विक्रमादित्य प्रथम: Difference between revisions

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Revision as of 11:04, 31 October 2010

  • पल्लवराज नरसिंह वर्मा से युद्ध करते हुए पुलकेशी द्वितीय की मृत्यु हो गई थी, और वातापी पर भी पल्लवों का अधिकार हो गया था।
  • पर इससे चालुक्यों की शक्ति का अन्त नहीं हो गया।
  • पुलकेशी द्वितीय की मृत्यु के बाद उसका पुत्र विक्रमादित्य प्रथम चालुक्यों का अधिपति बना।
  • वह अपने पिता के समान ही वीर और महात्वाकांक्षी था।
  • उसने न केवल वातापी को पल्लवों की अधीनता से मुक्त किया, अपितु तेरह वर्षों तक निरन्तर युद्ध करने के बाद पल्लवराज की शक्ति को बुरी तरह कुचलकर 654 ई. में कांची की भी विजय कर ली।
  • कांची को जीतकर उसने चोल, पांड्य और केरल राज्यों पर आक्रमण किया, और उन्हें अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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