जाबाल्युपनिषद: Difference between revisions
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Revision as of 07:30, 25 March 2010
जाबाल्युपनिषद
पशुपति ब्रह्म क्या है?
- सामवेद से सम्बन्धित इस उपनिषद में मात्र तेईस मन्त्र हैं इसमें पिप्लाद के पुत्र पैप्पलादि और भगवान जाबालि के मध्य 'परमतत्त्व' से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर हैं।
- इसमें जिन प्रश्नों को पूछा गया है, उनमें प्रमुख प्रश्न हैं-'यह परमतत्त्व क्या है, जीव क्या है, पशु कौन है, ईश कौन है तथा मोक्ष-प्राप्ति का उपाय क्या है?'
- जाबालि ने साधना द्वारा जिस ज्ञान को प्राप्त किया था, उसे बताते हुए उन्होंने कहा-'हे पिप्पलाद! स्वयं पशुपति ही अहंकार से ग्रस्त होकर जीव बन जाता है। वह पशु के समान हो जाता है। सर्वज्ञ और पंचतत्त्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश- से सम्पन्न, सर्वेश्वर ईश ही पशुपति है। वही 'ब्रह्म' है, वही 'परमतत्त्व' है।'
- यह उपनिषद शैव मत से सम्बन्धित है; क्योंकि शिव को ही पशुपति कहा गया है। शैव मतावलम्बियों द्वारा मस्तक पर त्रिपुण्ड्र धारण कर ओंकार की साधना से 'पशुपति ब्रह्म' को प्राप्त किया जा सकता है।
उपनिषद के अन्य लिंक