चाणक्य: Difference between revisions

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Revision as of 08:05, 3 January 2012

thumb|200px|चाणक्य
Chanakya

  • कौटिल्य, चाणक्य एवं विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
  • इनका व्यक्तिवाचक नाम विष्णुगुप्त, स्थानीय नाम चाणक्य (चाणक्यवासी) और गोत्र नाम कौटिल्य (कुटिल से) था।
  • ये चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमन्त्री थे।
  • इन्होंने 'अर्थशास्त्र' नामक एक ग्रन्थ की रचना की, जो तत्कालीन राजनीति, अर्थनीति, इतिहास, आचरण शास्त्र, धर्म आदि पर भली भाँति प्रकाश डालता है।
  • 'अर्थशास्त्र' मौर्य काल के समाज का दर्पण है, जिसमें समाज के स्वरूप को सर्वागं देखा जा सकता है।
  • अर्थशास्त्र से धार्मिक जीवन पर भी काफ़ी प्रकाश पड़ता है। उस समय बहुत से देवताओं तथा देवियों की पूजा होती थी। न केवल बड़े देवता-देवी अपितु यक्ष, गन्धर्व, पर्वत, नदी, वृक्ष, अग्नि, पक्षी, सर्प, गाय आदि की भी पूजा होती थी।
  • महामारी, पशुरोग, भूत, अग्नि, बाढ़, सूखा, अकाल आदि से बचने के लिए भी बहुत से धार्मिक कृत्य किये जाते थे। अनेक उत्सव , जादू टोने आदि का भी प्रचार था।
  • कौटिलीय अर्थशास्त्र के अनुसार- राजा का मुख्य कर्तव्य था प्रजा द्वारा वर्णाश्रम धर्म और नैतिक आचरण का पालन कराना।
  • चाणक्य राजनीतिशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' के रचयिता एवं चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधान मन्त्री थे।
  • चाणक्य का नाम संभवत उनके गोत्र का नाम 'चणक', पिता के नाम 'चणक' अथवा स्थान का नाम 'चणक' का परिवर्तित रूप रहा होगा।
  • अर्थशास्त्र राजनीति का उत्कृट ग्रन्थ है, जिसने परवर्ती राजधर्म को प्रभावित किया।
  • चाणक्य नाम से प्रसिद्ध एक नीतिग्रन्थ 'चाणक्यनीति' भी प्रचलित है।
  • चाणक्य ने अर्थशास्त्र में वार्ता ( अर्थशास्त्र ) तथा दण्डनीति ( राज्यशासन ) के साथ आन्वीक्षिकी (तर्कशास्त्र) तथा त्रयी (वैदिक ग्रन्थों) पर भी काफ़ी बल दिया है।
  • अर्थशास्त्र के अनुसार यह राज्य का धर्म है कि वह देखे कि प्रजा वर्णाश्रम धर्म का 'उचित पालन करती है कि नहीं।[1]
  • तक्षशिला की प्रसिद्धि महान अर्थशास्त्री चाणक्य (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था और जिसने चन्द्रगुप्त के साथ मिल के मौर्य साम्राज्य की नींव डाली।
  • आयुर्वेद के महान विद्वान चरक ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा ग्रहण की थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 'कौटिल्य' और 'अर्थशास्त्र'

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