पुष्यभूति वंश: Difference between revisions

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*संभवतः प्रभाकरवर्धन इस वंश का चौथा शासक था। इसके विषय में जानकारी [[हर्षचरित]] से मिलती है।
*संभवतः प्रभाकरवर्धन इस वंश का चौथा शासक था। इसके विषय में जानकारी [[हर्षचरित]] से मिलती है।
*प्रभाकरवर्धन दो पुत्रों- राज्यवर्धन और हर्षवर्धन एवं एक पुत्री [[राज्यश्री]] का [[पिता]] था।
*प्रभाकरवर्धन दो पुत्रों- राज्यवर्धन और हर्षवर्धन एवं एक पुत्री [[राज्यश्री]] का [[पिता]] था।
*पुत्री राज्यश्री का [[विवाह]] प्रभाकरवर्धन ने [[मौखरि वंश]] के [[ग्रहवर्मा]] से किया था।
*पुत्री राज्यश्री का [[विवाह]] प्रभाकरवर्धन ने [[मौखरि वंश]] के [[गृहवर्मन]] से किया था।
*प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के बाद राज्यवर्धन सिंहासनारूढ़ हुआ, पर शीघ्र ही उसे [[मालवा]] के ख़िलाफ़ अभियान के लिए जाना पड़ा।
*प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के बाद राज्यवर्धन सिंहासनारूढ़ हुआ, पर शीघ्र ही उसे [[मालवा]] के ख़िलाफ़ अभियान के लिए जाना पड़ा।
*अभियान की सफलता के उपरान्त लौटते हुए मार्ग में [[गौड़ वंश]] के [[शशांक]] ने राज्यवर्धन की हत्या कर दी।
*अभियान की सफलता के उपरान्त लौटते हुए मार्ग में [[गौड़ वंश]] के [[शशांक]] ने राज्यवर्धन की हत्या कर दी।

Revision as of 13:58, 1 April 2013

पुष्यभूति वंश की स्थापना गुप्त वंश के पतन के बाद हरियाणा के अम्बाला ज़िले के थानेश्वर नामक स्थान पर हुई थी। इस वंश का संस्थापक 'पुष्यभूति' को माना जाता है, जो कि शिव का उपासक और उनका परम भक्त था। इस वंश में तीन राजा हुए- प्रभाकरवर्धन और उसके दो पुत्र राज्यवर्धन तथा हर्षवर्धन

  • यह वंश हूणों के साथ हुए अपने संघर्ष के कारण बहुत प्रसिद्ध हुआ।
  • संभवतः प्रभाकरवर्धन इस वंश का चौथा शासक था। इसके विषय में जानकारी हर्षचरित से मिलती है।
  • प्रभाकरवर्धन दो पुत्रों- राज्यवर्धन और हर्षवर्धन एवं एक पुत्री राज्यश्री का पिता था।
  • पुत्री राज्यश्री का विवाह प्रभाकरवर्धन ने मौखरि वंश के गृहवर्मन से किया था।
  • प्रभाकरवर्धन की मृत्यु के बाद राज्यवर्धन सिंहासनारूढ़ हुआ, पर शीघ्र ही उसे मालवा के ख़िलाफ़ अभियान के लिए जाना पड़ा।
  • अभियान की सफलता के उपरान्त लौटते हुए मार्ग में गौड़ वंश के शशांक ने राज्यवर्धन की हत्या कर दी।
  • इसके बाद हर्षवर्धन राजा बना और वह शशांक की मृत्यु के बाद ही अपने राज्य का पर्याप्त विस्तार कर सका।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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