दृष्टान्त अलंकार: Difference between revisions

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एक म्यान में दो तलवारें,
एक म्यान में दो तलवारें,
कभी नही रह सकती है।
कभी नहीं रह सकती है।
किसी और पर प्रेम नारियाँ,
किसी और पर प्रेम नारियाँ,
पति का क्या सह सकती है।।</poem>
पति का क्या सह सकती है।।</poem>

Revision as of 10:59, 20 February 2011

  • जिस स्थान पर दो सामान्य या दोनों विशेष वाक्य में बिम्ब- प्रतिबिम्ब भाव होता है, उस स्थान पर दृष्टान्त अलंकार होता है।
  • इस अलंकार में उपमेय रूप में कहीं गई बात से मिलती-जुलती बात उपमान रूप में दूसरे वाक्य में होती है।
उदाहरण

एक म्यान में दो तलवारें,
कभी नहीं रह सकती है।
किसी और पर प्रेम नारियाँ,
पति का क्या सह सकती है।।

  • इस अलंकार में एक म्यान दो तलवारों का रहना वैसे ही असंभव है जैसा कि एक पति का दो नारियों पर अनुरक्त रहना। अतः यहाँ बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव दृष्टिगत हो रहा है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अलंकार (हिन्दी) (एच टी एम एल) हिन्दीकुंज। अभिगमन तिथि: 4 मई, 2011

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