चोल राजवंश: Difference between revisions
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#[[वीर राजेन्द्र]] 1063 - 1070 | |||
#[[अधिराजेन्द्र]] 1070 | |||
#[[कुलोत्तुंग]] 1070 - 1122 | |||
Revision as of 07:34, 29 September 2010
- वर्तमान समय के तंजोर, त्रिचनापली और पुदुकोटा के प्रदेशों में प्राचीन समय में 'चोलमण्डल' का राज्य था। जिसका क्षेत्र उसके राजा की शक्ति के अनुसार घटता-बढ़ता रहता था।
- इस राज्य की कोई एक राजधानी नहीं थी।
- भिन्न-भिन्न समयों में उरगपुर (वर्तमान उरैयूर, त्रिचनापली के पास) तंजोर और गंगकौण्ड चोलपुरम (पुहार) को राजधानी बनाकर इसके विविध राजाओं ने शासन किया।
- चोलमण्डल का प्राचीन इतिहास स्पष्ट रूप से ज्ञान नहीं है।
- पल्लव वंश के राजा उस पर बहुधा करते रहते थे, और उसे अपने राज्य विस्तार का उपयुक्त क्षेत्र मानते थे।
- वातापी के चालुक्य राजा भी दक्षिण दिशा में विजय यात्रा करते हुए आक्रान्त करते रहे। यही कारण है, कि नवीं सदी के मध्य भाग तक चोल मण्डल के इतिहास का विशेष महत्व नहीं है, और वहाँ कोई ऐसा प्रतापी राजा नहीं हुआ, तो कि अपने राज्य के उत्कर्ष में विशेष रूप से समर्थ हुआ हो।
- विजयालय
- आदित्य (चोल वंश) 880 -
- परान्तक (908-949)
- राजराज प्रथम 985 - 1012
- राजेन्द्र प्रथम 1012 - 1044
- राजाधिराज 1044 - 1052
- राजेन्द्र द्वितीय 1052 - 1063
- वीर राजेन्द्र 1063 - 1070
- अधिराजेन्द्र 1070
- कुलोत्तुंग 1070 - 1122
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