विश्व हिन्दी सम्मेलन 1983: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''तीसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन''' भारत की राजधानी दि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला") |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 4: | Line 4: | ||
*सम्मेलन के आयोजन में 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति', वर्धा ने प्रमुख भूमिका निभायी। | *सम्मेलन के आयोजन में 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति', वर्धा ने प्रमुख भूमिका निभायी। | ||
*तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन में कुल 6,566 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें विदेशों से आये 260 प्रतिनिधि भी शामिल थे। | *तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन में कुल 6,566 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें विदेशों से आये 260 प्रतिनिधि भी शामिल थे। | ||
*[[हिन्दी]] की सुप्रसिद्ध | *[[हिन्दी]] की सुप्रसिद्ध कवयित्री [[महादेवी वर्मा]] समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं। इस अवसर पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था कि- | ||
Line 12: | Line 12: | ||
#हिन्दी के विश्वव्यापी स्वरूप को विकसित करने के लिए विश्व हिन्दी विद्यापीठ स्थापित करने की योजना को मूर्त रूप दिया जाए। | #हिन्दी के विश्वव्यापी स्वरूप को विकसित करने के लिए विश्व हिन्दी विद्यापीठ स्थापित करने की योजना को मूर्त रूप दिया जाए। | ||
#विगत दो सम्मेलनों में पारित संकल्पों की संपुष्टि करते हुए यह निर्णय लिया गया कि अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के विकास और उन्नयन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक स्थायी समिति का गठन किया जाए। इस समिति में देश-विदेश के लगभग 25 व्यक्ति सदस्य हों। | #विगत दो सम्मेलनों में पारित संकल्पों की संपुष्टि करते हुए यह निर्णय लिया गया कि अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के विकास और उन्नयन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक स्थायी समिति का गठन किया जाए। इस समिति में देश-विदेश के लगभग 25 व्यक्ति सदस्य हों। | ||
{{विश्व हिन्दी सम्मेलन श्रृंखला}} | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक3|पूर्णता=|शोध=}} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक3|पूर्णता=|शोध=}} | ||
Line 18: | Line 20: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{विश्व हिन्दी सम्मेलन}}{{हिन्दी भाषा}}{{भाषा और लिपि}} | {{विश्व हिन्दी सम्मेलन}}{{हिन्दी भाषा}}{{भाषा और लिपि}} | ||
[[Category:हिन्दी सम्मेलन]][[Category:भाषा और लिपि]][[Category:भाषा कोश]][[Category:साहित्य कोश]] | [[Category:विश्व हिन्दी सम्मेलन]][[Category:हिन्दी सम्मेलन]][[Category:भाषा और लिपि]][[Category:भाषा कोश]][[Category:साहित्य कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 11:55, 9 February 2021
तीसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन भारत की राजधानी दिल्ली में वर्ष 1983 में 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक आयोजित किया गया। इस सम्मेलन के लिये बनी राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष डॉ. बलराम जाखड़ थे।
- इस सम्मेलन में मॉरीशस से आये प्रतिनिधिमण्डल ने भी हिस्सा लिया, जिसके नेता हरीश बुधू थे।
- सम्मेलन के आयोजन में 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति', वर्धा ने प्रमुख भूमिका निभायी।
- तीसरे विश्व हिन्दी सम्मेलन में कुल 6,566 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें विदेशों से आये 260 प्रतिनिधि भी शामिल थे।
- हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं। इस अवसर पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था कि-
भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथ जैसी है, जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिये गये हों।
पारित प्रस्ताव
- अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के प्रचार-प्रसार की संभावनाओं का पता लगाकर इसके लिए गहन प्रयास किए जाएं।
- हिन्दी के विश्वव्यापी स्वरूप को विकसित करने के लिए विश्व हिन्दी विद्यापीठ स्थापित करने की योजना को मूर्त रूप दिया जाए।
- विगत दो सम्मेलनों में पारित संकल्पों की संपुष्टि करते हुए यह निर्णय लिया गया कि अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के विकास और उन्नयन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक स्थायी समिति का गठन किया जाए। इस समिति में देश-विदेश के लगभग 25 व्यक्ति सदस्य हों।
Template:विश्व हिन्दी सम्मेलन श्रृंखला
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख