अनमोल वचन 6: Difference between revisions
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* केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | * केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है। ~ प्रेमचंद | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | * कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। ~ प्रेमचंद | ||
* गुण छोटे लोगों में द्वेष और | * गुण छोटे लोगों में द्वेष और महान् व्यक्तियों में स्पर्धा पैदा करता है। ~ फील्डिंग | ||
* कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात | * कार्यकुशल व्यक्ति के लिए यश और धन की कमी नहीं है। ~ अज्ञात | ||
* मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय | * मनुष्य अपने गुणों से आगे बढता है न कि दूसरों कि कृपा से। ~ लाला लाजपतराय | ||
* यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ | * यदि तुम अपने आपको योग्य बना लो, तो सहायता स्वयमेव तुम्हे आ मिलेगी। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* | * महान् व्यक्ति न किसी का अपमान करता है ओर न उसको सहता है। ~ होम | ||
* नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास | * नैतिक बल के द्वारा ही मनुष्य दूसरों पर अधिकार कर सकता है। ~ स्वामी रामदास | ||
* मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से | * मनुष्य धन अथवा कुल से नहीं, दिव्य स्वभाव और भव्य आचरण से महान् बनता है। ~ आविद | ||
* ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | * ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। ~ विनोबा भावे | ||
Line 72: | Line 72: | ||
* विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ | * विचारों के युद्ध में, पुस्तकें ही अस्त्र हैं। ~ जार्ज बर्नार्ड शॉ | ||
* आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | * आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक। ~ टसर | ||
* अच्छा ग्रंथ एक | * अच्छा ग्रंथ एक महान् आत्मा का अमूल्य जीवन रक्त है। ~ मिल्टन | ||
==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)== | ==परिवर्तन, बदलना, अस्थिर (Change)== | ||
Line 98: | Line 98: | ||
* जैसा अन्न, वैसा मन। | * जैसा अन्न, वैसा मन। | ||
* अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस | * अपकीर्ति अमर है, जब कोई उसे मृतक समझता है, तब भी वह जीवित रहती है। ~ प्ल्यूटस | ||
* जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही | * जो मानव अपने अवगुण और दूसरों के गुण देखता है, वही महान् व्यक्ति बन सकता है। ~ सुकरात | ||
* बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। ~ स्वामी विवेकानंद | * बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन | * आत्म निर्भरता सद् व्यवहार की आधारशिला है। ~ इमर्सन | ||
Line 144: | Line 144: | ||
* आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | * आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलिब्धयां भी पकड़ से परे हैं। ~ जिम लोहर | ||
* पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। | * पेड़ की शाखा पर बैठा पंछी कभी भी इसलिए नहीं डरता कि डाल हिल रही है, क्योंकि पंछी डाली में नहीं अपने पंखों पर भरोसा करता है। | ||
* आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में | * आत्मविश्वास हमारे उत्साह को जगाकर हमें जीवन में महान् उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है। | ||
* अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर | * अनुभूतियों के सरोवर में, आत्म-विश्वास के कमाल खिलते हैं। ~ अमृतलाल नागर | ||
* आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन | * आत्मविश्वासी व्यक्ति अपने कार्य को पूरा करके ही छोड़ता है। ~ स्वेट मार्डेन | ||
Line 534: | Line 534: | ||
==जीवन, प्राण (Life)== | ==जीवन, प्राण (Life)== | ||
* आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन | * आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान् नहीं बन सकता है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | * हम जीवन से वही सीखते हैं, जो उससे वास्तव में सीखना चाहते हैं। ~ जैक्सन ब्राऊन | ||
* आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन | * आत्मज्ञान, आत्मसम्मान, आत्मसंयम यह तीनों ही जीवन को परम सम्पन्न बनाते हैं। ~ टेनीसन | ||
