फ़तवा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
'''फ़तवा''' शब्द का प्रयोग [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में [[सल्तनत काल]] के दौरान अधिक होता था।
'''फ़तवा''' अर्थात [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] के धर्मशास्त्र के अनुसार व्यवस्था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणा प्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=563, परिशिष्ट 'घ'|url=}}</ref> शरीयत के आधार पर किसी समस्या के समाधान का निर्णय।


जिसका अर्थ होता था:
*[[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में [[सल्तनत काल]] के दौरान 'फ़तवा' शब्द का प्रयोग अधिक होता था।
*आसान शब्दों में कहा जाए तो [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]] से जुड़े किसी मसले पर [[क़ुरान]] और [[हदीस]] की रोशनी में जो हुक़्म जारी किया जाए, वह 'फ़तवा' है। [[मुहम्मद|पैगंबर मोहम्मद]] ने इस्लाम के हिसाब से जिस तरह से अपना जीवन व्यतीत किया, उसकी जो प्रामाणिक मिसालें हैं, उन्हें हदीस कहते हैं।
*फ़तवा हर मौलवी या इमाम जारी नहीं कर सकता। फ़तवा कोई मुफ़्ती ही जारी कर सकता है। मुफ़्ती बनने के लिए शरिया क़ानून, क़ुरान और हदीस का गहन अध्ययन ज़रूरी होता है।


शरीयत के आधार पर किसी समस्या के समाधान का निर्णय।


{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{seealso|अल्लाह|क़ुरआन|अज़ान|रोज़ा|मुहम्मद }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{सल्तनतकालीन प्रशासन}}
{{इस्लाम धर्म}}
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इस्लाम धर्म]][[Category:इस्लाम धर्म कोश]][[Category:इस्लाम धर्म शब्दावली]]
[[Category:दिल्ली सल्तनत]]
[[Category:प्राचीन शासन-प्रशासन]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 09:38, 10 May 2018

फ़तवा अर्थात मुस्लिमों के धर्मशास्त्र के अनुसार व्यवस्था।[1] शरीयत के आधार पर किसी समस्या के समाधान का निर्णय।

  • भारतीय इतिहास में सल्तनत काल के दौरान 'फ़तवा' शब्द का प्रयोग अधिक होता था।
  • आसान शब्दों में कहा जाए तो इस्लाम से जुड़े किसी मसले पर क़ुरान और हदीस की रोशनी में जो हुक़्म जारी किया जाए, वह 'फ़तवा' है। पैगंबर मोहम्मद ने इस्लाम के हिसाब से जिस तरह से अपना जीवन व्यतीत किया, उसकी जो प्रामाणिक मिसालें हैं, उन्हें हदीस कहते हैं।
  • फ़तवा हर मौलवी या इमाम जारी नहीं कर सकता। फ़तवा कोई मुफ़्ती ही जारी कर सकता है। मुफ़्ती बनने के लिए शरिया क़ानून, क़ुरान और हदीस का गहन अध्ययन ज़रूरी होता है।


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 563, परिशिष्ट 'घ' |

संबंधित लेख