बटलर पैलेस लखनऊ: Difference between revisions
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==निर्माण== | ==निर्माण== | ||
इस महल का नक्शा 'लखनऊ काउंसिल चैंबर्स' की शानदार इमारत के प्रसिद्ध वास्तुकार सरदार हीरासिंह ने बनाया था। राजा महमूदाबाद के इस राज महल की नींव [[फरवरी]] [[सन् 1915]] में बटलर साहब ने रखी | इस महल का नक्शा 'लखनऊ काउंसिल चैंबर्स' की शानदार इमारत के प्रसिद्ध वास्तुकार सरदार हीरासिंह ने बनाया था। राजा महमूदाबाद के इस राज महल की नींव [[फरवरी]] [[सन् 1915]] में बटलर साहब ने रखी थी। यही वजह है कि इसका नाम भी उनसे जुड़ गया। सन् 1921 में इस महल का एक सिरा बनकर तैयार हुआ तो [[गोमती]] में आई बाढ़ ने उसे तहस-नहस कर दिया जिससे राजा साहब को अपना इरादा बदलना पड़ा और इसका चौथाई हिस्सा ही बन सका। | ||
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इस शानदार चौपहली कोठी को चित्ताकर्षक बनावट और इसका प्रभावशाली स्थापत्य राजस्थानी ढंग का है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले काल में ये लखनऊ का प्रसिद्ध गेस्ट हाउस बना रहा। | इस शानदार चौपहली कोठी को चित्ताकर्षक बनावट और इसका प्रभावशाली स्थापत्य राजस्थानी ढंग का है। [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में भाग लेने वाले काल में ये लखनऊ का प्रसिद्ध गेस्ट हाउस बना रहा। [[पंडित मोतीलाल नेहरू]], सर तेज बहादुर सप्रू समेत [[पटना]] के अली इमाम साहब और महाराजा नेपाल इस महल में रहे हैं। बटलर पैलेस की शान आज भूला हुआ सपना बन चुकी है। चार कोनों पर चार बुर्जियों से सजा ये जाली मेहराबों वाला राजसी भवन जब अपने शबाब पर था, तो अति सुंदर था। इसके सामने संगमरमर की ख़ूबसूरत छतरियों और फव्वारों का हौज़ है। इस महल का प्रवेश द्वार भी [[लखनऊ]] के परंपरागत शाही दरवाजों का एक शानदार नमूना है। | ||
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बटलर पैलेस लखनऊ
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विवरण | सुल्तानगंज बांध और बनारसी बाग़ के बीच में एक आलीशान चौरुखा महल जिसे वर्तमान में 'बटलर पैलेस' के नाम से जाना जाता है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
नगर | लखनऊ |
निर्माण | फरवरी सन् 1915 |
वास्तुकार | सरदार हीरासिंह |
मार्ग स्थिति | लखनऊ रेलवे स्टेशन से विधानसभा मार्ग द्वारा लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित है। |
चित्र:Map-icon.gif | गूगल मानचित्र |
अन्य जानकारी | इस इमारत का नाम सन् 1907 में सी.ई डिप्टी कमिश्नर अवध बने सर हारकोर्ट बटलर के नाम पर है। |
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सुल्तानगंज बांध और बनारसी बाग के बीच में एक आलीशान चौरुखा महल है। इस महल को आज बटलर पैलेस के नाम से जाना जाता है। इस इमारत का नाम सन् 1907 में सी.ई डिप्टी कमिश्नर अवध बने सर हारकोर्ट बटलर के नाम पर है। किन्हीं कारणों से यह महल पूरी तरह निर्मित नहीं हो सका किंतु इसका वर्तमान स्वरूप देखकर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि यह बना होता, तो इसकी भव्यता देखते ही बनती।
निर्माण
इस महल का नक्शा 'लखनऊ काउंसिल चैंबर्स' की शानदार इमारत के प्रसिद्ध वास्तुकार सरदार हीरासिंह ने बनाया था। राजा महमूदाबाद के इस राज महल की नींव फरवरी सन् 1915 में बटलर साहब ने रखी थी। यही वजह है कि इसका नाम भी उनसे जुड़ गया। सन् 1921 में इस महल का एक सिरा बनकर तैयार हुआ तो गोमती में आई बाढ़ ने उसे तहस-नहस कर दिया जिससे राजा साहब को अपना इरादा बदलना पड़ा और इसका चौथाई हिस्सा ही बन सका।
स्थापत्य
इस शानदार चौपहली कोठी को चित्ताकर्षक बनावट और इसका प्रभावशाली स्थापत्य राजस्थानी ढंग का है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले काल में ये लखनऊ का प्रसिद्ध गेस्ट हाउस बना रहा। पंडित मोतीलाल नेहरू, सर तेज बहादुर सप्रू समेत पटना के अली इमाम साहब और महाराजा नेपाल इस महल में रहे हैं। बटलर पैलेस की शान आज भूला हुआ सपना बन चुकी है। चार कोनों पर चार बुर्जियों से सजा ये जाली मेहराबों वाला राजसी भवन जब अपने शबाब पर था, तो अति सुंदर था। इसके सामने संगमरमर की ख़ूबसूरत छतरियों और फव्वारों का हौज़ है। इस महल का प्रवेश द्वार भी लखनऊ के परंपरागत शाही दरवाजों का एक शानदार नमूना है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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