Line 636: | Line 636: | ||
* स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य | * स्वार्थवश मनुष्य दोषों को नहीं देखता। ~ चाणक्य | ||
* त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन | * त्रुटियां उसी से नहीं होंगी, जो कोई काम करें ही नहीं। ~ लेनिन | ||
* ग़लतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और | * ग़लतियां किए बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता है। ~ ग्लेडस्टन | ||
* दूसरों कि ग़लतियों से सीखिए क्योंकि आपको ग़लती करने का मौक़ा नहीं मिलेगा। | * दूसरों कि ग़लतियों से सीखिए क्योंकि आपको ग़लती करने का मौक़ा नहीं मिलेगा। | ||
* स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है। | * स्वयं के दोषों का निरीक्षण और दुसरों के गुणों का पर्यावलोकन करना उज्ज्वल व्यक्तित्व की पहचान है। | ||
Line 653: | Line 653: | ||
* ग़लती करना मनुष्य का स्वाभाव है, की हुई ग़लती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना कि फिर ग़लती न हो, मर्दानगी है। ~ महात्मा गाँधी | * ग़लती करना मनुष्य का स्वाभाव है, की हुई ग़लती को मान लेना और इस प्रकार आचरण करना कि फिर ग़लती न हो, मर्दानगी है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* जो मान गया कि उससे ग़लती हुई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और ग़लती कर रहा है। ~ कन्फुस्यियस | * जो मान गया कि उससे ग़लती हुई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और ग़लती कर रहा है। ~ कन्फुस्यियस | ||
* बहुत सी तथा बड़ी ग़लती किये बिना कोई व्यक्ति बड़ा और | * बहुत सी तथा बड़ी ग़लती किये बिना कोई व्यक्ति बड़ा और महान् नहीं बनता। ~ ग्लेड स्टोन | ||
* अगर तुम ग़लतियों को रोकने के लिए दरवाज़े बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर आ जायेगा। ~ टैगोर | * अगर तुम ग़लतियों को रोकने के लिए दरवाज़े बंद कर दोगे तो सत्य भी बाहर आ जायेगा। ~ टैगोर | ||
* किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। ~ टैगोर | * किसी पूर्वतन ख्याति का उत्तराधिकार प्राप्त करना एक संकट मोल लेना है। ~ टैगोर | ||
Line 663: | Line 663: | ||
==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)== | ==नम्रता, विनयशीलता (Modesty)== | ||
* नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | * नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है। ~ प्रेमचंद | ||
* | * महान् मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है। | ||
* नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास | * नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के सोभा बढती है। ~ कालिदास | ||
* बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा | * बड़े को छोटा बनकर रहना चाहिए, क्योंकि जो अपने आप को बड़ा मानता है वह छोटा बाह्य जाता है और जो छोटा बानाता है वह बड़ा पद पाटा है। ~ ईसा | ||
* नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान | * नम्रता और खुदा के खौफ से इज्जत और ज़िन्दगी मिलती है। ~ सुलेमान | ||
* संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है, ईसा दुनिया के ख़िलाफ़ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के ख़िलाफ़ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। ~ महात्मा गाँधी | * संसार के विरुद्ध खड़े रहने के लिए शक्ति प्राप्त करने की जरूरत नहीं है, ईसा दुनिया के ख़िलाफ़ खड़े रहे, बुद्ध भी अपने जमाने के ख़िलाफ़ गए, प्रहलाद ने भी वैसा ही किया, ये सब नम्रता के धनि थे, अकेले खड़े रहने की शक्ति नम्रता के बिना असंभव है। ~ महात्मा गाँधी | ||
* मेरा विश्वास है की वास्तविक | * मेरा विश्वास है की वास्तविक महान् पुरुष की पहचान उसकी नम्रता है। ~ रस्किन | ||
* नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा | * नम्रता तन की शक्ति, जीतने की कला और शौर्य की पराकाष्ठा है। ~ विनोबा | ||
* ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। ~ कबीर | * ऊंचे पाने न टिके, नीचे ही ठहराए, नीचे हो सो भरी पिबैं, ऊचां प्यासा जाय। ~ कबीर | ||
Line 731: | Line 731: | ||
* मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। ~ डिजरायली | * मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना। ~ डिजरायली | ||
* ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाज़ा दोबारा खटखटाएगा। ~ शैम्फोर्ट | * ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाज़ा दोबारा खटखटाएगा। ~ शैम्फोर्ट | ||
* कोई | * कोई महान् व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता। | ||
* मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। ~ सर फिलिप सिडनी | * मुझे रास्ता मिलेगा नहीं, तो मैं बना लूँगा। ~ सर फिलिप सिडनी | ||
* यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है। | * यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है। | ||
Line 753: | Line 753: | ||
==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ==धैर्य, सब्र, सहनशीलता (Patience)== | ||
* धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | * धैर्य प्रतिभा का आवश्यक अंग है। ~ डिजराइली | ||
* वह व्यक्ति | * वह व्यक्ति महान् है,जो शांतचित्त होकर धैर्यपूर्वक कार्य करता है। ~ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | ||
* धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन | * धैर्य और परिश्रम से हम वह प्राप्त कर सकते हैं, जो शक्ति और शीघ्रता से कभी नहीं कर सकते। ~ ला फाण्टेन | ||
* जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है। | * जैसे सोना अग्नि में चमकता है, वैसे ही धैर्यवान आपदा में दमकता है। | ||
Line 893: | Line 893: | ||
==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ==त्याग, न्योछावर, बलिदान (Sacrifice)== | ||
* प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | * प्राणों का मोह त्याग करना, वीरता का रहस्य है। ~ जयशंकर प्रसाद | ||
* | * महान् त्याग से ही महान् कार्य सम्भव है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | * यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। ~ प्रेमचन्द | ||
* अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | * अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते है। ~ एमर्सन | ||
Line 976: | Line 976: | ||
* वस्तुएं बल से छीनी या धन से ख़रीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। | * वस्तुएं बल से छीनी या धन से ख़रीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है। | ||
* जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद | * जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है। ~ स्वामी विवेकानंद | ||
* प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य | * प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान् बने हैं। ~ सिसरो | ||
* भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस | * भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत का अध्ययन करो। ~ कन्फ्यूशियस | ||
* सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। | * सत्ग्रंथ इस लोक की चिंतामणि नहीं उनके अध्ययन से साडी कुचिंताएं मिट जाती हैं। संशय पिशाच भाग जाते हैं और मन में सद्भाव जागृत होकर परम शांति प्राप्त होती है। | ||
Line 999: | Line 999: | ||
* हमें अपनी असफलताओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज़्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी | * हमें अपनी असफलताओं पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। सफलता के बारे में दूसरे बात करें तो ज़्यादा अच्छा होता है। लोग आपसे आपकी असफलता के बारें में नहीं पूछते, यह सवाल तो आपको अपने आप से पूछना होता है। ~ बोमन ईरानी | ||
* ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | * ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है। | ||
* | * महान् संकल्प ही महान् फल का जनक होता है। ~ हजारी प्रसाद द्विवेदी | ||
* एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | * एकाग्रता से ही विजय मिलती है। | ||
* सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | * सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है। | ||
Line 1,065: | Line 1,065: | ||
* अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है। | * अपने जीवन का कोई लक्ष्य बनाइये, क्योंकि लक्ष्यविहीन जीवन बिना पतवार की नाव के समान इधर-उधर भटकता रहता है। | ||
* हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो। | * हमारा जीवन पक्षी है, केवल थोड़ी ही दूर तक उड़ सकता है, इसने पंख फैला दिए है, देखो, जल्दी से इसकी दिशा सोच लो। | ||
* ध्येय जितना | * ध्येय जितना महान् होता है, उसका रास्ता उतना ही लम्बा और बीहड़ होता है। | ||
* यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। ~ तिरुवल्लुवर | * यदि परिस्तिथियाँ अनुकूल हो तो सीधे अपने ध्येय कि ओर चलो, लेकिन परिस्तिथियाँ अनुकूल ना हो तो उस राह पर चलो जिसमे सबसे कम बाधा आने कि संभावना हो। ~ तिरुवल्लुवर | ||
* अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। ~ बर्नार्ड शा | * अपने लक्ष्य को ना भूलो अन्यथा जो कुछ मिलेगा उसमे संतोष मानने लगोगे। ~ बर्नार्ड शा | ||
Line 1,085: | Line 1,085: | ||
* अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | * अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* मनुष्य अपने हृदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है। ~ बाइबिल | * मनुष्य अपने हृदय में जैसा विचारता है, वैसा ही बन जाता है। ~ बाइबिल | ||
* | * महान् विचार कार्यरूप में परिणत होकर महान् कृतियां बन जाते हैं। ~ हेजलिट | ||
* अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | * अपराधी : दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है। | ||
* कंजूस : वह व्यक्ति जो ज़िंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | * कंजूस : वह व्यक्ति जो ज़िंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके। | ||
Line 1,121: | Line 1,121: | ||
* प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | * प्रकृति के सब काम धीरे-धीरे होते है। | ||
* समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन | * समय का उचित उपयोग करना समय को बचाना है। - बेकन | ||
* समय | * समय महान् चिकित्सक है। | ||
* एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका | * एक युग विशाल नगरों का निर्माण करता है, एक क्षण उसका ध्वंस कर देता है। - सेनेका | ||
* हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | * हर दिन वर्ष का सर्वोत्तम दिन है। | ||
Line 1,226: | Line 1,226: | ||
* सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ | * सच्चा काम अहंकार और स्वार्थ को छोड़े बिना नहीं होता। ~ स्वामी रामतीर्थ | ||
* काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी | * काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है। ~ महात्मा गांधी | ||
* | * महान् कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं। ~ जॉनसन | ||
* पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात | * पहले कहना और बाद में करना, इसकी अपेक्षा पहले करना और फिर कहना अधिक श्रेयस्कर है। ~ अज्ञात | ||
* कमज़ोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय | * कमज़ोर आदमी हर काम को असम्भव समझता है जबकि वीर साधारण। ~ मदनमोहन मालवीय | ||
Line 1,283: | Line 1,283: | ||
* स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | * स्वार्थ की माया अत्यन्त प्रबल है। ~ प्रेमचंद | ||
* गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ~ सरदार वल्लभभाई पटेल | * गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है। ~ सरदार वल्लभभाई पटेल | ||
* | * महान् वह है जो दृढतम निश्चय के साथ सत्य का अनुसरण करता है। ~ सेनेका | ||
* महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | * महापुरुष की महत्ता इसी में है कि वह कभी भी निराश न हो। ~ थॉमसन | ||
* जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है। | * जिसने कष्ट नहीं भोगा, वह अपनी शक्ति से अनभिज्ञ रहता है। | ||
Line 1,308: | Line 1,308: | ||
* स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | * स्वयं को वश में रखने से ही मनुष्यत्व प्राप्त होता है। ~ हर्बर्ट स्पेन्सर | ||
* विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास | * विश्व ही महापुरुष हो खोजता है न कि महापुरुष विश्व को। ~ कालिदास | ||
* | * महान् लेखक, अपने पाठक का मित्र और शुभचिन्तक होता है। ~ मेकाले | ||
* सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन | * सद्व्यवहार से अच्छी और सस्ती कोई अन्य वस्तु नहीं। ~ एनन | ||
* शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात | * शक्ति का उपयोग परहित में करना चाहिए। ~ अज्ञात |
Revision as of 14:09, 30 June 2017
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अनमोल वचन |
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