पहेली अक्तूबर 2013: Difference between revisions
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||[[चित्र:Racket-Shuttlecock.jpg|बैडमिंटन|100px|right]] बैडमिंटन रैकेट से खेला जाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय खेल है। [[बैडमिंटन]] | ||[[चित्र:Racket-Shuttlecock.jpg|बैडमिंटन|100px|right]] बैडमिंटन रैकेट से खेला जाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय खेल है। [[बैडमिंटन]] महान् उत्साह और रोमांच का खेल है, क्योंकि एक छोटी सी चिड़िया या शटलकॉक एक मैच में जीत या हार के बिंदु के लिए महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। बैडमिंटन खेल को 'पूना' के नाम से भी जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बैडमिंटन]] | ||
{[[रामायण]] के अनुसार उस गुप्तचर का क्या नाम था, जिसके कहने पर [[श्रीराम]] ने [[सीता]] का परित्याग कर दिया? | {[[रामायण]] के अनुसार उस गुप्तचर का क्या नाम था, जिसके कहने पर [[श्रीराम]] ने [[सीता]] का परित्याग कर दिया? | ||
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+[[बनास नदी|बनास]] | +[[बनास नदी|बनास]] | ||
-[[चम्बल नदी|चम्बल]] | -[[चम्बल नदी|चम्बल]] | ||
||[[चित्र:Banas-River.jpg|right|120px|बनास नदी]]'बनास नदी' [[राजस्थान]], पश्चिमोत्तर भारत में प्रवाहित होने वाली नदी है। यह [[चम्बल नदी]] की सहायक नदी है। [[बनास नदी|बनास]] एक मात्र ऐसी नदी है, जो अपना संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। 'बनास' | ||[[चित्र:Banas-River.jpg|right|120px|बनास नदी]]'बनास नदी' [[राजस्थान]], पश्चिमोत्तर भारत में प्रवाहित होने वाली नदी है। यह [[चम्बल नदी]] की सहायक नदी है। [[बनास नदी|बनास]] एक मात्र ऐसी नदी है, जो अपना संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। 'बनास' अर्थात् "वन की आशा" के रूप में जानी जाने वाली यह नदी [[उदयपुर ज़िला|उदयपुर ज़िले]] के [[अरावली पर्वतश्रेणी|अरावली पर्वत श्रेणियों]] में [[कुंभलगढ़ उदयपुर|कुंभलगढ़]] के पास खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है। बनास को मौसमी नदी के रूप में जाना जाता है। यह गर्मी के समय अक्सर सूखी रहती है, लेकिन इसके बावजूद यह सिचाई का मुख्य स्रोत है। इसकी समूची घाटी में [[मिट्टी]] के बहाव से कई स्थानों में अनुपजाऊ भूमि का निर्माण हो गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बनास नदी]] | ||
{[[गुप्त काल]] में निर्मित [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की कांस्य प्रतिमा कहाँ से प्राप्त हुई है? | {[[गुप्त काल]] में निर्मित [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की कांस्य प्रतिमा कहाँ से प्राप्त हुई है? | ||
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+[[वीणा]] | +[[वीणा]] | ||
-[[बाँसुरी]] | -[[बाँसुरी]] | ||
||[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|right|120px|रामलीला में रावण]]'रावण' [[रामायण]] का एक विशेष पात्र है। वह स्वर्ण नगरी [[लंका]] का राजा था। [[रावण]] अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिस कारण उसका एक अन्य नाम 'दशानन' | ||[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|right|120px|रामलीला में रावण]]'रावण' [[रामायण]] का एक विशेष पात्र है। वह स्वर्ण नगरी [[लंका]] का राजा था। [[रावण]] अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिस कारण उसका एक अन्य नाम 'दशानन' अर्थात् 'दस मुख वाला' भी था। किसी भी कृति के लिये अच्छे पात्रों के साथ ही साथ बुरे पात्रों का होना अति आवश्यक है। किन्तु रावण में अवगुण की अपेक्षा गुण अधिक थे। जीतने वाला हमेशा अपने को उत्तम लिखता है, अतः [[रावण]] को बुरा कहा गया है। रावण को चारों [[वेद|वेदों]] का ज्ञाता कहा गया है। [[संगीत]] के क्षेत्र में भी रावण की विद्वता अपने समय में अद्वितीय मानी जाती थी। [[वीणा]] बजाने में रावण सिद्धहस्त था। उसने एक [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] भी बनाया था, जो आज के 'बेला' या '[[वायलिन]]' का ही मूल और प्रारम्भिक रूप है। इस वाद्य को '[[रावणहत्था]]' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रावण]] | ||
{सम्पूर्ण [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या कितनी है? | {सम्पूर्ण [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या कितनी है? | ||
