फ़तवा: Difference between revisions
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Latest revision as of 09:38, 10 May 2018
फ़तवा अर्थात मुस्लिमों के धर्मशास्त्र के अनुसार व्यवस्था।[1] शरीयत के आधार पर किसी समस्या के समाधान का निर्णय।
- भारतीय इतिहास में सल्तनत काल के दौरान 'फ़तवा' शब्द का प्रयोग अधिक होता था।
- आसान शब्दों में कहा जाए तो इस्लाम से जुड़े किसी मसले पर क़ुरान और हदीस की रोशनी में जो हुक़्म जारी किया जाए, वह 'फ़तवा' है। पैगंबर मोहम्मद ने इस्लाम के हिसाब से जिस तरह से अपना जीवन व्यतीत किया, उसकी जो प्रामाणिक मिसालें हैं, उन्हें हदीस कहते हैं।
- फ़तवा हर मौलवी या इमाम जारी नहीं कर सकता। फ़तवा कोई मुफ़्ती ही जारी कर सकता है। मुफ़्ती बनने के लिए शरिया क़ानून, क़ुरान और हदीस का गहन अध्ययन ज़रूरी होता है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 563, परिशिष्ट 'घ' |