सातवाहन वंश: Difference between revisions

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*सातवाहन वंश के अनेक प्रतापी सम्राटों ने विदेशी शक आक्रान्ताओं के विरुद्ध भी अनुपम सफलता प्राप्त की।  
*सातवाहन वंश के अनेक प्रतापी सम्राटों ने विदेशी शक आक्रान्ताओं के विरुद्ध भी अनुपम सफलता प्राप्त की।  
*दक्षिणापथ के इन राजाओं का वृत्तान्त न केवल उनके सिक्कों और शिलालेखों से जाना जाता है, अपितु अनेक ऐसे साहित्यिक ग्रंथ भी उपलब्ध हैं, जिनसे इस राजवंश के कतिपय राजाओं के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण बातें ज्ञात होती हैं।
*दक्षिणापथ के इन राजाओं का वृत्तान्त न केवल उनके सिक्कों और शिलालेखों से जाना जाता है, अपितु अनेक ऐसे साहित्यिक ग्रंथ भी उपलब्ध हैं, जिनसे इस राजवंश के कतिपय राजाओं के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण बातें ज्ञात होती हैं।
#सिमुक
#[[सिमुक]]
#सातकर्णि
#[[सातकर्णि]]
#गौतमीपुत्र सातकर्णि
#गौतमीपुत्र सातकर्णि
#मागध सम्राट वासिष्ठीपुत्र श्री पुलुमावि
#मागध सम्राट वासिष्ठीपुत्र श्री पुलुमावि

Revision as of 08:04, 2 October 2010

  • सातवाहन भारत का एक राजवंश था। जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया।
  • भारतीय परिवार, जो पुराणों (प्राचीन धार्मिक तथा किंवदंतियों का साहित्य) पर आधारित कुछ व्याख्याओं के अनुसार, आंध्र जाति (जनजाति) का था और दक्षिणापथ अर्थात दक्षिणी क्षेत्र में साम्राज्य की स्थापना करने वाला यह पहला दक्कनी वंश था।
  • इस वंश का आरंभ सिभुक अथवा सिंधुक नामक व्यक्ति ने दक्षिण में कृष्णा और गोदावरी नदियों की घाटी में किया था। इसे आंध्र राजवंश भी कहते हैं।
  • सातवाहन वंश के अनेक प्रतापी सम्राटों ने विदेशी शक आक्रान्ताओं के विरुद्ध भी अनुपम सफलता प्राप्त की।
  • दक्षिणापथ के इन राजाओं का वृत्तान्त न केवल उनके सिक्कों और शिलालेखों से जाना जाता है, अपितु अनेक ऐसे साहित्यिक ग्रंथ भी उपलब्ध हैं, जिनसे इस राजवंश के कतिपय राजाओं के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण बातें ज्ञात होती हैं।
  1. सिमुक
  2. सातकर्णि
  3. गौतमीपुत्र सातकर्णि
  4. मागध सम्राट वासिष्ठीपुत्र श्री पुलुमावि
  5. कृष्ण द्वितीय
  6. शकारि विक्रमादित्य द्वितीय


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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