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-51 हज़ार | -51 हज़ार | ||
||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|90px|महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण और अर्जुन]]'महाभारत' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्म-ग्रन्थों का समूह है, जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। यह कृति हिन्दुओं के इतिहास की एक गाथा है। पूरे [[महाभारत]] में एक लाख [[श्लोक]] हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर | ||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|90px|महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण और अर्जुन]]'महाभारत' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्म-ग्रन्थों का समूह है, जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। यह कृति हिन्दुओं के इतिहास की एक गाथा है। पूरे [[महाभारत]] में एक लाख [[श्लोक]] हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान् महाभारत काल को 'लौहयुग' से जोड़ते हैं। महाभारत में वर्णित 'कुरुवंश' 1200 से 800 ईसा पूर्व के दौरान शक्ति में रहा होगा। पौराणिक मान्यता को देखें तो पता लगता है कि [[अर्जुन]] के पोते [[परीक्षित]] और [[महापद्मनंद]] का काल 382 ईसा पूर्व ठहरता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||
{सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण [[रामायण]] में कितने सर्ग मिलते हैं? | {सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण [[रामायण]] में कितने सर्ग मिलते हैं? | ||
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-[[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]] | -[[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]] | ||
-[[जवाहरलाल नेहरू]] | -[[जवाहरलाल नेहरू]] | ||
||[[चित्र:Lala-Lajpat-Rai.jpg|right|100px|लाला लाजपत राय]]'लाला लाजपत राय' को [[भारत]] के | ||[[चित्र:Lala-Lajpat-Rai.jpg|right|100px|लाला लाजपत राय]]'लाला लाजपत राय' को [[भारत]] के महान् क्रांतिकारियों में गिना जाता है। आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करने वाले [[लाला लाजपत राय]] 'पंजाब केसरी' भी कहे जाते हैं। वे उच्च कोटि के राजनीतिक नेता ही नहीं थे, अपितु ओजस्वी लेखक और प्रभावशाली वक्ता भी थे। '[[बंगाल की खाड़ी]]' में हज़ारों मील दूर मांडले जेल में लाला लाजपत राय का किसी से भी किसी प्रकार का कोई संबंध या संपर्क नहीं था। अपने इस समय का उपयोग उन्होंने लेखन कार्य में किया। लालाजी ने भगवान [[श्रीकृष्ण]], [[अशोक]], [[शिवाजी]], [[स्वामी दयानंद सरस्वती]], [[गुरुदत्त]], मत्सीनी और गैरीबाल्डी की संक्षिप्त जीवनियाँ भी लिखी। 'नेशनल एजुकेशन', 'अनहैप्पी इंडिया' और 'द स्टोरी ऑफ़ माई डिपोर्डेशन' उनकी अन्य महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं। उन्होंने 'पंजाबी', 'वंदे मातरम्' ([[उर्दू]]) में और 'द पीपुल' इन तीन समाचार पत्रों की स्थापना करके इनके माध्यम से देश में 'स्वराज' का प्रचार किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लाला लाजपत राय]] | ||
{[[गुप्त वंश]] का संस्थापक कौन था? | {[[गुप्त वंश]] का संस्थापक कौन था? | ||
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-[[महात्मा गाँधी]] | -[[महात्मा गाँधी]] | ||
-[[जवाहरलाल नेहरू]] | -[[जवाहरलाल नेहरू]] | ||
||[[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|सरदार वल्लभ भाई पटेल|100px|right]] 'सरदार वल्लभ भाई पटेल' का उपनाम सरदार पटेल है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। कुशल कूटनीति और | ||[[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|सरदार वल्लभ भाई पटेल|100px|right]] 'सरदार वल्लभ भाई पटेल' का उपनाम सरदार पटेल है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। कुशल कूटनीति और ज़रूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप के जरिए सरदार पटेल ने उन अधिकांश रियासतों को [[तिरंगा|तिरंगे]] के तले लाने में सफलता प्राप्त की। इसी उपलब्धि के चलते सरदार पटेल को '''लौह पुरुष''' या '''भारत का बिस्मार्क''' की उपाधि से सम्मानित किया गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरदार पटेल]] | ||
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