मुहम्मद क़ुली क़ुतुबशाह: Difference between revisions

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[[चित्र:Muhammad-Quli-Qutb-Shah-Portrait.jpg|thumb|स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन में मुहम्मद क़ुली क़ुतुबशाह की तसवीर]]
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'''मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह''' (1580 ई. से 1612 ई.) [[गोलकुंडा]] के [[क़ुतुबशाही वंश]] का पाँचवाँ सुल्तान था। उसका जन्म 1565 ई. में और मृत्यु 1612 ई. में हुई थी। मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह एक अच्छा [[कवि]] और निर्माणकर्ता भी था। उसके इन्हीं दुर्लभ गुणों के कारण उसकी चर्चा आज भी होती है।
'''मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह''' (1580 ई. से 1612 ई.) [[गोलकुंडा]] के [[क़ुतुबशाही वंश]] का पाँचवाँ सुल्तान था। उसका जन्म 1565 ई. में और मृत्यु 1612 ई. में हुई थी। मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह एक अच्छा [[कवि]] और निर्माणकर्ता था। इसने [[हैदराबाद]] नगर की भी स्थापना की थी। दक्कनी [[उर्दू]] में लिखित प्रथम काव्य-संग्रह या ‘दीवान’ का लेखक भी यही था। उसके इन्हीं दुर्लभ गुणों के कारण उसकी चर्चा आज भी होती है।


*मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह ने दक्कन में गोलकुंडा राज्य पर 31 वर्षों तक शासन किया।
*मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह ने दक्कन में गोलकुंडा राज्य पर 31 वर्षों तक शासन किया।

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thumb|स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन में मुहम्मद क़ुली क़ुतुबशाह की तसवीर मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह (1580 ई. से 1612 ई.) गोलकुंडा के क़ुतुबशाही वंश का पाँचवाँ सुल्तान था। उसका जन्म 1565 ई. में और मृत्यु 1612 ई. में हुई थी। मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह एक अच्छा कवि और निर्माणकर्ता था। इसने हैदराबाद नगर की भी स्थापना की थी। दक्कनी उर्दू में लिखित प्रथम काव्य-संग्रह या ‘दीवान’ का लेखक भी यही था। उसके इन्हीं दुर्लभ गुणों के कारण उसकी चर्चा आज भी होती है।

  • मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह ने दक्कन में गोलकुंडा राज्य पर 31 वर्षों तक शासन किया।
  • हैदराबाद को उसने अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया और चारमीनार का निर्माण कराया।
  • कर्नाटक, उड़ीसा और बस्तर के भू-भागों पर अधिकार करने में मुहम्म्द क़ुली क़ुतुबशाह की शक्ति का अधिक व्यय हुआ।
  • उसने मुग़ल साम्राज्य का विस्तार रोकने के लिए दक्षिणी राज्यों का संघ बनाने की बात नहीं सोची।
  • 'हयात बख़्श बेगम' नामक उसकी एक पुत्री थी, जिसका विवाह उसके भतीजे तथा उत्तराधिकारी मुहम्मद क़ुतुबशाह के साथ हुआ था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 376 |


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