पर्वत समीर: Difference between revisions

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'''पर्वत समीर''' एक प्रकार की पवन को कहा जाता है।
'''पर्वत समीर''' एक प्रकार की पवन को कहा जाता है।


*अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों में दो प्रकार की दैनिक पवनें चलती हैं। दिन के समय पर्वतीय ढाल वाला क्षेत्र उसकी घाटियों की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाता है, जिसके कारण पवन का संचरण घाटी से ऊपर की ओर होने लगता है। इसी को 'घाटी समीर' कहा जाता है।
*अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों में दो प्रकार की दैनिक पवनें चलती हैं। दिन के समय पर्वतीय ढाल वाला क्षेत्र उसकी घाटियों की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाता है, जिसके कारण पवन का संचरण घाटी से ऊपर की ओर होने लगता है। इसी को '[[घाटी समीर]]' कहा जाता है।


*इसके विपरीत सूर्यास्त के बाद रात्रि के समय यह व्यवस्था पलट जाती है। पर्वतीय ढालों पर पार्थिव विकीरण द्वारा तेजी से [[ऊष्मा]] का विसर्जन हो जाने से वहाँ उच्च [[वायुदाब]] का क्षेत्र बन जाता है तथा ऊँचाई वाले भागों से ठंडी एवं घनी हवा नीचे बैठने लगती है, इस पवन को 'पर्वत समीर' कहते है।
*इसके विपरीत सूर्यास्त के बाद रात्रि के समय यह व्यवस्था पलट जाती है। पर्वतीय ढालों पर पार्थिव विकीरण द्वारा तेजी से [[ऊष्मा]] का विसर्जन हो जाने से वहाँ उच्च [[वायुदाब]] का क्षेत्र बन जाता है तथा ऊँचाई वाले भागों से ठंडी एवं घनी हवा नीचे बैठने लगती है, इस पवन को 'पर्वत समीर' कहते है।


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Revision as of 13:25, 2 April 2014

पर्वत समीर एक प्रकार की पवन को कहा जाता है।

  • अधिकांश पर्वतीय क्षेत्रों में दो प्रकार की दैनिक पवनें चलती हैं। दिन के समय पर्वतीय ढाल वाला क्षेत्र उसकी घाटियों की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाता है, जिसके कारण पवन का संचरण घाटी से ऊपर की ओर होने लगता है। इसी को 'घाटी समीर' कहा जाता है।
  • इसके विपरीत सूर्यास्त के बाद रात्रि के समय यह व्यवस्था पलट जाती है। पर्वतीय ढालों पर पार्थिव विकीरण द्वारा तेजी से ऊष्मा का विसर्जन हो जाने से वहाँ उच्च वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है तथा ऊँचाई वाले भागों से ठंडी एवं घनी हवा नीचे बैठने लगती है, इस पवन को 'पर्वत समीर' कहते है।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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