विक्टोरिया पार्क मेरठ: Difference between revisions

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*[[मेरठ]] का विक्टोरिया पार्क [[भारत]] की ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान है।  
*[[मेरठ]] का विक्टोरिया पार्क [[भारत]] की ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान है।  
*विक्टोरिया पार्क पार्क के क्षेत्र में स्थित 'नई जेल' में उन 85 क्रान्तिकारी सिपाहियों को कैद किंया गया था जिन्होनें 24 अप्रैल, 1857 को आपत्तिजनक कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था।  
*विक्टोरिया पार्क पार्क के क्षेत्र में स्थित 'नई जेल' में उन 85 क्रान्तिकारी सिपाहियों को कैद किंया गया था जिन्होने 24 अप्रैल, 1857 को आपत्तिजनक कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था।  
*10 मई, 1857 की सायं 'तीसरी अश्व सेना' के सिपाहियों ने जेल तोड़कर कैद 85 साथियों को छुड़ाने के साथ ही भारत की आज़ादी की लड़ाई का बिगुल बजा दिया था।  
*10 मई, 1857 की सायं 'तीसरी अश्व सेना' के सिपाहियों ने जेल तोड़कर कैद 85 साथियों को छुड़ाने के साथ ही भारत की आज़ादी की लड़ाई का बिगुल बजा दिया था।  
*इसी स्थान पर [[नवम्बर]] 1947 में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' का आखिरी अधिवेशन भी हुआ था और उसी अधिवेशन में यह घोषणा की गयी थी कि [[कांग्रेस]] का अगला अधिवेशन आज़ाद भारत में होगा।  
*इसी स्थान पर [[नवम्बर]] 1947 में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' का आखिरी अधिवेशन भी हुआ था और उसी अधिवेशन में यह घोषणा की गयी थी कि [[कांग्रेस]] का अगला अधिवेशन आज़ाद भारत में होगा।  

Revision as of 11:59, 20 December 2011

  • मेरठ का विक्टोरिया पार्क भारत की ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  • विक्टोरिया पार्क पार्क के क्षेत्र में स्थित 'नई जेल' में उन 85 क्रान्तिकारी सिपाहियों को कैद किंया गया था जिन्होने 24 अप्रैल, 1857 को आपत्तिजनक कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था।
  • 10 मई, 1857 की सायं 'तीसरी अश्व सेना' के सिपाहियों ने जेल तोड़कर कैद 85 साथियों को छुड़ाने के साथ ही भारत की आज़ादी की लड़ाई का बिगुल बजा दिया था।
  • इसी स्थान पर नवम्बर 1947 में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' का आखिरी अधिवेशन भी हुआ था और उसी अधिवेशन में यह घोषणा की गयी थी कि कांग्रेस का अगला अधिवेशन आज़ाद भारत में होगा।
  • जिस स्थान पर कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था वहां एक पुराना चबूतरा स्थित है, जिस पर दो घटनाओं का चित्रण है यथा- महात्मा गांधी का 'दांडी मार्च' तथा दूसरा सिपाहियों द्वारा जेल तोड़ने का दृश्य हैं जिन्हे आज भी देखा जा सकता है।
  • यह चबूतरा और इसके आस-पास सरधना चर्च, मेरठ, यह क्षेत्र 59 वर्षों से उपेक्षित पड़ा था। 15 अगस्त, 2006 को इस मंच का जीर्णोद्धार कराकर इसका गौरवमय इतिहास पत्थरों पर लिखा गया।
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