है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
नगर | इलाहाबाद |
स्थापना | सन 1931 |
मार्ग स्थिति | इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किमी की दूरी पर है। |
प्रसिद्धि | यह संग्रहालय दूसरी शताब्दी से आधुनिक युग की पत्थरों की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
उद्घाटन | 1947 में प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया। |
अद्यतन | 18:24, 7 मई 2012 (IST)
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इलाहाबाद संग्रहालय उत्तर प्रदेश राज्य के इलाहाबाद शहर में चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क के निकट स्थित है। इस संग्रहालय में गुप्त साम्राज्य के समय की टेराकोटा से निर्मित वस्तुएँ प्रदर्शित हैं। यह संग्रहालय दूसरी शताब्दी से लेकर बाद के काल की आधुनिक युग की सुन्दर मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
- इस संग्रहालय की स्थापना 1931 में इलाहाबाद नगरपालिका परिषद के तत्वावधान में की गई थी। बृज मोहन व्यास नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी ने कौशाम्बी, भरहट और भुमार से मूर्तियाँ, टेराकोटा और मोती आदि का विशाल संग्रह बनाया था।
- वर्ष 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष ने संग्रहालय संग्रह को समृद्ध बनाने के लिए आज़ादी की लड़ाई के उनके परिवार के अधिकांश स्मृतिचिह्न भी उपहार स्वरूप दिए थे।
- अनागारिक गोविन्द, जो कि जर्मन मूल के एक बौद्ध सन्यासी थे, उन्होंने भी अपनी अधिकांश पेटिंग्स और स्केच उपहार स्वरूप दे दिए थे।
- आज़ादी के बाद 14 दिसम्बर, 1947 को 'अलफ़्रेड पार्क'[1] में स्थित मौजूदा भवन का शिलान्यास जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था। वर्ष 1953-1954 में संग्रहालय को उसके नए भवन में स्थानांतरित किया गया। तथापि, इलाहाबाद नगरपालिका के तहत निधियों की कमी के कारण संग्रहालय का विकास रुक गया है।
- 'इलाहाबाद संग्रहालय' सितम्बर, 1985 में संस्कृति विभाग, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महत्व वाला संस्थान घोषित किया गया।
- संग्रहालय की गतिविधियों का प्रबंधन करने के लिए दिनांक [[6 सितम्बर, 1985 को 'सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम-1860' के अंतर्गत एक सोसाइटी का पुनर्गठन हुआ। अब यह भारत सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित और नियंत्रित है।
- संस्कृति मंत्रालय ने 18 अगस्त, 2008 को सोसाइटी को पुनर्गठित किया और तब से उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल 'इलाहाबाद संग्रहालय सोसाइटी' के पदेन अध्यक्ष हैं।
- 'इलाहाबाद संग्रहालय' में हल्दार, साज़िद काश्तगीर, जामिनी रॉय, निकोलस रोहरिच एवं तिब्बती लामा थेंकास निर्मित वस्तुएँ भी प्रदर्शित हैं।
- संग्रहालय निकोलस रोरिच की पेंटिग्स, राजस्थानी लघु आकृतियाँ, सिक्कों और दूसरी शताब्दी से आधुनिक युग की पत्थरों की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
- चंद्रशेखर आज़ाद द्वारा प्रयोग की गई माउज़र पिस्तौल भी यहाँ प्रदर्शित है, जो मुख्य आकर्षणों में से एक है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अब चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क