महेन्द्र पाल: Difference between revisions

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*'''महेन्द्र पाल''' (890-910 ई.), [[मिहिरभोज]] का उत्तराधिकारी था।
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*उसने [[गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य]] का विस्तार [[मगध]] एवं उत्तरी [[बंगाल]] तक किया।
*उसने [[गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य]] का विस्तार [[मगध]] एवं उत्तरी [[अखण्डित बंगाल|बंगाल]] तक किया।
*लेखों के अनुसार उसे 'परमभट्टारक', 'महाराजाधिराज' तथा 'परमेश्वर' कहा गया है।
*लेखों के अनुसार उसे 'परमभट्टारक', 'महाराजाधिराज' तथा 'परमेश्वर' कहा गया है।
*उसे 'महेन्द्रपुह' और 'निर्भयनरेन्द्र' के नामों से भी जाना जाता है।
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Revision as of 13:03, 28 March 2011

  • महेन्द्र पाल (890-910 ई.), मिहिरभोज का उत्तराधिकारी था।
  • उसने गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य का विस्तार मगध एवं उत्तरी बंगाल तक किया।
  • लेखों के अनुसार उसे 'परमभट्टारक', 'महाराजाधिराज' तथा 'परमेश्वर' कहा गया है।
  • उसे 'महेन्द्रपुह' और 'निर्भयनरेन्द्र' के नामों से भी जाना जाता है।
  • वह कश्मीर के शासक शंकर वर्मन से युद्ध में परास्त हुआ था।
  • महेन्द्र पाल के शासन काल में प्रतिहार साम्राज्य की अभूतपूर्व प्रगति हुई।
  • इसके काल में कन्नौज का गौरव अपने शिखर पर था।
  • राजशेखर के 'बाल रामायण' में कन्नौज की प्रशंसा इस प्रकार मिलती है, “उस पवित्र नगर के लोग नई कविता के समान लालित्यपूर्ण थे, वहां की स्त्रियों के वस्त्र मनमोहक थे तथा उनके गहनों, केश प्रशासन और बोली की नकल अन्य प्रदेश की स्त्रियां करती थीं।”
  • संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान राजशेखर, महेन्द्रपाल के गुरु थे।
  • राजशेखर की प्रसिद्ध कृति हैं- 'कर्पूरमज्जरी', 'काव्य मीमांसा', 'विट्ठशालभज्जिका', 'बाल रामायण', 'भुवकोश' और 'हरिविलास'।
  • राजशेखर ने अपनी रचनाओं में महेन्द्र पाल का वर्णन 'निर्भयराज' और 'निर्भय नरेन्द्र' के रूप में किया है।


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