पारसी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('thumb|250px|पारसी धर्म का प्रतीक जरथुस्ट...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (श्रेणी:धर्म कोश; Adding category Category:पारसी धर्म कोश (को हटा दिया गया हैं।))
Line 26: Line 26:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{धर्म}}
{{धर्म}}
[[Category:पारसी धर्म]][[Category:धर्म कोश]]
[[Category:पारसी धर्म]]
[[Category:पारसी धर्म कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 06:40, 1 October 2011

thumb|250px|पारसी धर्म का प्रतीक जरथुस्ट्र धर्म विश्व का एक अत्यंत प्राचीन धर्म है, जिसकी स्थापना आर्यों की ईरानी शाखा के एक संत जरथुष्ट्र ने की थी। जरथुस्ट्र धर्मावलम्बियों को पारसी कहा जाता है।

भारत में पारसी

सातवीं शताब्दी में अरबों ने ईरान को पराजित कर वहाँ के जरथुस्ट्र धर्मावलम्बियों को जबरन इस्लाम में दीक्षित कर लिया था। ऐसी मान्यता है कि कुछ ईरानियों ने इस्लाम नहीं स्वीकार किया और वे एक नाव पर सवार होकर भारत भाग आये और यहाँ गुजरात तट पर नवसारी में आकर बस गये। वर्तमान में भारत में उनकी जनसंख्या लगभग एक लाख है, जिसका 70% बम्बई में रहते हैं।

अर्थ

पारसी या जरथुस्ट्र लोग एक ईश्वर 'अहुरमज्द' में आस्था रखते हुए भी अन्य देवताओं की सत्ता को नहीं नकारते। यद्यपि अहुरमज्द उनके सर्वोच्च देवता हैं, परन्तु दैनिक जीवन के अनुष्ठानों व कर्मकांडों में 'अग्नि' उनके प्रमुख देवता के रूप में दृष्टिगत होते हैं। इसीलिए पारसियों को अग्निपूजक भी कहा जाता है। पारसियों की शव-विसर्जन विधि विलक्षण है। वे शवों को किसी ऊँची मीनार पर खुला छोड़ देते हैं, जहाँ गिद्ध-चील उसे नोंच-नांचकर खा जाते हैं। बाद में उसकी अस्थियाँ एकत्रित कर दफना दी जाती है। परन्तु हाल के वर्षों में इस परम्परा में कमी हो रही है और शव को सीधे दफनाया जा रहा है।

धर्मग्रंथ

पारसियों का प्रवित्र धर्मग्रंथ 'जेंद अवेस्ता' है, जो ऋग्वेदिक संस्कृत की ही एक पुरातन शाखा अवेस्ता भाषा में लिखी गई है। ईरान के सासानी काल में जेंद अवेस्ता का पहलवी भाषा में अनुवाद किया गया, जिसे 'पंजंद' कहा जाता है। परन्तु इस ग्रंथ का सिर्फ़ पाँचवा भाग ही आज उपलब्ध है। इस उपलब्ध ग्रंथ भाग को पांच भागों में बांटा गया है-

  1. यस्त्र (यज्ञ)- अनुष्ठानों एवं संस्कारों के मंत्रों का संग्रह,
  2. विसपराद- राक्षसों एवं पिशाचों को दूर रखने के नियम,
  3. यष्ट- पूजा-प्रार्थना,
  4. खोरदा अवेस्ता- दैनिक प्रार्थना पुस्तक,
  5. अमेश स्पेन्ता- यज़तों की स्तुति।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख