पहेली अक्तूबर 2013: Difference between revisions
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||[[चित्र:Banas-River.jpg|right|120px|बनास नदी]]'बनास नदी' [[राजस्थान]], पश्चिमोत्तर भारत में प्रवाहित होने वाली नदी है। यह [[चम्बल नदी]] की सहायक नदी है। [[बनास नदी|बनास]] एक मात्र ऐसी नदी है, जो अपना संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। 'बनास' | ||[[चित्र:Banas-River.jpg|right|120px|बनास नदी]]'बनास नदी' [[राजस्थान]], पश्चिमोत्तर भारत में प्रवाहित होने वाली नदी है। यह [[चम्बल नदी]] की सहायक नदी है। [[बनास नदी|बनास]] एक मात्र ऐसी नदी है, जो अपना संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। 'बनास' अर्थात् "वन की आशा" के रूप में जानी जाने वाली यह नदी [[उदयपुर ज़िला|उदयपुर ज़िले]] के [[अरावली पर्वतश्रेणी|अरावली पर्वत श्रेणियों]] में [[कुंभलगढ़ उदयपुर|कुंभलगढ़]] के पास खमनौर की पहाड़ियों से निकलती है। बनास को मौसमी नदी के रूप में जाना जाता है। यह गर्मी के समय अक्सर सूखी रहती है, लेकिन इसके बावजूद यह सिचाई का मुख्य स्रोत है। इसकी समूची घाटी में [[मिट्टी]] के बहाव से कई स्थानों में अनुपजाऊ भूमि का निर्माण हो गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बनास नदी]] | ||
{[[गुप्त काल]] में निर्मित [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की कांस्य प्रतिमा कहाँ से प्राप्त हुई है? | {[[गुप्त काल]] में निर्मित [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की कांस्य प्रतिमा कहाँ से प्राप्त हुई है? | ||
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||[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|right|120px|रामलीला में रावण]]'रावण' [[रामायण]] का एक विशेष पात्र है। वह स्वर्ण नगरी [[लंका]] का राजा था। [[रावण]] अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिस कारण उसका एक अन्य नाम 'दशानन' | ||[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|right|120px|रामलीला में रावण]]'रावण' [[रामायण]] का एक विशेष पात्र है। वह स्वर्ण नगरी [[लंका]] का राजा था। [[रावण]] अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिस कारण उसका एक अन्य नाम 'दशानन' अर्थात् 'दस मुख वाला' भी था। किसी भी कृति के लिये अच्छे पात्रों के साथ ही साथ बुरे पात्रों का होना अति आवश्यक है। किन्तु रावण में अवगुण की अपेक्षा गुण अधिक थे। जीतने वाला हमेशा अपने को उत्तम लिखता है, अतः [[रावण]] को बुरा कहा गया है। रावण को चारों [[वेद|वेदों]] का ज्ञाता कहा गया है। [[संगीत]] के क्षेत्र में भी रावण की विद्वता अपने समय में अद्वितीय मानी जाती थी। [[वीणा]] बजाने में रावण सिद्धहस्त था। उसने एक [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] भी बनाया था, जो आज के 'बेला' या '[[वायलिन]]' का ही मूल और प्रारम्भिक रूप है। इस वाद्य को '[[रावणहत्था]]' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रावण]] | ||
{सम्पूर्ण [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या कितनी है? | {सम्पूर्ण [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या कितनी है? |
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